
नए साल की आहट के साथ ही घर-घर में जश्न की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। क्रिसमस की चमक, न्यू ईयर काउंटडाउन, दोस्तों की महफिल, म्यूजिक और स्वादिष्ट खाने के बीच अक्सर एक जरूरी सवाल पीछे छूट जाता है—कहीं घर में रखी शराब कानून की सीमा से बाहर तो नहीं चली जाएगी? कई बार जश्न के जोश में खरीदी गई एक-दो अतिरिक्त बोतलें खुशियों की वजह बनने के बजाय कानूनी परेशानी खड़ी कर सकती हैं। इसलिए पार्टी शुरू होने से पहले नियम जान लेना बेहद जरूरी है।
जश्न के साथ जिम्मेदारी भी जरूरी
साल 2025 को अलविदा कहने और नए साल का स्वागत करने के लिए लोग बड़ी संख्या में निजी पार्टियों की योजना बना रहे हैं। घर पर पार्टी करना आजकल सुरक्षित और सुविधाजनक विकल्प माना जाता है, लेकिन शराब से जुड़े कानूनों की अनदेखी महंगी पड़ सकती है। भारत में शराब पर कानून केंद्र सरकार नहीं, बल्कि राज्य सरकारें तय करती हैं। संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत उत्पाद शुल्क राज्य सूची में आता है, यानी हर राज्य के नियम अलग हैं। जो मात्रा एक राज्य में वैध है, वही दूसरे राज्य में अपराध मानी जा सकती है।
तय सीमा से ज्यादा शराब, सजा भी सख्त
अगर आपके घर में तय सीमा से अधिक शराब पाई जाती है, तो केवल जुर्माने तक मामला सीमित नहीं रहता। कई राज्यों में जेल की सजा, एक्साइज विभाग की कार्रवाई, छापेमारी और लाइसेंस रद्द होने जैसी दिक्कतें भी सामने आ सकती हैं। इसलिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आप जिस राज्य में रहते हैं, वहां बिना लाइसेंस कितनी शराब रखना कानूनन सही है।
जहां शराब पूरी तरह प्रतिबंधित है
भारत के कुछ राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में शराब पीना और रखना दोनों ही गैरकानूनी है। बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है और यहां शराब से जुड़ा कोई भी मामला गंभीर अपराध माना जाता है। गुजरात में 1960 से शराब पर रोक है, हालांकि पर्यटकों और एनआरआई के लिए सीमित अवधि का परमिट सिस्टम मौजूद है।
नागालैंड में 1989 से शराबबंदी लागू है।
मिजोरम में नियम समय-समय पर बदलते रहे हैं, लेकिन फिलहाल यहां भी शराब पर प्रतिबंध है। मणिपुर में कुछ इलाकों में ढील दी गई है, फिर भी राज्य का बड़ा हिस्सा प्रतिबंध के दायरे में है। लक्षद्वीप देश का एकमात्र केंद्र शासित प्रदेश है जहां शराब पर पूर्ण प्रतिबंध है, हालांकि बंगाराम द्वीप पर पर्यटकों को सीमित अनुमति मिलती है।
दिल्ली में ज्यादा छूट, लेकिन नियम स्पष्ट
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शराब रखने को लेकर अपेक्षाकृत उदार नियम हैं। यहां 25 वर्ष या उससे अधिक उम्र का व्यक्ति अपने घर में कुल 18 लीटर शराब रख सकता है, जिसमें बीयर और वाइन शामिल हैं। हार्ड ड्रिंक जैसे व्हिस्की, रम, वोदका या जिन की अधिकतम सीमा 9 लीटर तय है। दिल्ली हाई कोर्ट यह भी साफ कर चुका है कि एक ही घर में रहने वाले सभी वयस्क अपनी-अपनी तय सीमा तक शराब रख सकते हैं। हालांकि दिल्ली से बाहर जाते समय केवल एक लीटर शराब ले जाने की अनुमति है।
हरियाणा और उत्तर प्रदेश के नियम
हरियाणा में देसी शराब की अधिकतम छह बोतलें और आईएमएफएल की कुल 18 बोतलें रखी जा सकती हैं, जिनमें आयातित शराब छह बोतल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। बीयर की सीमा 12 बोतल, वाइन की 12 बोतल और रम, जिन, वोदका जैसी श्रेणियों की कुल सीमा छह बोतल तय है। उत्तर प्रदेश में नियम तुलनात्मक रूप से सख्त हैं। यहां बिना लाइसेंस 1.5 लीटर विदेशी शराब, छह लीटर बीयर और दो लीटर वाइन रखी जा सकती है। अगर इससे ज्यादा मात्रा रखनी है, तो एल-50 लाइसेंस लेना जरूरी होता है, जिसके बाद 7.5 लीटर तक विदेशी शराब रखने की अनुमति मिलती है।
पंजाब, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश
पंजाब में दो बोतल आईएमएफएल, एक केस बीयर, दो बोतल विदेशी शराब, दो बोतल देसी शराब और एक बोतल ब्रांडी रखने की अनुमति है। राजस्थान में कोई भी नागरिक अपने घर पर 12 बोतल या लगभग नौ लीटर आईएमएफएल रख सकता है। हिमाचल प्रदेश में नियम अपेक्षाकृत ढीले हैं—यहां 48 बोतल बीयर और 36 बोतल व्हिस्की रखने की छूट है।
दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत के नियम
आंध्र प्रदेश में बिना परमिट तीन बोतल आईएमएफएल या विदेशी शराब और छह बोतल बीयर रखी जा सकती है। अरुणाचल प्रदेश में 18 लीटर से अधिक आईएमएफएल या देसी शराब रखने के लिए वैध लाइसेंस जरूरी है। पश्चिम बंगाल में 21 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति बिना लाइसेंस छह बोतल आईएमएफएल और 18 बोतल बीयर अपने पास रख सकता है।
गोवा, केरल और जम्मू-कश्मीर
गोवा में शराब सस्ती और आसानी से उपलब्ध है, लेकिन यहां भी सीमा तय है। निवासी 12 बोतल आईएमएफएल, 24 बोतल बीयर और 18 बोतल देसी शराब रख सकते हैं। केरल में तीन लीटर आईएमएफएल और छह लीटर बीयर की अनुमति है। जम्मू-कश्मीर में घर पर 12 बोतल आईएमएफएल और 12 बोतल बीयर रखने का प्रावधान है।
न्यू ईयर पार्टी का मजा तभी पूरा होता है, जब जश्न के साथ कानून का पालन भी किया जाए। इसलिए बोतल खोलने से पहले अपने राज्य के नियम जरूर जांच लें, ताकि साल की शुरुआत खुशियों के साथ हो, किसी कानूनी झंझट के साथ नहीं।













