10वीं के बाद CBSE 12वीं की परीक्षा भी रद्द, प्रधानमंत्री ने कहा- छात्रों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता
By: Pinki Tue, 01 June 2021 7:48:14
केंद्र सरकार ने इस साल CBSE 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में परीक्षा को लेकर हुई बैठक में यह फैसला किया गया। मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे माहौल में छात्रों को परीक्षा का तनाव देना ठीक नहीं है। हम उनकी जान खतरे में नहीं डाल सकते। महामारी के प्रकोप के बीच सीबीएसई परीक्षा के आयोजन को लेकर हुई इस उच्च स्तरीय बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रकाश जावड़ेकर, पीयूष गोयल, धर्मेन्द्र प्रधान, निर्मला सीतारमण एवं शिक्षा मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे। इस बैठक में सीबीएसई के चेयरमैन ने भी भाग लिया। सू्त्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री के सामने परीक्षा कराने के सभी विकल्प रखे गए। ये विकल्प राज्य सरकारों और CBSE बोर्ड के साथ लंबी चर्चा के बाद तैयार किए गए थे।
सरकार ने बयान जारी कर कहा कि पिछले साल की तरह यदि कुछ छात्र परीक्षा देने की इच्छा रखते हैं, तो स्थिति अनुकूल होने पर सीबीएसई द्वारा उन्हें ऐसा विकल्प प्रदान किया जाएगा। कोविड के कारण अनिश्चित परिस्थितियों और हितधारकों से प्राप्त प्रतिक्रिया को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि इस वर्ष कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी। सीबीएसई कक्षा 12 के छात्रों के रिजल्ट को समयबद्ध तरीके से अच्छी तरह से परिभाषित उद्देश्य मानदंडों के अनुसार संकलित करने के लिए कदम उठाएगा।
बता दे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 12वीं की परीक्षाएं रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि पिछली परफॉर्मेंस के आधार पर छात्रों का आकलन किया जाए। केजरीवाल ने कहा कि पेरेंट्स परेशान हैं। वो नहीं चाहते हैं कि वैक्सीनेशन किए बिना परीक्षा हो।
I am glad 12th exams have been cancelled. All of us were very worried abt the health of our children. A big relief
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 1, 2021
परीक्षा रद्द होने के फैसले का सीएम केजरीवाल ने स्वागत करते हुए कहा, 'मुझे खुशी है कि 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी गई है। हम सब बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर काफी चिंतित थे। बड़ी राहत।'
इसी के साथ ही करीब 3000 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर परीक्षा के आयोजन के संबंध में स्वतः संज्ञान लेकर उन्हें रद्द करने की अपील की थी।
छात्रों का कहना था कि इस महामारी के बीच परीक्षा का आयोजन किया जाना न सिर्फ छात्रों बल्कि उनके परिवार वालों, टीचर्स और अन्य स्टाफ के लिए जान जोखिम में डालने जैसा काम था।