बेटियां पड़ रही हैं बेटों पर भारी, इस तरह से बढ़ाएं उनका आत्मविश्वास
By: Ankur Wed, 30 Mar 2022 2:26:40
महिला शसक्तीकरण की बात बीते कई दशक से होती आ रही हैं और बेटियां आज के समय में बेटों पर भारी भी पड़ रही हैं। लेकिन आज के इस हाईटेक दौर में भी बड़ी संख्या में ऐसी बेटियां हैं जिन्हें बेटे से कमतर आंका जाता हैं। दूसरे क्या खुद लड़कियां अपनेआप में आत्मविश्वास नहीं ला पा रही हैं। ऐसे में अपनी बेटी में आत्मविश्वास जगाने की जरूरत हैं ताकि वह समाज को मुंहतोड़ जवाब दे सकें। बेटियों में आत्मविश्वास बढ़ेगा तभी वे बिना किसी डर और भेदभाव की भावना को मन में रखे अपने लक्ष्य को हासिल कर सकेगी। इसलिए आज इस कड़ी में हम आपको कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से आप अपनी बेटियों में आत्मविश्वास को बढ़ा सकते हैं। तो आइये जानते हैं इनके बारे में...
खुद से प्रेम करना सिखाएं
लड़कियों को आइने से बहुत प्यार होता है। उनके इस प्रेम के आड़े मत आइए। इस सहारे वो अपने शरीर से प्यार करने लगती हैं। ऐसे में वो जैसी हैं खुद को वैसा ही स्वीकारना सीखती हैं। बॉडी शेमिंग महिलाओं के आत्मविश्वास को तोड़ देती है। खुद से प्रेम करना सीखेंगी तो बॉडी शेमिंग का भाव नहीं आ पाएगा। साथ ही आप भी ध्यान रखें कि बेटी के सामने उसके रंग और रूप कि चिंता न जताएं।
खुल कर बोलने का मौका दें
इतिहास गवाह है कि ज्यादातर लड़की होने के नाते बेटियों को अपने मन की बातें कहने से रोका गया है। अब आप वो साहस बने जिससे वो अपने दिल की बात सबके सामने कहने का बल पाए। बेटी क्या चाहती है ये आप तो जानने की कोशिश करें ही उसे सबके सामने शेयर करने का आत्महविश्वास भी दें।
दें बाहर निकलने की आजादी
कितना बोलती हो? कहां जाना है? छज्जे में क्यों खड़ी होती हो? देर तक बाहर क्यों? बड़े परिचित से सवाल हैं जो अक्सर सिर्फ महिलाओं से ही किए जाते हैं। ये करके आप उन्हें सिर्फ डरना सिखाते हैं। बाहर निकलना, लोगों से बात करने की कला उन्हें शुरू से सिखाने की जरूरत है। माना कि बाहरी कारणों से आपको अपनी बेटी की सबसे ज्यादा चिंता होती है, ऐसे में आप उनपर दूसरे तरीके से नजर रख सकते हैं।
जिम्मेदारी डालें
बाहर के कामों के लिए ज्यादातर बेटों को आगे किया जाता है। बेटियों से ऐसे काम मजबूरी पड़ने पर ही लिए जाते हैं। लेकिन आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए आपको ये फर्क करना बंद करना होगा। बैंक जाना, बिल जमा करना, घर के सदस्य को क्लीनिक ले जाना जैसे काम आपको शुरू से ही बेटी से भी करवाने चाहिए।
अपनी आवाज उठाना सिखाएं
बेटियों को अपने मन की बात कहने पर या अपनी आवाज उठाने पर अक्सर डांट दिया जाता है। जिससे उनके अंदर आत्मविश्वास की कमी होने लगती है। ऐसे में बेटियों को कॉन्फिडेंट बनाने के लिए जरूरी है, कि उन्हें अपनी बात कहने के लिए प्रेरित किया जाए। उनके मन की बात को सुना और समझा जाये। जिससे बेटियां खुलकर अपनी बात कहना सीख सकें। साथ ही वो गलत बात के लिए अपनी आवाज को बुलंद करने की हिम्मत कर सकें। जिससे उनके साथ कुछ गलत न हो सके।
आत्मरक्षा सिखाएं
बेटी होते ही माता पिता में एक डर घर कर जाता है। वो डर है समाजिक कुरीतियों और असमाजिक तत्वों का। डर है आपका लेकिन इससे बेटी का पूरा जीवन प्रभावित होता है। उसे अहसास कराइए कि आप उसके साथ हैं। असमाजिक तत्वों से निपटने के लिए तैयारी की जरूरत है। बेटी को आत्मरक्षा के गुर देने की जरूरत है। तभी एक सशक्त महिला तैयार हो सकती है।
खुद से प्यार और सम्मान करना सिखाएं
बेटी और बेटे में सिवाय जेंडर के और कोई फर्क अब नहीं रह गया है। इसलिए उनको प्यार करें और उनका सम्मान करें। साथ ही उनको खुद से प्यार करना और खुद का सम्मान करना भी सिखाएं। जिससे वो अपनी अहमियत समझें और दूसरे भी उनका सम्मान करें। बेटियों को बताएं कि गलत बात का विरोध करना ज़रूरी है। इसके लिए अगर कोई उन्हें नापसंद भी करे, तो भी उसको इसके लिए तैयार रहना चाहिए। इससे आपकी बेटी का हौसला बढ़ेगा और वो अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती जाएगी।