भीड़ हिंसा पर PM को लिखे पत्र के विरोध में कंगना और प्रसून जोशी सहित 61 दिग्गजो ने लिखा खुला खत
By: Pinki Fri, 26 July 2019 11:57:57
हाल में ही 49 बड़ी हस्तियों द्वारा भीड़ हिंसा को रोकने को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा था। अब 61 हस्तियों ने उस लेटर को ''चुनिंदा आक्रोश और झूठा आख्यान'' बताते हुए खुला खत लिखा है। इस खत को लिखने वाली हस्तियों में बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत, गीतकार प्रसून जोशी, क्लासिकल डांसर और सांसद सोनल मानसिंह, वादक पंडित विश्व मोहन भट्ट, फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर और विवेक अग्निहोत्री शामिल हैं। खुले खत में लिखा है कि देश के 49 स्वयंभू संरक्षक और विवेकियों ने लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर एक बार फिर से चयनात्मक चिंता व्यक्त की है जिससे स्पष्ट तौर पर राजनीतिक पूर्वाग्रह का प्रदर्शन होता है। खत में झूठे और अपमानजनक आरोपों पर सवाल उठाए गए हैं। इसमें पूछा गया है कि जब आदिवासी और हाशिए पर मौजूद लोगों को नक्सलियों द्वारा निशाना बनाया जाता है तब सेलिब्रिटी चुप क्यों रहते हैं।
The 61 personalities who have written an open letter against 'selective outrage and false narratives'. pic.twitter.com/Fdeac3KCri
— ANI (@ANI) July 26, 2019
क्या लिखा था पीएम को भेजे गए चिट्ठी में ?
प्यारे प्रधानमंत्री, हम शांति के पक्षधर और देश पर गर्व महसूस करने वाले लोग हाल के दिनों में हमारे प्यारे मुल्क में घटी दुखद घटनाओं को लेकर फिक्रमंद हैं।
हमारे संविधान में भारत को धर्म निरपेक्ष सामाजिक लोकतंत्रिक और गणतांत्रिक बताया गया है, जहां हर नागरिक, फिर वो चाहे किसी भी धर्म, नस्ल, लिंग या जाति का हो वो बराबर है। इसलिए हर नागरिक को मिले संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- मुसलमानों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों की लिंचिंग को तुरंत रोका जाए। हम एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो) की रिपोर्ट्स देख कर हैरान हैं कि साल 2016 में दलितों के खिलाफ अत्याचार के कम से कम 840 मामले सामने आए थे, और इन मामलों में आरोप साबित होने का प्रतिशत लगातार गिरा है।
1 जनवरी 2009 से लेकर 26 अक्टूबर 2018 के (फैक्ट चेकर इनडाटाबेस। 30 अक्टूबर, 2018) दरमियान धार्मिक पहचान के आधार पर हेट क्राईम (नफरत आधारित अपराध) के 254 रिपोर्ट्स आईं, जिसमें 91 लोगों को मार दिया गया और 579 लोग घायल हुए। द सिटिज़ंस रिलीजियस हेट क्राईम वॉच ने ये रिकॉर्ड किया है कि 62 फीसदी मामलों में पीड़ित मुस्लिम हैं (भारत की आबादी में 14 फीसदी मुस्लिम आबादी है) और ईसाईयों के खिलाफ इस तरह के अपराध के 14 फीसदी ( भारत की आबादी में 2 फीसदी ईसाई आबादी है) मामले सामने आए हैं। लगभग 90 फीसदी हमलों के मामले मई 2014 के बाद के हैं। जब आपकी सरकार देश की सत्ता पर काबिज़ हुई।
