गुजरात: कोरोना से ठीक हुए मरीजों को अब काली फफूंद का खतरा, सूरत में 10 लोगों की हुई मौत

By: Pinki Sat, 08 May 2021 10:09:42

गुजरात: कोरोना से ठीक हुए मरीजों को अब काली फफूंद का खतरा, सूरत में 10 लोगों की हुई मौत

देश में बढ़ते कोरोना के बीच अब संक्रमण से ठीक हुए मरीजों में म्यूकोर मायकोसिस यानी काली फफूंद नामक बीमारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। गुजरात में म्यूकोर मायकोसिस के 400 से अधिक केस सामने आ चुके है, अहमदाबाद में करीब 150 तथा वडोदरा व राजकोट में भी 200 से अधिक लोग इस बीमारी से ग्रसित हो चुके है। गुजरात के राजकोट में इस रोग से पीड़ितों का अलग वार्ड बनाया गया है।

चिकित्सकों का कहना है कि इस रोग के प्राथमिक लक्षणों को लेकर उपेक्षा भारी पड़ रही है। बड़ी संख्या में लोगों की आँखों को निकालकर उनकी जान बचाई जा रही है। सूरत में इस बीमारी से अब तक 10 मरीजों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। डोक्टरों का कहना है कि कोरोना से ठीक हुए मधुमेह से पीड़ित मरीजों में म्यूकोर मायकोसिस की शिकायत मिल रही है। कोरोना की पहली लहर में म्यूकोर मायकोसिस के केस नहीं देखे गए, लेकिन अब दूसरी लहर के साथ सूरत में इसके मामले भी सामने आ रहे हैं।

क्या है म्यूकोर माइकोसिस?

म्यूकोर माइकोसिस एक प्रकार की फफूंद जनित संक्रमण है जो काफी तेजी से फैलता है। दो सप्ताह में इसके काफी केस सामने आए हैं। यह काफी खतरनाक है, नाक व साइनस से शुरू होकर आंख व दिमाग तक चला जाता है। नाक व इसके आसपास दर्द हो, नाक बहने लगे अथवा खून का रिसाव हो तो इसकी तुरंत जांच करानी चाहिए।

इसका संक्रमण होने पर आंख में धीरे धीरे गंदगी जमने लगती है। इससे बचने के लिए मास्क पहनें, नाक व आंख में अंगूली नहीं करें। गर्म पानी पीते रहें तथा आंख व नाक को स्वच्छ रखें। उनके के मुताबिक सिर में असहनीय दर्द, आंख लाल होने, आंख में तेज दर्द, आंख से पानी गिरने, खून आने इत्यादि पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे।

स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बढ़ रहे मामले

डॉक्टरों का कहना है कि मधुमेह के अनियंत्रित होने तथा कोरोना के उपचार के दौरान स्टेरॉयड देने की वजह से म्यूकोर मायकोसिस हो रहा है। होम आइसोलेशन में लोग खुद भी स्टेरॉयड लेते हैं, कई बार शुगर लेवल बढ़ जाता है जिससे म्यूकोर माइकोसिस की संभावना भी बढ़ जाती है। ऐसे में नाक, आंख और मुंह को साफ रखना चाहिए। इसके साथ ही प्रारंभिक लक्ष्ण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर शुरुआत में उपचार कराया जाए तो आंख व मरीज की जान बचाई जा सकती है।

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