पापाकुंशा एकादशी पर करें भगवान विष्णु की पूजा, होती है मनोवांछित फल की प्राप्ति

By: Ankur Sat, 20 Oct 2018 1:47:47

पापाकुंशा एकादशी पर करें भगवान विष्णु की पूजा, होती है मनोवांछित फल की प्राप्ति

आज आश्विन शुक्ल एकादशी है जिसे पापांकुशा एकादशी के नाम से भी जाना जाता हैं। इस एकादशी का महत्व बहुत अधिक माना जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार आज के दिन की गई भगवान विष्णु की पूजा का फल, कठिन तपस्या के बाद मिले फल के बराबर होता हैं। शेषनाग पर विराजने वाले विष्णु को नमन मात्र से मनुष्य यमलोक के दुखों से बाख सकता हैं। इसलिए इस पापाकुंशा एकादशी पर की गई भगवान विष्णु की पूजा आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति करवाती हैं। आज हम आपको पापाकुंशा एकादशी व्रत की विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।

* पापाकुंशा एकादशी व्रत विधि

इस व्रत का पालन दशमी तिथि के दिन से ही करना चाहिए। दशमी तिथि पर सात धान्य अर्थात गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर की दाल नहीं खानी चाहिए, क्योंकि इन सातों धान्यों की पूजा एकादशी के दिन की जाती है। जहां तक संभव हो दशमी तिथि और एकादशी तिथि दोनों ही दिनों में कम से कम बोलना चाहिए। दशमी तिथि को भोजन में तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

एकादशी तिथि पर सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प अपनी शक्ति के अनुसार ही लेना चाहिए यानी एक समय फलाहार का या फिर बिना भोजन का। संकल्प लेने के बाद घट स्थापना की जाती है और उसके ऊपर श्रीविष्णुजी की मूर्ति रखी जाती है। इसके साथ भगवान विष्णु का स्मरण एवं उनकी कथा का श्रवण किया जाता है। इस व्रत को करने वाले को विष्णु के सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। इस व्रत का समापन एकादशी तिथि में नहीं होता है, बल्कि द्वादशी तिथि की प्रात: में ब्राह्माणों को अन्न का दान और दक्षिणा देने के बाद ही यह व्रत समाप्त होता है।

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* पापांकुशा एकादशी व्रत कथा

प्राचीन समय में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक बहेलिया रहता था। वह बड़ा क्रूर था। उसका सारा जीवन पाप कर्मों में बीता। जब उसका अंत समय आया तो वह मृत्यु के भय से कांपता हुआ महर्षि अंगिरा के आश्रम में पहुंचकर याचना करने लगा- हे ऋषिवर, मैंने जीवन भर पाप कर्म ही किए हैं। कृपा कर मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मेरे सारे पाप मिट जाएं और मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। उसके निवेदन पर महर्षि अंगिरा ने उसे पापांकुशा एकादशी का व्रत करके को कहा। महर्षि अंगिरा के कहे अनुसार उस बहेलिए ने पूर्ण श्रद्धा के साथ यह व्रत किया और किए गए सारे पापों से छुटकारा पा लिया।

* पापांकुशा एकादशी महत्व

पापांकुशा एकादशी व्रत में यथासंभव दान व दक्षिणा देनी चाहिए। पूर्ण श्रद्धा के साथ यह व्रत करने से समस्त पापों से छुटकारा प्राप्त होता है। शास्त्रों में एकादशी के दिन की महत्ता को पूर्ण रुप से प्रतिपादित किया गया है। इस दिन उपवास रखने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। जो लोग पूर्ण रूप से उपवास नहीं कर सकते उनके लिए मध्याह्न या संध्या काल में एक समय भोजन करके एकादशी व्रत करने की बात कही गई है।

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