सर्वपितृ अमावस्या पर गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ दिलाएगा सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य, जानें इसकी पूर्ण विधि
By: Ankur Mundra Tue, 15 Sept 2020 07:18:36
आने वाली 17 सितंबर 2020, गुरुवार को सर्वपितृ अमावस्या हैं और इसी के साथ ही श्राद्ध पक्ष समाप्त हो जाएंगे। श्राद्ध में यह दिन बेहद शुभकारी माना जाता हैं जब सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता हैं। सर्वपितृ अमावस्या के दिन किए गए उपाय पितरों का आशीर्वाद दिलाने के साथ ही जीवन में शुभता लेकर आते हैं। इस दिन गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करना भी शुभकारी होता हैं जिसके फलस्वरुप देव आपको सुख-समृद्धि और धन-ऐश्वर्य, स्वास्थ्य प्राप्ति का आशीष देते हैं। आज हम आपको इस पाठ और इसकी विधि के बारे में बताने जा रहे है। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
कैसे करें पाठ, पढ़ें विधि
- एक दीपक जलाएं तथा दक्षिण दिशा की ओर मुख कर यह पाठ करें।
- यह पाठ पूरा होने के बाद श्रीहरि विष्णु का स्मरण करें और उनसे और अपने घर के पितरों से प्रार्थना करें कि आपके घर से पितृ दोष को दूर करें और कर्ज मुक्ति के साथ ही आपके जीवन को खुशहाल कर दें।
- इसके बाद पितरों को जलेबी का भोग लगाएं।
- कम से कम 108 बार पितृ मंत्रों का जाप करें।
गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
गज और ग्राह लड़त जल भीतर, लड़त-लड़त गज हार्यो।
जौ भर सूंड ही जल ऊपर तब हरिनाम पुकार्यो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
शबरी के बेर सुदामा के तन्दुल रुचि-रुचि-भोग लगायो।
दुर्योधन की मेवा त्यागी साग विदुर घर खायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
पैठ पाताल काली नाग नाथ्यो, फन पर नृत्य करायो।
गिरि गोवर्द्धन कर पर धार्यो नंद का लाल कहायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
असुर बकासुर मार्यो दावानल पान करायो।
खम्भ फाड़ हिरनाकुश मार्यो नरसिंह नाम धरायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
अजामिल गज गणिका तारी द्रोपदी चीर बढ़ायो।
पय पान करत पूतना मारी कुब्जा रूप बनायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
कौर व पाण्डव युद्ध रचायो कौरव मार हटायो।
दुर्योधन का मन घटायो मोहि भरोसा आयो ।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
सब सखियां मिल बन्धन बान्धियो रेशम गांठ बंधायो।
छूटे नाहिं राधा का संग, कैसे गोवर्धन उठायो ।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
योगी जाको ध्यान धरत हैं ध्यान से भजि आयो।
सूर श्याम तुम्हरे मिलन को यशुदा धेनु चरायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
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