
दीवाली की रौनक के खत्म होने के बाद जहां अधिकांश हिस्सों में सन्नाटा छा जाता है, वहीं गुजरात के डाकोर जी मंदिर में एक अद्भुत परंपरा का आगाज होता है। इस समय मंदिर में भगवान कृष्ण के लिए बड़े पैमाने पर 'अन्नकूट' तैयार किया जाता है, जिसे प्राप्त करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ धावा बोल देती है।
250 साल पुरानी परंपरा
डाकोर जी मंदिर, जिसे रणछोड़राय डाकोर मंदिर भी कहा जाता है, भगवान कृष्ण को समर्पित है। यह परंपरा लगभग 250 साल पुरानी है और हर साल दीवाली के बाद देखने को मिलती है। इस खास उत्सव में भक्तों की भागीदारी और प्रसाद का पैमाना ही इस परंपरा की विशिष्टता को दर्शाता है।
Kheda, Gujarat: In Dakor, Gujarat, a centuries-old tradition sees over 3,000 kg of Annakut offered to Lord Ranchhodrai on Diwali’s second day. Villagers from 80 nearby villages “loot” the prasad, ensuring safety with police, then share it among themselves pic.twitter.com/yZXni1HoPw
— IANS (@ians_india) October 21, 2025
3000 किलो से अधिक प्रसाद और भक्तों की होड़
अन्नकूट उत्सव के दौरान मंदिर में 3000 किलो से अधिक प्रसाद तैयार किया जाता है। अन्य मंदिरों की तरह इसे शांतिपूर्ण तरीके से बांटा नहीं जाता, बल्कि भक्त खुद इसे प्राप्त करने के लिए दौड़ लगाते हैं। इस साल भी ऐसा ही दृश्य देखने को मिला, जब मंदिर के कपाट खुलते ही हजारों भक्तों ने मंदिर में धावा बोल दिया।
लगभग 80 गांवों के लोग इस उत्सव में हिस्सा लेते हैं। भक्तों की भारी भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षित रूप से आयोजन संपन्न कराने के लिए मंदिर परिसर में पुलिस बल भी तैनात रहता है।
यह अनोखी अन्नकूट परंपरा गुजरात के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर में अपनी विशेष पहचान रखती है, जहां उत्साह, आस्था और प्रसाद के लिए श्रद्धालुओं की प्रतिस्पर्धा देखने लायक होती है।














