हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता पर बदमाशों ने की फायरिंग, अजमेर दरगाह में मंदिर होने का किया था दावा
By: Sandeep Gupta Sat, 25 Jan 2025 09:46:34
सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने वाले हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता पर शनिवार सुबह हमला हुआ। वे अजमेर से दिल्ली जा रहे थे, तभी गगवाना लाडपुरा पुलिया पर दो अज्ञात बदमाशों ने उनकी कार पर फायरिंग कर दी। गनीमत रही कि गुप्ता बाल-बाल बच गए और इस हमले में किसी को कोई चोट नहीं आई। घटना के तुरंत बाद गुप्ता ने पुलिस को फोन कर जानकारी दी, जिस पर स्थानीय गेगल और सिविल लाइन थाना पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की।
पहले फोन पर दी थी धमकी
विष्णु गुप्ता ने खुद मीडिया को इस हमले की जानकारी दी और एक फोटो साझा की, जिसमें उनकी कार पर लगे गोली के निशान साफ नजर आ रहे हैं। गुप्ता ने पहले ही कोर्ट को लिखित अर्जी दी थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि उनकी जान को खतरा है। उन्हें कई बार जान से मारने की धमकी मिल चुकी थी। इसके चलते कल कोर्ट में सुनवाई के दौरान केवल चुनिंदा लोगों को ही प्रवेश की अनुमति दी गई थी। हालांकि, आज दिल्ली जाते समय दो अज्ञात बदमाशों ने उनकी कार पर फायरिंग कर दी।
कल कोर्ट सुनवाई में क्या हुआ था?
विष्णु गुप्ता ने अदालत में याचिका दाखिल करते हुए दावा किया कि अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह उस स्थान पर बनाई गई थी, जहां पहले एक शिव मंदिर था। गुप्ता ने अदालत से आग्रह किया कि इस मंदिर का पता लगाने के लिए सर्वे कराया जाए। शुक्रवार सुबह इस मामले की सुनवाई मनमोहन चंदेल की अदालत में हुई। गुप्ता ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए 1961 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि दरगाह पूजा करने का स्थल नहीं है और वहां खादिमों का कोई अधिकार नहीं है। इसके अलावा, जो लोग खुद को ख्वाजा साहब का वंशज बताते हैं, उनका भी कोई प्रमाण नहीं है। यह सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है।
सुनवाई के दौरान विष्णु गुप्ता का बयान
विष्णु गुप्ता ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "हमने पिछले आवेदनों पर अदालत के समक्ष अपना जवाब प्रस्तुत किया है। याचिका को खारिज करने के लिए आवेदन दिए गए थे, लेकिन हमने नए आवेदनों पर जवाब देने के लिए समय मांगा है। अब अदालत एक मार्च को इस मामले की अगली सुनवाई करेगी।" उन्होंने यह भी बताया कि अदालत ने पिछले साल 27 नवंबर को उनके वाद को स्वीकार करते हुए अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), दिल्ली को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
अजमेर शरीफ दरगाह के बारे में जानिए
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, फारस के एक प्रसिद्ध सूफी संत थे, जिन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय में अजमेर को अपना ठिकाना बनाया। कहा जाता है कि मुग़ल सम्राट हुमायूं ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की याद में इस दरगाह का निर्माण करवाया था। उनके पुत्र सम्राट अकबर हर साल इस दरगाह पर आते थे और श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना करते थे। बाद में सम्राट शाहजहां ने भी इस परिसर के अंदर मस्जिदों का निर्माण करवाया। अजमेर शरीफ दरगाह को भारत में मुस्लिम समुदाय के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है, जहाँ भक्तजन अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आते हैं और ख्वाजा साहब की दर पर आस्था प्रकट करते हैं।