जयपुर पुलिस ने एक चौंकाने वाली और हैरान कर देने वाली साज़िश का पर्दाफाश करते हुए फर्जी सब-इंस्पेक्टर बनकर दो साल तक पुलिस ट्रेनिंग करने वाली मोना बुगालिया को आखिरकार सीकर जिले से गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि मोना लंबे समय से पुलिस की गिरफ्त से बाहर थी और अपने नकली身份 के सहारे सिस्टम को ठगती रही।
कमरे से बरामद हुए 7 लाख रुपये और वर्दियां
साल 2023 में जयपुर के शास्त्री नगर थाने में मोना के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी, जिसके बाद पुलिस ने धैर्य और सूझबूझ से जांच शुरू की। जब मोना के किराए के कमरे की तलाशी ली गई तो वहां से पुलिस को सात लाख रुपये नकद, तीन अलग-अलग वर्दियां, RPA के इंटरनल एग्जाम के पेपर, और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले। यह दृश्य खुद में झटका देने वाला था, जहां एक महिला न केवल व्यवस्था को गुमराह कर रही थी बल्कि पूरे पुलिस तंत्र की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रही थी।
नागौर की रहने वाली है मोना — एक ड्राइवर की बेटी ने रची पुलिस को चकमा देने की साजिश
मोना बुगालिया उर्फ मूली, नागौर जिले के निम्बा के बास गांव की रहने वाली है। उसके पिता ट्रक ड्राइवर हैं। मोना ने पहले सब-इंस्पेक्टर की परीक्षा में शामिल होने की कोशिश की, लेकिन जब परीक्षा में सफल नहीं हो सकी, तो उसने तीन साल बाद सोशल मीडिया पर खुद को चयनित घोषित कर दिया।
यह हरकत सिर्फ धोखा नहीं, बल्कि एक आम परिवार से आई लड़की द्वारा सिस्टमैटिक फर्जीवाड़ा रचने का अद्भुत और खतरनाक उदाहरण बन गई।
खुद को बताती थी IB की सब-इंस्पेक्टर, थानेदारों को भी बना रखा था भ्रमित
मोना ने जिस धोखाधड़ी के आत्मविश्वास से यह सब किया, वो पुलिस को भी आश्चर्यचकित कर गया। उसने RPA कैंपस में लगातार वर्दी पहनकर घूमना शुरू किया और वहां ट्रेनिंग कर रहे थानेदारों को खुद को पिछले बैच की SI बताकर भरोसे में ले लिया।
उसे पता था कि अकादमी में एक साथ कई बैच की ट्रेनिंग चलती है — और यही कन्फ्यूजन उसके लिए ढाल बन गया, जिसका उसने लगातार फायदा उठाया।
अब पुलिस कर रही है गहराई से जांच — क्या मोना अकेली थी या इसके पीछे कोई संगठित गिरोह भी है?
मोना की गिरफ्तारी के बाद अब जयपुर पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि क्या उसने और लोगों को भी इसी तरह ठगा है, या फिर इस पूरे फर्जीवाड़े के पीछे कोई