
बेंगलुरु। देश की संवैधानिक व्यवस्था भले ही समानता की गारंटी देती हो, लेकिन उच्च शिक्षा संस्थानों में दलित, बहुजन और आदिवासी समुदाय के छात्रों को आज भी व्यवस्थागत भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। लंबे समय से इस भेदभाव को रोकने के लिए ‘रोहित वेमुला अधिनियम’ की मांग की जा रही थी, जिसे अब कर्नाटक सरकार जल्द लागू कर सकती है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का एलान
18 अप्रैल को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस दिशा में एक अहम घोषणा की। उन्होंने कहा, "हमारी सरकार की प्रतिबद्धता है कि किसी भी छात्र को जाति, धर्म या वर्ग के आधार पर भेदभाव नहीं झेलना पड़े। रोहित वेमुला अधिनियम, छात्रों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करने के लिए लागू किया जाएगा, जिससे किसी और रोहित, पायल या निर्मला को अपनी जान न गंवानी पड़े।"
राहुल गांधी ने भी जताई चिंता
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। उन्होंने लिखा, "यह बेहद शर्मनाक है कि आज भी लाखों दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के छात्रों को हमारे शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव और मानसिक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। इसके खिलाफ एक सशक्त कानून की सख्त जरूरत है।"
शिक्षाविदों और सामाजिक संगठनों का समर्थन
बेंगलुरु विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. आशना सिंह ने इस कदम को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा, "मौजूदा नियमों में कमी नहीं है, लेकिन उनका क्रियान्वयन बेहद कमजोर रहा है। रोहित वेमुला एक्ट से जवाबदेही तय होगी और संस्थागत रवैये में बदलाव आएगा।"
वहीं, पीपुल्स मूवमेंट फॉर चेंज से जुड़ी वकील मैत्रेयी कृष्णन ने कहा, "इस अधिनियम के तहत निगरानी समितियों में दलित छात्रों की भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए, ताकि न्याय का स्वरूप न केवल कागज़ों में बल्कि जमीनी स्तर पर दिखे।"
आंकड़े हैं चिंताजनक
2014 से 2021 के बीच आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 122 छात्रों ने आत्महत्या की, जिनमें से 68 एससी, एसटी या ओबीसी समुदाय से थे। वहीं, 2018 से 2023 तक 13,000 से अधिक दलित छात्रों ने विभिन्न कारणों से केंद्रीय विश्वविद्यालयों से ड्रॉपआउट किया।
क्या है रोहित वेमुला अधिनियम?
यह कानून विशेष रूप से अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी और अन्य वंचित समुदायों के छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र में भेदभाव और उत्पीड़न से बचाने के लिए प्रस्तावित है। इसका नाम हैदराबाद विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्र रोहित वेमुला की स्मृति में रखा गया, जिन्होंने 2016 में कथित संस्थागत भेदभाव से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी।














