
तृणमूल कांग्रेस से निलंबित नेता हुमायूं कबीर ने अपने बयान से अचानक पलटी मारते हुए रविवार (7 दिसंबर 2025) को स्पष्ट किया कि वह विधायक पद से इस्तीफा नहीं देंगे। यह घोषणा उनके उस बयान के कुछ ही दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह 8 दिसंबर को मुर्शिदाबाद जिले के भरतपुर से विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे।
भरतपुर से विधायक हुमायूं कबीर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मैंने पहले कहा था कि इस्तीफा दूँगा, लेकिन कई लोग मुझे सुझाव दे रहे हैं कि मैं ऐसा न करूँ। जिन लोगों ने यूसुफ पठान को मुर्शिदाबाद के बहरामपुर निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुना, वे अब भी मुझे ढूँढ रहे हैं, क्योंकि मैं उनके कल्याण के लिए काम कर रहा हूँ। कई जरूरी दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करने की जिम्मेदारी है और मुझे उनके हित के लिए काम करना है। अगर मैं उनके लिए काम करूंगा तो भविष्य में वे मुझे फिर वोट देंगे। इसलिए मैं इस्तीफा नहीं दूँगा।”
कबीर ने मारी पलटी
मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में मस्जिद की आधारशिला रखने के एक दिन बाद हुमायूं कबीर का यह यूटर्न सामने आया। इस कदम के चलते उन्हें तृणमूल कांग्रेस से निलंबित किया गया था। हालांकि, पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने स्पष्ट किया कि कबीर को मस्जिद निर्माण की वजह से नहीं बल्कि धार्मिक आयोजन के नाम पर कथित तौर पर धार्मिक कट्टरता फैलाने की कोशिश के कारण निलंबित किया गया।
इस्तीफा देने की योजना थी 8 दिसंबर को
कबीर ने 4 दिसंबर को घोषणा की थी कि वह 8 दिसंबर तक विधायक पद से इस्तीफा देंगे और 22 दिसंबर को अपनी नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा करेंगे। पश्चिम बंगाल के नगर विकास मंत्री और कोलकाता नगर निगम के महापौर फिरहाद हकीम ने कबीर को पार्टी से निलंबित किए जाने की घोषणा करते ही कबीर ने कहा था कि वे शुक्रवार या सोमवार को इस्तीफा देंगे। इसके बाद उनका कार्यक्रम 6 दिसंबर को बेलडांगा में मस्जिद की नींव रखने का यथावत रहेगा।
पार्टी के पूर्व चेतावनी
हुमायूं कबीर को तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व द्वारा कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों और नेतृत्व के लिए शर्मिंदगी पैदा करने वाली सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए पहले भी कई बार चेतावनी दी गई थी। अंततः गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस ने औपचारिक रूप से उनके निलंबन की घोषणा की।













