इन प्रसिद्द व्यंजनों के लिए भी जाना जाता हैं सांस्कृतिक महत्व वाला बनारस, जरूर लें इनका स्वाद

By: Neha Mon, 02 Jan 2023 5:26:44

इन प्रसिद्द व्यंजनों के लिए भी जाना जाता हैं सांस्कृतिक महत्व वाला बनारस, जरूर लें इनका स्वाद

बनारस या वाराणसी जो भी कह लें, जब भी इसका नाम आता हैं, तो मन में मंदिरों और घाटों की छवि बनने लगती हैं जिसके लिए यह पूरी दुनिया में मशहूर है। धार्मिक यात्रा पर निकलें हैं और बनारस जा रहे हैं, तो यहां के खानपान का लुत्फ भी जरूर उठाईयेगा। काशी की पुरानी गलियों में देर रात से ही खाने की तैयारियों की खटर-पटर शुरू हो जाती हैं और तडके सुबह से लोग दुकानों पर यहां का जायका लेने पहुंच जाते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बनारस के कुछ प्रसिद्द व्यंजनों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका स्वाद आपने नहीं चखा तो समझिए बनारस ही नहीं घूमा। एक बार इन लजीज पकवानों को खाने के बाद आप भी इनके दीवाने हो जाएंगे। आइये जानते हैं बनारस के इन प्रसिद्द व्यंजनों के बारे में...

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लस्सी

साहब आप बनारस आये और आपने यहाँ लस्सी का स्वाद नहीं लिया तो आपकी बनारस यात्रा कही न कही अधूरी रह जाएगी। इस शहर में अनगिनत लस्सी की दुकाने है और लगभग सभी मिठाई की दुकानों, जलपान की दुकानों, रेस्टोरेन्ट में, होटल में, ठंडाई की दुकानों में आपको लस्सी मिल जाएगी। यहाँ की लस्सी ज्यादातर आपको दही और रबडी वाली मिलेगी। गज़ब का दही और गज़ब की रबडी मिलकर आपकी लस्सी को बहुत ही स्वादिष्ट बना देती है।

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बनारसी पान

बनारस का नाम जुबां पर आते ही सबसे पहले ‘बनारसी पान’ की तस्वीर सामने आ जाती है। ‘खईके पान बनारस वाला, खुल जाए बंद अक्ल का ताला’ इस गाने के बोल बनारस के पान की खासियत बताने के लिए काफी है। विदेशी टूरिस्ट भी एक बार इसका स्वाद जरूर चखते हैं। ‘गुलकंद वाला पान’ हर किसी की पहली पसंद है।

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कचौड़ी

जगह-जगह पर बड़ी-बड़ी काली कड़ाहियों में खौलता तेल, घाट के नजदीक वारणसी की कचौड़ी गली एक लैंडमार्क बन गया है। प्रसिद्ध विश्वनाथ मंदिर को पार करते ही विश्वनाथ गली, कचौड़ी वाली गली में बदल जाती है। यह वो जगह है जहां ताजा कचौड़ी चने और इमली की चटनी के साथ परोसी जाती है। यदि आप भीड़ से बचना चाहते हैं और ताज़ा गर्मा-गर्म कचौड़ियों का स्वाद लेना चाहते हैं तो आपको सुबह सात बजे ही यहां पहुंचना पड़ेगा क्योंकि नाश्ते का समय खत्म होने के बाद यहां सन्नाटा पसर जाता है।

