कावंड़ यात्रा: भोजनालयों को नहीं लिखना होगा नाम, जारी रहेगा सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश
By: Rajesh Bhagtani Fri, 26 July 2024 3:12:39
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कुछ राज्य सरकारों के अधिकारियों द्वारा जारी निर्देशों पर रोक लगाते हुए अपना अंतरिम आदेश बरकरार रखा, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपनी दुकानों के बाहर अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया था। मामले पर सुनवाई स्थगित कर दी गई, अंतरिम रोक आदेश प्रभावी रहा। शीर्ष अदालत ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए जोर दिया, "हमारा आदेश स्पष्ट है। अगर कोई अपनी दुकान के बाहर स्वेच्छा से अपना नाम लिखना चाहता है, तो हमने उसे नहीं रोका है। हमारा आदेश था कि किसी को भी अपना नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।" देश की शीर्ष अदालत में यूपी सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर शुक्रवार (26 जुलाई) को सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने यूपी सरकार के नेमप्लेट लगाने के निर्देश पर रोक लगाने का फैसला बरकरार रखा और कहा कि अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल अपने जवाब में कहा कि दुकानों के नाम, नंबर और उनके कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए उसके द्वारा जारी निर्देशों का उद्देश्य सार्वजनिक सुरक्षा, व्यवस्था, व्यापक पारदर्शिता, यात्रा के दौरान कांवड़ियों द्वारा खाए जाने वाले भोजन के बारे में सूचित विकल्प सुनिश्चित करना और उनकी धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखना है।
निर्देश जारी होने के बाद इस मुद्दे पर विवाद शुरू हो गया, विपक्ष ने आरोप लगाया कि ये आदेश "सांप्रदायिक और विभाजनकारी" हैं, उनका दावा है कि ये मुसलमानों और अनुसूचित जातियों को अपनी पहचान बताने के लिए मजबूर करके निशाना बनाते हैं। इसके विपरीत, भाजपा ने निर्देश का बचाव करते हुए कहा कि इसे कानून और व्यवस्था की चिंताओं को दूर करने और कांवड़ यात्रा तीर्थयात्रियों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के लिए लागू किया गया था।
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि सिर्फ अभी तक यूपी सरकार ने जवाब दाखिल किया है। उत्तराखंड सरकार की तरफ से समय मांगा गया है। अदालत ने पूछा कि मध्य प्रदेश की तरफ से कौन है? एमपी के वकील ने कहा कि हम भी जवाब दाखिल करेंगे, लेकिन हमारे यहां कोई घटना नहीं हुई है। उज्जैन नगरपालिका ने कोई आदेश भी नहीं पारित किया है। दिल्ली के वकील ने कहा कि हमने कांवड़ मार्गों पर नेमप्लेट लगाने को लेकर कोई आदेश पारित नहीं किया है।
अदालत को बताया गया कि कांवड़ियों के एक समूह की तरफ से भी एक आवेदन दाखिल हुआ है। यूपी की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देश पर एकतरफा रोक लगा दी गई है। इस मामले पर जल्द सुनवाई होनी चाहिए, नहीं तो यात्रा पूरी हो जाएगी।
इसके जवाब में याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 60 साल से यह आदेश नहीं आया था। अगर इस साल लागू नहीं हो पाया तो कुछ नहीं बिगड़ जाएगा। कोर्ट विस्तार से सुन कर फैसला करे। इस पर रोहतगी ने बताया कि केंद्रीय कानून है कि रेस्टोरेंट मालिक नाम लिखें। इसे तो पूरे देश में लागू होना चाहिए।