
कर्नाटक में अन्न भाग्य योजना के तहत खाद्यान्न परिवहन कार्य से जुड़े ट्रक मालिकों की हड़ताल आखिरकार खत्म हो गई है। राज्य सरकार द्वारा ₹244.1 करोड़ की लंबित बकाया राशि जारी करने के आदेश के बाद लॉरी संघों ने अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल वापस ले ली और पुनः काम शुरू कर दिया। यह फैसला उन लाखों लाभार्थियों के लिए राहत लेकर आया है जो अन्न भाग्य योजना पर निर्भर हैं।
सरकार ने चुकाया फरवरी से मई तक का बकाया
राज्य सरकार द्वारा जारी राशि फरवरी 2025 से मई 2025 के बीच किए गए खाद्यान्न परिवहन कार्यों के बदले में भुगतान के रूप में दी गई है। यह भुगतान लॉरी मालिकों की उन वर्षों पुरानी मांगों में से एक थी, जिसे लेकर उन्होंने हड़ताल का रास्ता चुना था।
फेडरेशन ऑफ कर्नाटक स्टेट लॉरी ओनर्स एंड एजेंट्स एसोसिएशन तथा कर्नाटक स्टेट पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन फूड ग्रेन्स ट्रांसपोर्ट कांट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने सरकार पर ₹260 करोड़ से अधिक की बकाया राशि न देने का आरोप लगाया था।
25 लाख टन चावल का हुआ था परिवहन, पर भुगतान नहीं
दोनों संगठनों के अध्यक्ष जी.आर. शन्मुगप्पा के अनुसार, फरवरी से जून 2025 के बीच लॉरी मालिकों ने अन्न भाग्य योजना के अंतर्गत लगभग 25 लाख टन चावल का परिवहन किया था, लेकिन इसके बदले में उन्हें कोई भुगतान नहीं मिला। इस कारण कई छोटे ट्रक मालिक आर्थिक संकट में फंस गए थे और ईएसआई, पीएफ तथा टैक्स भरने में भी असमर्थ हो रहे थे।
15 दिन का अल्टीमेटम और अनदेखी के बाद हड़ताल
19 जून को लॉरी मालिकों ने सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था कि यदि बकाया नहीं चुकाया गया तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। सरकार द्वारा मांगों की अनदेखी किए जाने के कारण 7 जुलाई से राज्य भर में ट्रांसपोर्ट बंद कर दिया गया था।
अन्न भाग्य योजना पर पड़ा था असर
यह हड़ताल कांग्रेस सरकार की प्रमुख 'पाँच गारंटी' योजनाओं में शामिल अन्न भाग्य स्कीम के लिए बड़ी चुनौती बन गई थी। इससे पहले भी यह योजना कई मुश्किलों से गुजर चुकी है। जुलाई 2023 में केंद्र सरकार द्वारा ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत चावल न देने के कारण राज्य सरकार को लाभार्थियों को नकद भुगतान (₹170 प्रति लाभार्थी) शुरू करना पड़ा था।
बाद में जब केंद्र ने जून 2025 तक तय कीमत पर चावल उपलब्ध कराने का निर्णय लिया, तब राज्य सरकार ने पुनः प्रत्यक्ष चावल वितरण शुरू किया। लेकिन ट्रक मालिकों की हड़ताल ने वितरण प्रणाली को ठप कर दिया था।
राज्य सरकार की ओर से ₹244.1 करोड़ की राशि जारी किए जाने के बाद ट्रांसपोर्ट यूनियनों ने काम पर लौटने का फैसला लिया है। यह कदम न केवल राज्य सरकार की छवि के लिए अहम है, बल्कि लाखों लाभार्थियों को समय पर राशन मिल सके, इसके लिए भी आवश्यक था। अब ज़रूरत इस बात की है कि सरकार भविष्य में ऐसी गारंटी योजनाओं के संचालन में वित्तीय पारदर्शिता और समयबद्ध भुगतान को प्राथमिकता दे, ताकि ज़मीनी स्तर पर कोई बाधा उत्पन्न न हो।