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मलइयो

काशी आएं और मलइयो ना खाए, ऐसा कैसे हो सकता है। काशी की खास पहचान है दूध से बनने वाला मलइयो और उससे भी ज्यादा खास है इसे बनाने का तरीका। मलइयो बनाने के लिए दूध को चीनी के साथ उबालकर रातभर आसमान के नीचे ओस में रख दिया जाता है। इसके बाद दूध को काफी देर तक फेंटा जाता है, जिससे झाग तैयार होता है। इस तरह तैयार होता है मलइयो। ये सिर्फ स्वाद में ही लाजवाब नहीं है, बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टि से भी ये बहुत गुणकारी होता है। आंखों के लिए मलइयों किसी वरदान से कम नहीं। कहते हैं जितनी ज्यादा मलइयो में ओस बढ़ती है, उतना ही इसकी गुणवत्ता बढ़ती है और उतना ही ये आपकी सेहत के लिए भी अच्छा होता है। चूंकि मलइयो बनाने में ओस की बूंदों का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए ये केवल सर्दी के तीन महीने में ही मिलता है।

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ठंडाई

ठंडाई आपको शहर में कई जगहों पर मिल जाएगी। आपको बता दें कि बनारस के ह्रदय स्थल गौदोलिया पर ठंडाई की अनगिनत दुकाने है। केसर, बादाम, शरबत, मखाना, काजू का पेस्ट, मलाई, दूध और भांग मिलाकर बन गई ठंडाई। पीकर देखिये मजा आ जायेगा। एक बात और यहाँ पर भांग को प्रसाद बोला जाता है। वैसे ये कोई जरूरी नहीं की आप ठंडाई में भांग डलवाये। यदि आप भांग का सेवन नहीं करते तो आप अपनी ठंडाई में भांग नहीं डलवाएं।

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कद्दू की सब्जी-पूड़ी

कद्दू की सब्जी-पूड़ी और साथ में गरमागरम जलेबी बनारस की पहचान है। लंका पर स्थित ‘चाची की दुकान’ पूड़ी-सब्जी के लिए मशहूर है। इसका स्वाद चखने के लिए लोग सुबह से ही दुकान पर जमा हो जाते हैं। अगर आप काशी आएं तो इसका स्वाद एक बार जरूर चखें।

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बाटी और चोखा

काशी में लोटा भंटा मेला बाटी और चोखा का लगता है जिसका भोग पहले बाबा भोलेनाथ को लोग लगाते हैं। रामेश्वलर क्षेत्र में लोटा भंटा का सदियों पुराना मेला त्रेतायुगीन माना जाता है। हालांकि बाटी चोखा यहां का सबसे पसंदीदा जायका है। बैगन, आलू, टमाटर भूनने के बाद इससे बना चोखा और बाटी का जायका लोगों को काफी पसंद है। यहां बलिया के लगने वाले ठेले ही नहीं बल्कि स्थाबनीय रेस्टोारेंट भी अब बाटी चोखा ब्रांड को भुनाने में लगे हैं। इसमें चने का सत्तू् ही नहीं बल्कि पनीर का भी प्रयोग काफी दिलकश है। यहां मेकुनी, लिटटी, बाटी और टिक्ककर के स्वनरूप में यह अस्तित्व आज भी बनाए हुए हैं।

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लौंग लता

लगभग बनारस की हर दूसरी दुकान पर आपको मिल जाएगा ‘लौंग लता’, इसे ‘लवंग लतिका’ भी कहते हैं। जब भी बनारसी व्यंजनों की बात होती है, तो लौंग लता का नाम जरूर आता है। जो भी काशी आता है, वो एक बार तो जरूर इसको चखता है। अब जिन्हें नहीं पता आखिर लौंग लता होता कैसा है और कैसा होता है इसका स्वाद। तो उनको बता दें कि दरअसल, ये मैदे से बनाया गया एक मीठा व्यंजन है। जिसके अंदर खोआ भरा होता है, साथ में बहुत सारे ड्राई फूड्स भी होते हैं। इसे चाशनी में डिबोया जाता है, फिर लोगों को सर्व किया जाता है। इसे लौंग लता का नाम इसलिए दिया गया क्योंकि मैदे की रोटी के अंदर खोआ भरकर उसे लौंग डालकर फोल्ड किया जाता है और घी में डीप फ्राई करते हैं। फिर इसे चाशनी में डिप करते हैं।

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