दिल्ली कोर्ट से मनीष सिसोदिया को नहीं मिली राहत, 26 अप्रैल तक बढ़ी न्यायिक हिरासत

By: Shilpa Thu, 18 Apr 2024 4:44:57

दिल्ली कोर्ट से मनीष सिसोदिया को नहीं मिली राहत, 26 अप्रैल तक बढ़ी न्यायिक हिरासत

नई दिल्ली। दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व डिप्टी सीएम और AAP नेता मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 26 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी गई है। दिल्ली राउज ऐवन्यू कोर्ट शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को करेगा। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आरोपियों को उन डॉक्यूमेंट की लिस्ट देने का निर्देश भी दिया। इन डॉक्यूमेंट की जांच अभी पूरी नहीं हुई है। इससे पहले कोर्ट ने आम आदमी पार्टी नेता मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 18 अप्रैल तक बढ़ाई थी।

ED ने दावा किया है कि दिल्ली शराब नीति को तैयार करने और लागू करने में कथित भ्रष्टाचार हुआ है। इसके मुख्य साजिशकर्ता दिल्ली के सीएम अरविंद केजीरावल हैं। पूरे मामले में केजरीवाल के साथ कई AAP नेता और मंत्री शामिल भी शामिल हैं। हाल ही में दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 23 अप्रैल तक बढ़ी दी गई है। दिल्ली सीएम को ED ने मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था।

AAP नेता की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान उनके वकील मोहित माथुर ने दलील दी थी। वकील ने कहा कि मामले की जांच पूरी करने में देरी की जा रही है। वकील ने एक अन्य आरोपी बेनॉय बाबू को दी गई जमानत का हवाला देते हुए कहा कि मनीष सिसोदिया अब प्रभावशाली पद पर नहीं हैं। दरअसल, ED और CBI दोनों ही दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले मे सिसोदिया की भूमिका की जांच कर रही है।

पहले भी ED ने लगाए थे गंभीर आरोप

इससे पहले दिल्ली शराब नीति मामले में आरोपी मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर 15 अप्रैल को सुनवाई हुई। इस दौरान जांच एजेंसी ईडी ने कोर्ट में याचिका का विरोध करते हुए कहा कि गंभीर मामलों में ट्रायल में देरी आरोपी के लिए जमानत का आधार नहीं हो सकता।

कोर्ट ने 12 अप्रैल को कोर्ट ने सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी कर हफ्ते भर में अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। सिसोदिया की ओर से चुनाव में प्रचार के लिए जमानत पाने के लिए याचिका लगाई गई है। इस पर सोमवार को दोनों जांच एजेंसियों ने अपने-अपने तर्क रखे और जमानत याचिका का विरोध किया। मामले में अब 20 अप्रैल को सीबीआई की दलीलें सुनी जाएंगी। इसके बाद कोर्ट जमानत याचिका पर फैसला देगा।

सुनवाई के दौरान ईडी ने कोर्ट से कहा कि अगर मनीष सिसोदिया के वकील सिर्फ ट्रायल में देरी को लेकर जमानत के लिए दबाव बना रहे हैं तो इस मुद्दे को लेकर उनको हलफनामा देना चाहिए। पहले भी हमने कोर्ट को बताया है कि बड़ी संख्या में आवेदन दायर किए गए थे। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि केस बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। वे कह रहे हैं कि वे केवल देरी पर बहस करना चाहते हैं। मेरी आशंका है यदि आदेश केवल देरी के आधार पर पारित किया गया है, तो बाद में आदेश को चुनौती देने का आधार यह नहीं होना चाहिए कि ट्रायल कोर्ट ने योग्यता के आधार पर मामले पर विचार नहीं किया।

इस पर सिसोदिया के वकील ने कहा कि इन सभी योग्यताओं और दस्तावेजों, सबूतों आदि पर न केवल दोनों पक्षों द्वारा बहस की गई, न केवल सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुन: प्रस्तुत किया गया, बल्कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई पैराग्राफों में इसका निपटारा भी किया गया है। हमने तर्क दिया कि सिसोदिया अनिश्चित काल तक सलाखों के पीछे नहीं रह सकते और सुप्रीम कोर्ट ने उनके तर्क को स्वीकार कर लिया और कहा कि मुकदमे से पहले सजा नहीं दी जा सकती।

ईडी ने इस पर कहा कि सिसोदिया को हलफनामा दायर करना चाहिए कि वे देरी के पहलू पर दबाव डाल रहे हैं और योग्यता पर दबाव नहीं डाल रहे हैं। कोर्ट ने सिसोदिया के वकील से पूछा- क्या आप ऐसा हलफनामा दाखिल करने के लिए तैयार हैं?

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