उदयपुर की पहचान बन चुकी हैं ये जगहें, यहां संजोए अपने जीवन के यादगार लम्हे

By: Ankur Fri, 09 Sept 2022 3:55:17

उदयपुर की पहचान बन चुकी हैं ये जगहें, यहां संजोए अपने जीवन के यादगार लम्हे

राजस्थान के सबसे खूबसूरत शहरों की बात की जाती हैं तो झीलों की नगरी, उदयपुर का नाम लिया जाना लाजमी है। यह अपने इतिहास, संस्कृति और अपने आकर्षक स्थलों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है जहां हर साल देश-विदेश से लाखों पर्यटक पहुचते हैं। उदयपुर में स्थित भव्य किले, मंदिर सुंदर झीलें, महल, संग्रहालय और वन्यजीव अभयारण्य इसे पर्यटकों के लिए एक आदर्श गंतव्य बनाते हैं। हर शहर में कुछ ऐसी जगहें होती हैं जो उसकी पहचान बन जाती हैं। आज हम आपको उदयपुर की ऐसी ही जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आप अपने जीवन के यादगार लम्हे बिता सकते हैं। आइये जानते हैं इन जगहों के बारे में...

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पिछोला झील

पिछोला झील, उदयपुर में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। खूबसूरत पहाड़ियों, बगीचों, मंदिरों और हवेलियों से घिरी पिछोला झील भारत की सबसे खूबसूरत झीलों में से एक है और। प्रसिद्ध लेक पैलेस होटल पिछोला झील के बीच में स्थित है और शहर के सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। उदयपुर की यात्रा के दौरान पर्यटकों को पिछोला झील पर नाव की सवारी आनंद जरूर लेना चाहिए। पर्यटक राजसी सिटी पैलेस परिसर और झील के किनारे की खूबसूरत हवेलियों के सुंदर दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

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दिल कुश महल

सिटी पैलेस के अंदर ही दिलकुश महल निर्मित है। इसे सन 1620 से महाराणा करण सिंह ने अपने परिवार की राजपूताना महिलाओं के लिए बनवाया था। इस महल के दो महत्पूर्ण भाग है एक है 'कांच की बुर्ज' जिसे लोग 'शीश महल' भी कहते हैं और दूसरा है कृष्णा विलास। शीश महल बहार और अंदर से देखने में बहुत ही सुन्दर है यह महल अंदर से कांच से बना हुआ है। वहीं कृष्णा विलास की दीवारें भगवान श्री कृष्ण की तस्वीरों और चित्रों से सजी हुई हैं।

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लेक पैलेस

पिछोला झील के बीच जग निवास द्वीप पर स्थित लेक पैलेस एक शानदार संरचना है। महाराणा जगत सिंह ने इस महल को साल 1743 में बनवाया था। अब इस महल को 5 सितारा होटल में तब्दील कर दिया गया है। इमारत की वास्तुकला जटिल शिल्प कौशल का एक सुंदर उदाहरण है। इसे दुनिया के सबसे बेहतरीन महलों में गिना जाता है। सुंदर खंभों वाली छतें, स्तंभों से सजे आंगन, बगीचे और फव्वारे महल की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।

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फतेह सागर

पिछोला झील की तरह फतेह सागर झील में भी बोटिंग होती है। जिस तरह से पिछोला झील में बोटिंग करने पर जग मंदिर में ले जाया जाता था, ठीक उसी प्रकार जब आप फतेह सागर झील में बोटिंग करते हैं, तो आपको इस झील में बने तीन छोटे-छोटे आइलैंड को विजिट कराया जाएगा। सबसे पहले आइलैंड पर आपको एक स्मॉल जू और नेहरू पार्क देखने को मिलेगा। दूसरे आइलैंड पर आपको पब्लिक पार्क देखने को मिलेगा और तीसरे आइलैंड पर जाने से आप सनसेट को एंजॉय सकते हैं। तीसरा आइलैंड एक सनसेट व्यू प्वाइंट होने की वजह से सनसेट के समय वहां से उदयपुर शहर और अरावली पर्वत का एक बेहतरीन दृश्य देखने को मिलता है।