प्रधानमंत्री जी आपने संसद में कुछ लिंचिंग की घटनाओं की आलोचना की है, लेकिन ये काफी नहीं है। अपराधियों के खिलाफ हकीकत में किस तरह का एक्शन लिया गया है? हम ये दृढ़ता से महसूस करते हैं कि इस तरह के अपराध को गैर-ज़मानती घोषित कर देना चाहिए और ये कड़ी सज़ा जल्द और निश्चित तौर पर मिलनी चाहिए। अगर हत्या के मामलों में बिना पेरोल के उम्रकैद की सज़ा दी जा सकती है, तो लिंचिंग के मामलों में क्यों नहीं ? जोकि और भी जघन्य है। अपने ही देश में किसी भी नागरिक को डर के साए में नहीं जीना चाहिए।
खेद जताते हुए कहना पड़ रहा है कि आज "जय श्री राम" एक उकसाने वाला 'नारा' बन गया है, जिससे कानून व्यवस्था के लिए दिक्कतें पैदा हो रही हैं। कई लिंचिंग इसी के नाम पर हुई हैं। ये हैरान करने वाली बात है कि हिंसा की इतनी घटनाएं धर्म के नाम पर हो रही हैं। ये मध्य युग नहीं है। भारत के बहुसंख्यक समुदाय के ज्यादातर लोगों के लिए राम का नाम पहुत पवित्र है। इस देश के सर्वोच्च कार्यकारी होने के नाते आपको राम के नाम को इस तरह से बदनाम होने से रोकना चाहिए।
- असहमति के बिना कोई लोकतंत्र नहीं होता। क्योंकि लोग सरकार से असहमति रखते हैं, इसके लिए उन्हें एंटी नैशनल या अर्बन नक्सल कहकर कैद नहीं किया जा सकता है। भारत के संविधान का आर्टिकल 19 बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हिफाज़त करता है, असहमति इसका अभिन्न अंग है।
सत्तारूढ़ पार्टी की आलोचना करने का मतलब देश की आलोचना नहीं है। सत्ता पर काबिज़ कोई भी पार्टी उस देश का पर्याय नहीं हो सकती, जहां वो पावर में है। वो सिर्फ उस देश की कई राजनैतिक पार्टियों में से एक होगी। इसलिए सरकार के खिलाफ कोई खड़ा होता है, तो उसे देश के खिलाफ खड़े होने के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। एक खुला माहौल, जहां असहमति को दबाया नहीं जाता हो, सिर्फ उसी से देश मज़बूत होता है। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे सुझावों को उसी जज़्बे के साथ लिया जाए, जैसे की ये हैं, एक भारतीय के तौर पर जो कि हकीकत में इन चीज़ों को लेकर फिक्रमंद है और इसको लेकर बेचैन है, हमारे मुल्क की किस्मत।
PM मोदी को चिट्ठी के समर्थन में नुसरत जहां, कहा - गाय के नाम पर, भगवान के नाम पर।।। खून खराबा बंद करें
नुसरत जहां (Nusrat Jahan) ने अपने ट्विटर हैंडल की हुई एक पोस्ट में लिखा है मुझे खुशी है कि हमारी सोसाइटी ने एक बहुत बुनियादी मुद्दा उठाया है। नुसरत जहां ने लिखा, 'आज जहां हर कोई सड़क, बिजली, विमानन जैसे मुद्दों पर बात कर रहा है, मुझे खुशी है कि सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने एक बहुत बुनियादी मुद्दा उठाया है, इंसान की जिंदगी।
नुसरत ने आगे लिखा, 'खैर मुझे हमारे नागरिकों से बहुत उम्मीद है कि वह अपनी आवाज उठाएंगे और अपना योगदान देंगे। नफरत के अपराध और मॉब लिंचिंग की घटनाएं हमारे देश में बढ़ती जा रही हैं। 2014 से लेकर 2019 के बीच में ये घटनाएं सबसे ज्यादा हुई हैं और इसमें दलितों, मुसलमानों और पिछड़ों को सबसे ज्यादा निशाना बनाया गया है। 2019 से लेकर अब तक 11 ऐसी घटनाएं और 4 हत्याएं हो चुकी हैं और ये सारे अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक थे।'