Chandrayaan 2 : समाप्त हो गया चंद्र मिशन, लैंडर 'विक्रम' से संपर्क करने की अब नहीं कोई उम्मीद
By: Pinki Sat, 07 Sept 2019 3:27:19
भारत के चंद्र मिशन (Chandra Mission) को उस समय झटका लगा, जब लैंडर विक्रम से चंद्रमा (Moon) की सतह से महज दो किलोमीटर पहले इसरो (ISRO) का संपर्क टूट गया। इसरो का मिशन चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) भले ही इतिहास नहीं बना सका लेकिन वैज्ञानिकों के जज्बे को देश सलाम कर रहा है। वही चंद्रयान-2 मिशन से करीब से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, 'लैंडर से कोई संपर्क नहीं है। यह लगभग समाप्त हो गया है। कोई उम्मीद नहीं है। लैंडर से दोबारा संपर्क स्थापित करना बहुत ही मुश्किल है।' चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) मिशन से जुड़े एक वरिष्ठ इसरो (ISRO) के अधिकारी ने शनिवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने ‘विक्रम’ लैंडर और उसमें मौजूद ‘प्रज्ञान’ रोवर से संपर्क खो दिया है। उन्होंने कहा कि लैंडर से अब कोई संपर्क की उम्मीद न के बराबर है। यह लगभग समाप्त हो गया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) के अध्यक्ष के़ सिवन ने कहा, ‘विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य तरीके से नीचे उतरा। इसके बाद लैंडर का धरती से संपर्क टूट गया। आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है।’
डॉ विक्रम ए साराभाई के नाम से था मिशन
चंद्रयान-2 मिशन के तहत भेजा गया 1,471 किलोग्राम वजनी लैंडर ‘विक्रम’ भारत का पहला मिशन था, जो स्वदेशी तकनीक की मदद से चंद्रमा पर खोज करने के लिए भेजा गया था। लैंडर का यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ।विक्रम ए साराभाई पर दिया गया था।
चंद्रमा की सतह पर चलने के लिए बनाया था ‘प्रज्ञान’
इसे चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया था और इसे एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर काम करना था। लैंडर विक्रम के भीतर 27 किलोग्राम वजनी रोवर ‘प्रज्ञान’ था। सौर ऊर्जा से चलने वाले प्रज्ञान को उतरने के स्थान से 500 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर चलने के लिए बनाया गया था।
रोवर में लगे थे दो उपकरण
इसरो के मुताबिक लैंडर में सतह और उपसतह पर प्रयोग करने के लिए तीन उपकरण लगे थे, जबकि चंद्रमा की सहत को समझने के लिए रोवर में दो उपकरण लगे थे। मिशन में ऑर्बिटर की आयु एक साल है।
मुश्किल से सफल हुए विकिसत देश
भले ही चांद पर मानव के पहुंचने के 50 साल हो गए हों लेकिन तमाम विकसित देशों के लिए भी चांद को छूना आसान नहीं रहा है। रूस ने 1958 से 1976 के बीच करीब 33 मिशन चांद की तरफ रवाना किए, इनमें से 26 अपनी मंजिल नहीं पा सके। वहीं अमेरिका भी इस होड़ में पीछे नहीं था। 1958 से 1972 तक अमेरिका के 31 मिशनों में से 17 नाकाम रहे।
यही नहीं अमेरिका ने 1969 से 1972 के बीच 6 मानव मिशन भी भेजे। इन मिशनों में 24 अंतरिक्ष यात्री चांद के करीब पहुंच गए लेकिन सिर्फ 12 ही चांद की जमीन पर उतर पाए। इसके अलावा इसी साल अप्रैल में इजरायल का भी मिशन चांद अधूरा रह गया था। इजरायल की एक प्राइवेट कंपनी का ये मिशन 4 अप्रैल को चंद्रमा की कक्षा में तो आ गया लेकिन 10 किलोमीटर दूर रहते ही पृथ्वी से इसका संपर्क टूट गया।