
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के विधायक हुमायूं कबीर ने मंगलवार को बयान देकर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी। कबीर ने कहा कि 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद जिले में वह ‘बाबरी मस्जिद’ जैसी मस्जिद की नींव रखेंगे और चेतावनी दी कि यदि उन्हें रोका गया तो उस दिन राष्ट्रीय राजमार्ग-34 मुस्लिमों के नियंत्रण में होगा।
बागी तेवर और नई राजनीतिक योजनाएँ
बेलडांगा से विधायक कबीर कई महीनों से पार्टी की नीति के खिलाफ बागी तेवर अपनाए हुए हैं। उन्होंने हाल ही में एक नया संगठन बनाने की भी योजना का संकेत दिया था। संवाददाताओं से बातचीत में कबीर ने मुर्शिदाबाद प्रशासन पर ‘आरएसएस एजेंट’ होने का आरोप लगाया और कहा कि उनके कार्यक्रम को रोकना ‘आग से खेलने’ के समान होगा।
चुनाव से पहले बढ़ता सियासी तनाव
राज्य में विधानसभा चुनाव अगले साल की शुरुआत में होने हैं। कबीर ने कहा, “मैंने एक साल पहले कहा था कि मैं बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की नींव रखूंगा। अब आपको इसमें दिक्कत क्यों हो रही है? क्या आप भाजपा के इशारे पर चल रहे हैं?” उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उन्हें रोका गया तो एनएच-34 ‘मुस्लिमों के नियंत्रण’ में होगा।
TMC का रुख और दूरी
कबीर की इस टिप्पणी के बाद तृणमूल कांग्रेस ने उनसे दूरी बना ली। पार्टी के मुख्य सचेतक निर्मल घोष ने स्पष्ट किया कि कबीर व्यक्तिगत स्तर पर काम कर रहे हैं और उनके कार्यों का TMC समर्थन नहीं करती। तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोग ममता बनर्जी पर भरोसा करते हैं, न कि कबीर पर।
विपक्ष और माकपा की प्रतिक्रिया
मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने TMC पर स्थिति को भड़काने का आरोप लगाया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा कि तृणमूल बंगाल को अराजकता की ओर धकेल रही है और इस तरह की घोषणाएं सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने और ध्रुवीकरण करने के लिए की जाती हैं।
माकपा ने इसे TMC की ‘वैचारिक अस्थिरता’ का नया उदाहरण बताया। माकपा नेता सैकत गिरि ने कहा कि कुछ नेता समय के साथ राजनीतिक दल बदल चुके हैं और अब वे विभिन्न समुदायों को जोड़कर अपनी राजनीतिक ताकत मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
सियासी और सामाजिक प्रभाव
कबीर की चेतावनी ने राज्य में सियासी और सामाजिक माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया है। चुनाव से पहले पार्टी और विपक्षी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप के चलते पश्चिम बंगाल में राजनीतिक पारा चरम पर है। इस घटना ने स्पष्ट किया कि समुदायिक और राजनीतिक संवेदनशीलता के मामले में सतर्कता बनाए रखना अत्यंत जरूरी है।














