
राज्यसभा में विपक्ष के शोर-शराबे के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट लहजे में जवाब देते हुए कहा कि यदि किसी को 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता पर संदेह है, तो वह यूट्यूब पर जाकर देखे कि अंतिम संस्कार किसका हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने जिस प्रकार आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की, उसे पूरी दुनिया ने देखा और सराहा है। उन्होंने दो टूक कहा कि पहलगाम का हमला न केवल निंदनीय है, बल्कि यह देश की सहनशीलता की रेखा पार कर चुका है। ऐसे मामलों में दोषियों को सज़ा देना और पीड़ितों को न्याय दिलाना अनिवार्य है।
भारत का आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक अभियान
जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद से लड़ना आज सिर्फ भारत का नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर हमारा साझा उद्देश्य बन चुका है। भारत ने आतंकवाद के मसले को अंतरराष्ट्रीय फोरम्स पर बार-बार उठाया है। उन्होंने कहा कि हमने पाकिस्तान के आतंकवाद को हर वैश्विक मंच पर उजागर किया और उसे दुनिया के सामने बेनकाब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
पहले की सरकारों पर तंज
विदेश मंत्री ने कहा कि अतीत की सरकारों की नीति ही अलग थी। पाकिस्तान से संवाद के नाम पर उन्हें यह तक कह दिया जाता था कि "हम दोनों ही आतंकवाद से पीड़ित हैं"। जयशंकर ने मुंबई 2008 हमले और मुंबई लोकल ट्रेन धमाकों का उदाहरण देते हुए कहा कि इतने गंभीर हमलों के बावजूद तत्कालीन सरकार कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं देती थी। वे सीधे बातचीत की मेज पर बैठ जाते थे, जिससे आतंकी घटनाओं को सामान्य बना दिया गया। उन्होंने कहा, “अगर आप ऐसी घटनाओं को सामान्य मान लेंगे, तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय आपको गंभीरता से नहीं लेगा।”
पीएम मोदी की सरकार में हुआ परिवर्तन
जयशंकर ने बताया कि पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में आतंकवाद को लेकर भारत की नीति में बड़ा बदलाव आया है। आतंकवाद अब सिर्फ देश का नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय एजेंडा बन चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी की रणनीतिक सोच का ही परिणाम है कि आज वैश्विक मंचों पर आतंकवाद एक बड़ी चर्चा का विषय बन पाया है। उन्होंने बताया कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर और अब्दुल रहमान मक्की जैसे कट्टर आतंकियों को सूचीबद्ध करवाने में सफलता प्राप्त की है।
पहलगाम हमला—धर्म के आधार पर नरसंहार
जयशंकर ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा कि यह हमला पूरी तरह बर्बर और अस्वीकार्य था। उन्होंने कहा कि इसमें आतंकियों ने लक्ष्मण रेखा को पार करते हुए धर्म पूछ-पूछकर 26 मासूमों की हत्या कर दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कायराना हरकत के दोषियों को सजा दिलाना और मारे गए निर्दोष नागरिकों के परिजनों को न्याय दिलाना सरकार की प्राथमिकता है।














