नवरात्रि स्पेशल : देवी महागौरी की पौराणिक कथाएं, जानकर पूरा करें अपना व्रत

By: Ankur Wed, 17 Oct 2018 2:08:11

नवरात्रि स्पेशल : देवी महागौरी की पौराणिक कथाएं, जानकर पूरा करें अपना व्रत

आज नवरात्रि का आठवां दिन है और आज के दिन देवी महागौरी की पूजा की जाती हैं। देवी महागौरी को अपने निर्मल रूप और शुभ फल देने के लिए जाना जाता हैं। अपने पावन रूप से सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाली देवी महागौरी से कई पौराणिक कथाएं जुडी हुई हैं। आज हम आपको इन कथाओं के बारे में बताने जा रहे है ताकि इन्हें जानकर आप व्रत का पूर्ण लाभ उठा सकें। तो आइये जानते हैं इन पौराणिक कथाओं के बारे में।

* पहली कथा

देवी पार्वती रूप में महागौरी ने भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। एक बार भगवान भोलेनाथ द्वारा कहे गए किसी वचन से पार्वतीजी का मन का आहत होता है और पार्वतीजी तपस्या में लीन हो जाती हैं। इस प्रकार वर्षों तक कठोर तपस्या करने पर जब पार्वती नहीं आतीं तो पार्वतीजी को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुंचते हैं। वहां पहुंचकर वे पार्वतीजी को देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं। पार्वतीजी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के समान श्वेत और कुंद के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौरवर्ण का वरदान देते हैं और वे 'महागौरी' कहलाती हैं।

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* दूसरी कथा

इस कथा के अनुसार भगवान शिव को पति-रूप में पाने के लिए देवी की कठोर तपस्या के बाद उनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान उन्हें स्वीकार कर उनके शरीर को गंगा जल से धोते हैं। तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम 'गौरी' पड़ा।

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* तीसरी कथा

महागौरी की एक अन्य कथा भी प्रचलित है जिसके अनुसार जब मां उमा वन में तपस्या कर रही थीं, तभी एक सिंह वन में भूखा विचर रहा था एवं भोजन की तलाश में वहां पहुंचा, जहां देवी उमा तपस्या कर रही थीं। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गई, लेकिन वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया। इस इंतजार में वह काफी कमजोर हो गया। देवी जब तप से उठीं तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आई और मां ने उसे अपनी सवारी बना लिया, क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी इसलिए सिंह देवी गौरी का वाहन है।

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