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सिटी पैलेस

सिटी पैलेस, उदयपुर की सबसे खूबसूरत महलनुमा इमारतों में से एक है। इसे राजस्थान की सबसे बड़ी इमारतों में से एक माना जाता है। महाराणा उदय मिर्जा सिंह ने 1559 में सिसोदिया राजपूत वंश की राजधानी के रूप में महल का निर्माण किया था। यह महल, पिछोला झील के किनारे स्थित है। सिटी पैलेस के परिसर में लगभग 11 महल हैं। यह संरचना मुगल और राजस्थानी शैली की वास्तुकला का एक आदर्श संयोजन प्रदर्शित करती है। यह महल एक पहाड़ी की चोटी पर बना है और पूरे शहर का हवाई दृश्य प्रस्तुत करता है। महल में कई गुंबद, आंगन, गलियारे, कमरे, मंडप, मीनारें और लटकते हुए बगीचे हैं, जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। इस महल में कई द्वार हैं। बारा पोल या ग्रेट गेट महल का मुख्य प्रवेश द्वार है। यहां एक तिहरा धनुषाकार द्वार भी है, जिसे त्रिपोलिया कहा जाता है।

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सास बहु मंदिर

सास बहु मंदिर उदयपुर से 28 किमी की दूरी पर स्थित है। सास बहु मंदिर मनुष्य द्वारा की गई बहुत ही सुन्दर रचना है। इस मंदिर का एक हिस्सा सास ने जबकि दूसरा हिस्सा बहु ने बनाया है। यही वजह है की इसका नाम सास बहु मंदिर रखा गया है। इस मंदिर का निर्माण 10वी शताब्दी में किया गया था। इस मंदिर में संसार के तीनों स्वामी भगवान ब्रम्हा, विष्णु और महेश की छवियां एक मंच पर खुदी हुई है। इस मंदिर में बहु द्वारा बनाया हुआ हिस्सा सास के बनाये हुए हिस्से से थोड़ा छोटा है। इस मंदिर में भगवान राम, बलराम और परशुराम जी के भी चित्र अंकित किये गए हैं।

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सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य

यह उदयपुर से लगभग 5 किमी की दूरी पर स्थित है। अभयारण्य की पृष्ठभूमि में स्थित बांसदरा हिल इस जगह से अद्भुत दिखती है। अभयारण्य में जानवरों, पक्षियों और सरीसृपों की विभिन्न प्रजातियां मौजूद हैं। जंगली सूअर, सियार, सांभर, नीले बैल, लकड़बग्घा, चीतल, तेंदुआ और खरगोश जैसे जानवरों को यहां आसानी से देखा जा सकता है। अभयारण्य के आसपास मछली के आकार की एक अनोखी पहाड़ी है जिसे मचला मगरा कहा जाता है, जो काफी खूबसूरत है।

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बगोरे की हवेली

यह पिकोला लेक के पास ही स्थित है। इसका निर्माण मेवाड़ के मंत्री अमर चन्द बडवा द्वारा हुआ था। यह हवेली 1878 में महाराणा शक्ति सिंह का निवास बन गई थी, जिसके बाद इसका नाम बगोरे की हवेली पड़ा। इसे अब संग्रहालय में तब्दील किया गया है, लेकिन महाराजा के शाहीपन को आज भी यहाँ महसूस किया जा सकता है। यह मेवाड़ की संस्कृति को दर्शाती है। राजपूतों द्वारा उपयोग की हुई, वस्तु जैसे जेवर बॉक्स, हाथ पंखा, तरह तरह के धातु के बर्तन आदि। इस हवेली में 100 से भी ज्यादा कमरे है, जो अपनी अलग तरह की वास्तुकला को दर्शाते है। यहाँ रोज शाम को एक शो का भी आयोजन होता है।

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एकलिंगजी मंदिर

उदयपुर का सबसे सुन्दर और माननीय मंदिरों में से एक है एकलिंगजी मंदिर। ये हिन्दुओं का शिव मंदिर है। यहाँ भगवान शिव की आराधना की जाती है। एकलिंगजी मंदिर में भगवान शिव की चार मुखों वाली 50 फीट ऊँची प्रतिमा स्थापित है। जो की लोगों को बहुत ही आकर्षित करती है। आदि काल में यहाँ के सभी राजा भगवान शिव को अपना देव मानकर उनके प्रधिनित्व में ही राज करते आएं हैं। किसी भी लड़ाई में जाने से पहले हमेशा यहाँ के राजा एकलिंगजी मंदिर आकर पूजा अर्चना अवश्य करते थे।

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