
माता-पिता अक्सर यह मानकर चलते हैं कि बच्चे वही सीखते हैं जो उन्हें सिखाया या समझाया जाता है—अच्छे संस्कार, आदर का महत्व, ईमानदारी का पाठ। लेकिन हकीकत इससे कहीं अलग है। बच्चे हमारे कहे हुए से ज्यादा, हमारे किए हुए को जल्दी पकड़ते हैं। वे घर में मौजूद ‘नि:शुल्क ऑब्ज़र्वर’ होते हैं, जिनकी निगाहें हर समय माता-पिता पर होती हैं। उनका दिमाग हमारी छोटी से छोटी आदतों को नोट करके धीरे-धीरे अपनी दिनचर्या में शामिल कर लेता है। इस लेख में जानिए वे 5 सामान्य आदतें जिन्हें माता-पिता अनजाने में कर बैठते हैं, मगर बच्चों के व्यक्तित्व और भविष्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर देती हैं।
1. लगातार मोबाइल या स्क्रीन में खोए रहना
अगर आप बच्चे को पढ़ाई करने, बाहर खेलने या गतिविधि में शामिल होने की सलाह देते हैं, लेकिन खुद पूरा दिन फोन, टीवी या लैपटॉप में डूबे रहते हैं—तो आपका बच्चा आपकी बातों से ज्यादा आपकी हरकतों को महत्व देगा। उसे लगेगा कि स्क्रीन का संसार असल दुनिया से ज्यादा दिलचस्प है। परिणामस्वरूप उसका स्क्रीन टाइम बढ़ जाता है और वह लोगों से दूर रहने की आदत भी सीख लेता है।
2. आसान रास्ता चुनने के लिए झूठ बोलना
“कह देना कि पापा घर पर नहीं हैं” जैसे छोटे झूठ भले ही आपको हल्के लगें, लेकिन बच्चे के लिए ये बहुत बड़ा सबक होते हैं। वह समझता है कि परेशानी से बचने के लिए सच बदल देना गलत नहीं है। यही आदत आगे चलकर ईमानदारी को कमजोर कर सकती है और उसे चालाकी या झूठ बोलने की ओर धकेल सकती है।
3. तनाव में अपना संतुलन खो देना
कई बार काम के दबाव या थकान में हम अपना गुस्सा दूसरों पर निकाल देते हैं—कभी आवाज़ ऊंची कर देते हैं, कभी चीजें पटक देते हैं। बच्चा इसे एक पैटर्न की तरह देखता है और सीखता है कि समस्याओं को सुलझाने का मतलब है चिल्लाना या धमकाना। इस तरह उसकी भावनात्मक नियंत्रण क्षमता प्रभावित होती है और उसमें गुस्से को ही समाधान मानने की प्रवृत्ति विकसित हो सकती है।
4. अपने बारे में नकारात्मक बातें कहना
“मैं बिल्कुल फिट नहीं हूं”, “मेरी किस्मत ही खराब है”, “मैं कभी सही नहीं कर पाता”—जब भी आप स्वयं की आलोचना करते हैं, बच्चा उस सोच को धीरे-धीरे आत्मसात कर लेता है। इससे उसमें आत्मसम्मान की कमी आ सकती है और वह अपनी क्षमताओं पर भरोसा करना छोड़ सकता है। सकारात्मक आत्म-छवि विकसित करने की जगह वह खुद को कम आंकना सीख जाता है।
5. दूसरों के बारे में पीठ पीछे बात करना
घर में किसी के जाते ही उनकी कमियां गिनाना बच्चों पर गहरा असर डालता है। वे देखते हैं कि आपके शब्द और व्यवहार में अंतर है—सामने कुछ और, पीछे कुछ और। इससे वे भी यही आदत ढाल लेते हैं और धीरे-धीरे रिश्तों में भरोसा कम होने लगता है। बच्चों में जजमेंटल और दोहरे व्यवहार की प्रवृत्ति विकसित हो सकती है, जो उनके सामाजिक संबंधों के लिए ठीक नहीं है।













