
सिग्नेचर ब्रिज से लापता हुई स्नेहा देबनाथ की कहानी ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। रविवार को जब पुलिस ने गीता कॉलोनी फ्लाईओवर के पास यमुना नदी से उसका शव बरामद किया, तो उसके साथ मिली एक चिट्ठी ने पूरे मामले की गंभीरता को उजागर कर दिया।
स्नेहा ने मरने से पहले जो सुसाइड नोट लिखा था, उसमें उसकी टूट चुकी हिम्मत और थक चुका मन साफ महसूस होता है। उसने लिखा था कि वह खुद को एक बोझ और असफल इंसान की तरह महसूस कर रही थी, और अब उसके लिए इस दुनिया में रहना असहनीय हो गया था। इसलिए, उसने सिग्नेचर ब्रिज से छलांग लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त करने का फैसला किया।
'इस तरह जीना अब और नहीं सहा जाता'
स्नेहा ने अपने सुसाइड नोट में लिखा, "मैं ये कदम अपने फैसले से उठा रही हूं, मुझे किसी ने उकसाया नहीं है।" उसने आगे लिखा कि वह 7 जुलाई की सुबह सिग्नेचर ब्रिज से कूदकर आत्महत्या करने जा रही है, क्योंकि अब उसकी मानसिक और भावनात्मक स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि आगे जीना एक बोझ बन चुका है। उसने यह भी स्पष्ट किया कि उसके इस निर्णय में किसी और की कोई गलती नहीं है—"गलती सिर्फ मेरी है," उसने लिखा।
एक आखिरी सफर– दोस्त को छोड़ने गई थी स्टेशन
स्नेहा मूल रूप से त्रिपुरा की रहने वाली थीं और फिलहाल दक्षिण दिल्ली के महरौली थाना क्षेत्र के पर्यावरण कॉम्प्लेक्स में रहती थीं। 7 जुलाई की सुबह, उन्होंने अपनी मां को बताया था कि वह अपने दोस्त पटुनिया को रेलवे स्टेशन छोड़ने जा रही हैं। लेकिन उसके बाद वह कभी घर नहीं लौटीं।
जब काफी देर तक स्नेहा का कुछ पता नहीं चला तो परिजनों ने हर जगह उसे ढूंढा और महरौली थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। जांच के दौरान कैब ड्राइवर से पूछताछ में पता चला कि उसने स्नेहा को दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज पर छोड़ा था। वहीं से उसकी गुमशुदगी की परतें खुलनी शुरू हुईं।
भावनात्मक तूफान से जूझती एक बेटी
यह घटना न सिर्फ एक लड़की की आत्महत्या है, बल्कि समाज के उस दबाव की गवाही भी है जिसमें युवा खुद को खो देते हैं। स्नेहा की चुप्पी में जो चीख थी, वह अब सुसाइड नोट के ज़रिए दुनिया तक पहुंची है। हर उस इंसान के लिए यह एक चेतावनी है जो अकेलेपन से लड़ रहा है—कि मदद मांगना कमजोरी नहीं, बल्कि हिम्मत है।














