राजस्थान की 3 प्रमुख हस्तियों को पद्म श्री सम्मान: बतूल बेगम, बैजनाथ महाराज और शीन काफ निजाम – जानिए इनकी प्रेरणादायक कहानियाँ
By: Sandeep Gupta Sun, 26 Jan 2025 10:20:35
भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) की पूर्व संध्या पर शनिवार को पद्म सम्मान 2025 की घोषणा की। इस साल 7 हस्तियों को पद्म विभूषण और 19 हस्तियों को पद्म भूषण से सम्मानित किया जाएगा।
पद्म विभूषण से सम्मानित हस्तियां:
- दुव्वुर नागेश्वर रेड्डी (मेडिसिन)
- न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जगदीश सिंह खेहरसार्वजनिक मामले)
- कुमुदिनी रजनीकांत लाखिया (कला)
- लक्ष्मीनारायण सुब्रमण्यम (कला)
- एम. टी. वासुदेवन नायर (साहित्य और शिक्षा) - मरणोपरांत
- ओसामु सुजुकी (व्यापार और उद्योग) - मरणोपरांत
- शारदा सिन्हा (कला) - मरणोपरांत
पद्म भूषण से सम्मानित हस्तियां:
- ए सूर्य प्रकाश (साहित्य और शिक्षा - पत्रकारिता)
- अनंत नाग (कला)
- बिबेक देबरॉय (साहित्य और शिक्षा) - मरणोपरांत
- जतिन गोस्वामी (कला)
- जोस चाको पेरियाप्पुरम (चिकित्सा)
- कैलाश नाथ दीक्षित (अन्य - पुरातत्व)
- मनोहर जोशी (सार्वजनिक मामले) - मरणोपरांत
- नल्ली कुप्पुस्वामी चेट्टी (व्यापार और उद्योग)
- नंदमुरी बालकृष्ण (कला)
- पीआर श्रीजेश (खेल)
- पंकज पटेल (व्यापार और उद्योग)
- पंकज उधास (कला) - मरणोपरांत
- रामबहादुर राय (साहित्य और शिक्षा - पत्रकारिता)
- साध्वी ऋतंभरा (सामाजिक कार्य)
- एस अजित कुमार (कला)
- शेखर कपूर (कला)
- सुशील कुमार मोदी (सार्वजनिक मामले) - मरणोपरांत
- विनोद धाम (विज्ञान और अभियांत्रिकी)
राजस्थान की लोकगायिका बेगम बतूल को पद्म श्री सम्मान
राजस्थान की प्रसिद्ध लोकगायिका बेगम बतूल को इस साल पद्म श्री सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा हुई है। जयपुर की इस लोकगायिका की विशेषता उनकी कला में छुपी सांप्रदायिक सौहार्द है। वे हिंदू भजन और मुस्लिम मांड को इतनी खूबसूरती से प्रस्तुत करती हैं कि उनके शब्द दिलों को छू जाते हैं। मुस्लिम होते हुए भी बेगम बतूल ने हिंदू देवी-देवताओं के भजनों को बड़े प्रेम और भक्ति भाव से गाया है। उनकी गायकी सुनकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। यह सम्मान उनकी कला और सांस्कृतिक एकता के प्रति योगदान का प्रमाण है।
राजस्थान के आध्यात्मिक गुरु बैजनाथ महाराज को भी पद्म श्री
राजस्थान के आध्यात्मिक गुरु बैजनाथ महाराज को भी पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किए जाने की घोषणा हुई है। सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ निवासी बैजनाथ महाराज ने अध्यात्मवाद के क्षेत्र में अनमोल योगदान दिया है। वे 1995 से श्रीनाथजी आश्रम की गद्दी पर विराजमान हैं और अपने ज्ञान तथा साधना के माध्यम से समाज को मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं।
6 साल की उम्र में बने श्रद्धानाथ जी महाराज के शिष्य
लक्ष्मणगढ़ स्थित श्रद्धानाथजी आश्रम के पीठाधीश्वर संत बैजनाथ जी महाराज का जन्म 1935 में पास के गांव पनलावा में हुआ। केवल 6 साल की उम्र में ही वे नाथ संप्रदाय के विलक्षण अवधूत संत श्रद्धानाथ जी महाराज के शिष्य बन गए। इस दौरान उन्हें बैजनाथ नाम दिया गया। श्रद्धानाथ जी महाराज के साथ उन्होंने भारत के विभिन्न तीर्थ स्थलों का भ्रमण किया, जिससे उनका आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण मजबूत हुआ।
