
महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है। बीएमसी चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने हाथ मिला लिया है। करीब दो दशक बाद ठाकरे बंधुओं का यह राजनीतिक मिलन मुंबई की राजनीति में नए समीकरण गढ़ने जा रहा है। शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच संभावित सीट बंटवारे को लेकर जो फॉर्मूला सामने आया है, उसमें बड़ा दांव उद्धव ठाकरे के पाले में जाता दिख रहा है।
दरअसल, 2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर मनसे की स्थापना की थी। मराठी मानुष के मुद्दे पर आक्रामक राजनीति ने उन्हें पहचान तो दिलाई, लेकिन उत्तर भारतीयों के विरोध के चलते उन्हें राजनीतिक नुकसान भी उठाना पड़ा। अब, लंबे समय बाद उद्धव और राज की नजदीकियां एक बार फिर चर्चा में हैं, खासकर तब जब बीएमसी जैसे प्रतिष्ठित निकाय के चुनाव सिर पर हैं।
सूत्रों के मुताबिक, प्रस्तावित सीट बंटवारा कुछ इस तरह तय किया गया है—
शिवसेना (UBT): 145 से 150 सीटें
मनसे (MNS): 65 से 70 सीटें
राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट): 10 से 12 सीटें
मराठी बहुल इलाकों को लेकर पहले दोनों दलों के बीच खींचतान की स्थिति थी। दादर, माहिम, विक्रोली और भांडुप जैसे क्षेत्रों को लेकर पेंच फंसा हुआ था, लेकिन अब इन सीटों पर सहमति बनती नजर आ रही है। वहीं, महाविकास अघाड़ी के सहयोगी शरद पवार गुट को बीएमसी में सीमित हिस्सेदारी मिलने के संकेत हैं। उन्हें करीब 12 सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है।
मुंबई महानगरपालिका में कुल 227 सीटें हैं। अंदरखाने की जानकारी के अनुसार, इनमें से लगभग 145 सीटों पर उद्धव ठाकरे की पार्टी अपने उम्मीदवार उतार सकती है, जबकि राज ठाकरे की मनसे करीब 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। शरद पवार की एनसीपी के लिए केवल चुनिंदा सीटें छोड़ी जाएंगी। इसके अलावा पुणे, नवी मुंबई और ठाणे की महापालिकाओं को लेकर भी बातचीत चल रही है, जबकि नासिक नगर निगम में सीटों का बंटवारा लगभग तय माना जा रहा है।
इस बीच बुधवार को मुंबई में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गठबंधन का औपचारिक ऐलान किया। दोनों नेताओं ने कहा कि मुंबई और महाराष्ट्र के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया है। उनकी विचारधारा एक है और मराठी अस्मिता की रक्षा के लिए वे साथ खड़े हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की किसी भी कोशिश को सफल नहीं होने दिया जाएगा।
उद्धव ठाकरे ने साफ शब्दों में कहा कि दोनों भाई अब एकजुट हैं और आगे भी साथ रहेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली से बैठे कुछ लोग उन्हें तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। उनके मुताबिक, अलग होना उनके पूर्वजों की कुर्बानियों का अपमान होगा।
राज ठाकरे ने बीजेपी पर सीधे हमला करने से फिलहाल परहेज किया, लेकिन यह जरूर कहा कि महाराष्ट्र का अगला महापौर मराठी होगा और ठाकरे गठबंधन से ही बनेगा। कांग्रेस के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले पर उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि अब इस पर ज्यादा कुछ कहने का मतलब नहीं है। उन्होंने जोड़ा कि भाजपा अपनी रणनीति खुद तय करे, जबकि यह गठबंधन मराठी लोगों की इच्छाओं के मुताबिक फैसला करेगा।
उद्धव ठाकरे ने भी कहा कि कोई भी मराठी मानुष उनके साथ आ सकता है, इसके लिए बंद कमरे में बैठकों की जरूरत नहीं है। एकनाथ शिंदे गुट पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में “बच्चा चोर गैंग” सक्रिय है, जो नेताओं को उठा ले जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि लंबे समय से लोग इस दिन का इंतजार कर रहे थे और अब नासिक महानगरपालिका सहित अन्य निकायों में भी गठबंधन का रास्ता साफ हो चुका है।













