नवरात्रि स्पेशल : माँ चंद्रघंटा करती है भक्तों के कष्टों का निवारण, जानें इनकी पूर्ण पूजन विधि
By: Ankur Fri, 12 Oct 2018 12:03:41
आज नवरात्रि के पर्व का तीसरा दिन हैं जो कि माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप को समर्पित होता हैं। आज के दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती हैं और उनका आशीर्वाद लिया जाता हैं। कहा जाता है कि जो भी माँ चंद्रघंटा की पूजा करता हैं उसके जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता हैं और वह निर्भय और पराक्रमी बनता हैं। इसलिए आज हम आपके लिए माँ चंद्रघंटा की पूर्ण पूजन विधि लेकर आए हैं, ताकि आपको मातारानी का आशीर्वाद प्राप्त हो सकें। तो आइये जानते हैं माँ चंद्रघंटा के पूजन की पूर्ण विधि के बारे में।
* माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा विधि
माता की चौकी (बाजोट) पर माता चंद्रघंटा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसकेबाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टीके घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। इसके बाद पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारामां चंद्रघंटा सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमेंआवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।
* ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्। सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्। खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्। मंजीर हार केयूर,किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम्। कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥
* स्तोत्र पाठ
आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्। अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाभ्यम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपणीम्। धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम्। सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्॥