Ekadashi एकादशी के दिन वर्जित है ये काम करना, भूलकर भी ना करे

By: Ankur Thu, 06 Sept 2018 08:15:56

Ekadashi एकादशी के दिन वर्जित है ये काम करना, भूलकर भी ना करे

आज अजा एकादशी Aja Ekadashi Vrat 2018 का दिन हैं। अजा एकादशी भाद्रपद कृष्ण एकादशी Ekadashi को मनाई जाती हैं। इस दिन किये गए व्रत का बड़ा महत्व माना जाता हैं, जिसके फलस्वरूप पापों का नाश होता हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। लेकिन शास्त्रों में इस दिन कुछ काम करना वर्जित बताया गया हैं। जी हाँ, इस दिन किये गए कुछ काम आपके जीवन में अनिष्ट ला सकते हैं। इसलिए आज हम आपको जो काम बताने जा रहे हैं उन्हें एकादशी के दिन ना करें इसी में भलाई हैं। तो आइये जानते हैं उन कामों के बारे में।

* जुआ खेलना

जुआ खेलना एक सामाजिक बुराई है। जो व्यक्ति जुआ खेलता है, उसका परिवार व कुटुंब भी नष्ट हो जाता है। जिस स्थान पर जुआ खेला जाता है, वहां अधर्म का राज होता है। ऐसे स्थान पर अनेक बुराइयां उत्पन्न होती हैं। इसलिए सिर्फ आज ही नहीं बल्कि कभी भी जुआ नहीं खेलना चाहिए।

* रात में सोना

एकादशी की रात को सोना नहीं चाहिए। पूरी रात जागकर भगवान विष्णु की भक्ति करनी चाहिए। भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के निकट बैठकर भजन करते हुए ही जागरण करना चाहिए। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

* पान खाना

एकादशी के दिन पान खाना भी वर्जित माना गया है। पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है। इसलिए एकादशी के दिन पान न खा कर व्यक्ति को सात्विक आचार-विचार रख प्रभु भक्ति में मन लगाना चाहिए।

* दातून करना

एकादशी पर दातून (मंजन) करने की भी मनाही है।

* परनिंदा (दूसरों की बुराई करना)

परनिंदा यानी दूसरों की बुराई करना। ऐसा करने से मन में दूसरों के प्रति कटु भाव आ सकते हैं। इसलिए एकादशी के दिन दूसरों की बुराई न करते हुए भगवान विष्णु का ही ध्यान करना चाहिए।

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* चुगली करना

चुगली करने से मान-सम्मान में कमी आ सकती है। कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है। इसलिए सिर्फ एकादशी ही नहीं अन्य दिनों में भी किसी की चुगली नहीं करना चाहिए।

* चोरी करना

चोरी करना पाप कर्म माना गया है। चोरी करने वाला व्यक्ति परिवार व समाज में घृणा की नजरों से देखा जाता है। इसलिए सिर्फ एकादशी ही नहीं अन्य दिनों में भी चोरी जैसा पाप कर्म नहीं करना चाहिए।

* हिंसा करना

एकादशी के दिन हिंसा करने की मनाही है। हिंसा केवल शरीर से ही नहीं मन से भी होती है। इससे मन में विकार आता है। इसलिए शरीर या मन किसी भी प्रकार की हिंसा इस दिन नहीं करनी चाहिए।

* स्त्रीसंग

एकादशी पर स्त्रीसंग करना भी वर्जित है क्योंकि इससे भी मन में विकार उत्पन्न होता है और ध्यान भगवान भक्ति में नहीं लगता। अतः एकादशी पर स्त्रीसंग नहीं करना चाहिए।

* क्रोध

एकादशी पर क्रोध भी नहीं करना चाहिए। इससे मानसिक हिंसा होती है। अगर किसी से कोई गलती हो भी जाए तो उसे माफ कर देना चाहिए और मन शांत रखना चाहिए।

* झूठ बोलना

झूठ बोलना व्यक्तिगत बुराई है। जो लोग झूठ बोलते हैं, उन्हें समाज व परिवार में उचित मान सम्मान नहीं मिलता। इसलिए सिर्फ एकादशी पर ही नहीं अन्य दिनों में भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।

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