
महाराष्ट्र की राजनीतिक सियासत सोमवार (8 दिसंबर) को और गरमाई जब आदित्य ठाकरे ने दावा किया कि एकनाथ शिंदे खेमे के 22 विधायक बीजेपी में शामिल होने के लिए तैयार हैं। यह बयान ऐसे समय आया जब विपक्ष नेता की नियुक्ति को लेकर खींचतान बनी हुई है, जिससे सत्ता गठबंधन में हलचल और तेज हो गई है। इस घटनाक्रम ने राज्य की राजनीतिक स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आदित्य ठाकरे का दावा और महायुति में हलचल
आदित्य ठाकरे ने आरोप लगाया कि इन 22 विधायकों को पिछले कुछ महीनों में भारी फंडिंग मिली है और वे मुख्यमंत्री के इशारे पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को विपक्ष न होने के बावजूद “डर किस बात का है।” साथ ही आदित्य ठाकरे ने तंज कसा कि मुख्यमंत्री को अब अपने ही गठबंधन में “दो-दो विपक्ष नेता” तैयार होने की चिंता सताने लगी है। उन्होंने भास्कर जाधव के नाम में बदलाव की चर्चाओं को ‘गठबंधन के भीतर से उगाई गई अफवाह’ भी बताया।
शिंदे गुट का कड़ा पलटवार
शिवसेना के शिंदे गुट ने इस दावे पर तीखी प्रतिक्रिया दी। मंत्री संजय शिरसाठ ने कहा, “उद्धव और आदित्य पहले अपने 20 विधायक संभालें, फिर हम पर उंगली उठाएं।” वहीं विधायक निलेश राणे ने कटाक्ष करते हुए कहा, “क्या आदित्य ठाकरे ने अब ज्योतिष का धंधा शुरू कर दिया है? हर बात पर भविष्यवाणी कर रहे हैं।” इन बयानों से स्पष्ट हो गया कि शिंदे गुट इस आरोप को महायुति की स्थिरता पर हमला मान रहा है और किसी भी तरह की टूट की संभावना को खारिज करना चाहता है।
देवेंद्र फडणवीस का पलटवार
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आरोपों को निराधार बताया और कहा, “कह देने से कुछ नहीं होता। अगर कोई दावा भर कर दे, तो हम भी कह सकते हैं कि आदित्य ठाकरे के 20 विधायक बीजेपी में शामिल होने के लिए तैयार हैं।” उन्होंने साफ किया, “हमें शिंदे सेना के विधायक क्यों चाहिए? वे हमारे मित्र दल के हैं और असली शिवसेना वही है।”
फडणवीस ने यह भी जोड़ा कि बीजेपी किसी तरह की टूट की राजनीति नहीं करती और महायुति आगे और मजबूत होकर उभरेगी। आदित्य ठाकरे और शिंदे गुट के बीच आरोप-प्रत्यारोप ने राज्य में राजनीतिक माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया है।