शिक्षा के प्रति योगदान:
1960 से 1985 तक संत बैजनाथ महाराज ने ग्राम भारती विद्यापीठ कोठ्यारी में प्राचार्य के पद पर कार्य किया। इस दौरान उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार करते हुए जागरूकता की अलख जगाई। 1985 में सेवानिवृत्त होने के बाद, परम संत श्रद्धानाथ जी महाराज ने उन्हें आधिकारिक रूप से अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। तब से संत बैजनाथ महाराज न केवल आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं, बल्कि अपने शिष्यों और अनुयायियों के बीच आध्यात्मिक शिक्षा का प्रसार भी कर रहे हैं।
हजारों बच्चों को वैदिक शिक्षा दे रहे बैजनाथ महाराज
संत बैजनाथ जी महाराज, लक्ष्मणगढ़ स्थित श्रद्धानाथ जी महाराज आश्रम के पीठाधीश्वर के रूप में, सनातन धर्म और वैदिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार में वर्षों से समर्पित हैं। उन्होंने वैदिक परंपराओं को जीवित रखने और आने वाली पीढ़ियों में ज्ञान का संचार करने के उद्देश्य से श्रद्धा संस्कृत विद्यापीठ की स्थापना की। इस संस्थान के माध्यम से, हजारों बच्चों को योग और वैदिक शिक्षा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
योग शिक्षा में योगदान:
योग की महत्ता को जन-जन तक पहुँचाने के लिए उन्होंने श्रद्धा योग व शिक्षण संस्थान की स्थापना की। यह संस्थान आज भी सैकड़ों बच्चों को योग के माध्यम से शिक्षित करने और उनके व्यक्तित्व विकास में योगदान दे रहा है।
गरीबों और असहायों के प्रति सेवा भाव:
संत बैजनाथ महाराज न केवल शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि समाज सेवा में भी आगे हैं। वे हमेशा गरीबों और असहाय लोगों की मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं, जिससे उनके प्रति समाज में गहरी आस्था और सम्मान बना हुआ है।
राजस्थान के प्रसिद्ध लेखक शीन काफ निजाम (शिव किशन बिस्सा) को पद्म श्री सम्मान
राजस्थान से पद्म श्री सम्मान पाने वाले दूसरे प्रमुख व्यक्तित्व शीन काफ निजाम, जिन्हें उनके असली नाम शिव किशन बिस्सा से भी जाना जाता है, उर्दू साहित्य के प्रतिष्ठित शायर हैं। जोधपुर निवासी शीन काफ निजाम ने साहित्य की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। उनके घरवालों ने उनका नाम शिव रखा था, लेकिन उन्होंने लेखन में शीन काफ निजाम नाम अपनाया, और इसी नाम ने उन्हें प्रसिद्धि के शिखर तक पहुँचाया।
साहित्य में योगदान और सम्मान:
शीन काफ निजाम को उनकी उत्कृष्ट काव्य कृतियों के लिए 2010 में साहित्य अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके प्रसिद्ध कविता संग्रह "गुमशुदा दैर की गूंजती घंटियां" के लिए दिया गया था।
प्रसिद्ध गीतकार गुलजार की टिप्पणी:
शीन काफ निजाम के साहित्यिक कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रसिद्ध गीतकार गुलजार ने उनके बारे में कहा था, "मैं अपनी गजलें शीन काफ निजाम को भेजता हूं और अपना लिखा हुआ उनसे एडिट करवाता हूं।"
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