जेल में बंद कैदियों की समय से पहले रिहाई पर SC का अहम फैसला
By: Rajesh Bhagtani Thu, 21 Sept 2023 7:04:21
नई दिल्ली। दोषियों की समय से पहले रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लंबे वक्त से जेल में बंद कैदियों को समय से पहले रिहाई से इनकार करना समानता और जीने के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के साथ 26 साल से जेल में बंद उम्रकैद के सजायाफ्ता को रिहा करने का आदेश दिया। ये फैसला केरल में एक महिला की हत्या और डकैती के लिए दोषी ठहराए गए जोसेफ नामक कैदी की याचिका पर दिया गया है, वो 1998 से केरल की जेल में बंद था।
अदालत ने कैदियों के पुनर्वास और सुधार पर विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया जो सलाखों के पीछे रहने के दौरान काफी हद तक बदल गए हों। गुरुवार को फैसला सुनाते हुए जस्टिस एस रवींद्र भट और दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि लंबे समय से बंद कैदियों को समय से पहले रिहाई की राहत से वंचित करना न केवल उनकी आत्मा को कुचलता है और उनमें निराशा पैदा करता है। साथ ही यह समाज के कठोर और क्षमा न करने के संकल्प को भी दर्शाता है। अच्छे आचरण के लिए कैदी को पुरस्कृत करने का विचार पूरी तरह से नकार दिया गया है। जस्टिस भट ने कहा कि यह मामला दया याचिका और लंबे समय से जेल में बंद कैदियों के इलाज के पुनर्मूल्यांकन से संबंधित है।
दोषी पर क्या थे आरोप?
दोषी पर 1994 में एक महिला के बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया गया था। 1996 में, ट्रायल कोर्ट ने उसे बरी कर दिया था। हालांकि 1998 में हाईकोर्ट ने बरी करने के फैसले को पलट दिया और उसे हत्या और डकैती के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया था। साथ ही आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी 2000 में दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखा था।
याचिकाकर्ता ने भेदभाव का मुद्दा उठाया
याचिकाकर्ता ने भेदभाव का आधार भी उठाया कि समान अपराध करने वाले व्यक्तियों को रिहा कर दिया गया था। फैसले में कैदियों की रिहाई के मूल्यांकन में अच्छे व्यवहार और पुनर्वास जैसे कारकों पर विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। न्यायालय ने कहा कि दोषी को कारावास की लंबी अवधि को देखते हुए फिर से छूट सलाहकार बोर्ड से संपर्क करने के लिए कहना एक "क्रूर परिणाम" होगा। न्यायालय ने उसकी तत्काल रिहाई का आदेश देते हुए कहा कि कानून के शासन की भव्य दृष्टि और निष्पक्षता का विचार प्रक्रिया की वेदी पर बह गया है, जिसे इस अदालत ने बार-बार न्याय की दासी माना है।