Monkeypox: कितना खतरनाक, क्या है लक्षण-इलाज, आपके मन में उठ रहे इन 10 बड़े सवालों के ये हैं जवाब
By: Priyanka Maheshwari Tue, 19 July 2022 2:36:20
दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के मामले तेजी से बढ़ रहे है। फ्रांस, जर्मनी, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। भारत में भी मंकीपॉक्स ने कदम रख लिए है । केरल में कुछ दिन पहले मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया था वहीं, केरल से एक और संक्रमित मरीज मिला है। ये मरीज भी विदेश से ही लौटा था। दो दिन पहले आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में भी दो साल की बच्ची में मंकीपॉक्स जैसे लक्षण दिखे थे। हालांकि, टेस्ट में उसका रिजल्ट निगेटिव आया था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, मंकीपॉक्स जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी है। इस वायरस से संक्रमित होने पर चेचक जैसे लक्षण दिखते हैं। हालांकि, मंकीपॉक्स में गंभीर बीमारी का खतरा बहुत कम होता है।
क्या है मंकीपॉक्स?
- मंकीपॉक्स, मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होता है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, पहली बार ये बीमारी 1958 में सामने आई थी। तब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में ये संक्रमण मिला था। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया है। इन बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण दिखे थे। इस रोग के लक्षण चेचक के लक्षणों के समान ही होते हैं। आम तौर पर मंकीपॉक्स को हल्का माना जाता है और कुछ लोग बिना किसी जरूरी उपचार के हफ्तों में ठीक हो सकते हैं। हालांकि कुछ मामलों में यह गंभीर हो सकता है और बीमारी गंभीर जटिलताएं भी पैदा कर सकती है। मंकीपॉक्स को यौन संबंध से भी जोड़कर देखा जाता है। बताया जाता है कि मंकीपॉक्स यौन संपर्क से भी फैल सकता है।
- CDC की रिपोर्ट के मुताबिक, मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है, जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से होती है। ये वायरस उसी वैरियोला वायरस फैमिली (Variola Virus) का हिस्सा है, जिससे चेचक होता है। मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे ही होते हैं। बेहद कम मामलों में मंकीपॉक्स घातक साबित होता है।
इंसानों में पहला मामला कब आया?
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, 1970 में इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया था। तब कॉन्गो के रहने वाले एक 9 साल के बच्चे में ये संक्रमण मिला था। 1970 के बाद 11 अफ्रीकी देशों में इंसानों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के मामले सामने आए थे।
- दुनिया में मंकीपॉक्स का संक्रमण अफ्रीका से फैला है। 2003 में अमेरिका में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे। सितंबर 2018 में इजरायल और ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे। मई 2019 में सिंगापुर में भी नाइजीरिया की यात्रा कर लौटे लोगों में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई थी।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?
- मंकीपॉक्स अलग-अलग तरीकों से फैल सकता है। मंकीपॉक्स किसी संक्रमित जानवर के खून, उसके शरीर का पसीना या कोई और तरल पदार्थ या उसके घावों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है।
- अफ्रीका में गिलहरियों और चूहों के भी मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के सबूत मिले हैं। अधपका मांस या संक्रमित जानवर के दूसरे पशु उत्पादों के सेवन से भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
- इंसान से इंसान में वायरस के फैलने के मामले अब तक बेहद कम सामने आए हैं। हालांकि, संक्रमित इंसान को छूने या उसके संपर्क में आने से संक्रमण फैल सकता है। इतना ही नहीं, प्लेसेंटा के जरिए मां से भ्रूण यानी जन्मजात मंकीपॉक्स भी हो सकता है।
सेक्स करने से भी फैल सकता है वायरस?
- मंकीपॉक्स यौन संबंध बनाने से भी फैल सकता है। CDC के मुताबिक, अगर आप किसी मंकीपॉक्स संक्रमित से यौन संबंध बनाते हैं, तो आपको भी संक्रमण हो सकता है। संक्रमित के गले लगना, किस करना और यहां तक कि फेस-टू-फेस कॉन्टैक्ट बनाने से भी संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। समलैंगिक और बायसेक्शुअल लोगों को इससे संक्रमित होने का खतरा अधिक रहता है।
- WHO के मुताबिक, पिछले कुछ समय से जिन देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं, उनमें से कइयों में संक्रमण यौन संबंध बनाने से फैला है।
क्या हैं इसके लक्षण?
- मंकीपॉक्स वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड 6 से 13 दिन तक होता है। कई बार 5 से 21 दिन तक का भी हो सकता है। इन्क्यूबेशन पीरियड का मतलब ये होता है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में कितने दिन लगे।
- संक्रमित होने के पांच दिन के भीतर बुखार, तेज सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण दिखते हैं। मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है।
- बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू होता है। शरीर पर दाने निकल आते हैं। हाथ-पैर, हथेलियों, पैरों के तलवों और चेहरे पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं। ये दाने घाव जैसे दिखते हैं और खुद सूखकर गिर जाते हैं।
- शरीर पर उठने वाले इन दानों की संख्या कुछ से लेकर हजारों तक हो सकती है। अगर संक्रमण गंभीर हो जाता है तो ये दाने तब तक ठीक नहीं होते, जब तक त्वचा ढीली न हो जाए।
कितनी खतरनाक है ये बीमारी?
- WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स से संक्रमित हर 10वें व्यक्ति की मौत हो सकती है। मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के 2-4 हफ्ते बाद लक्षण धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं।
- छोटे बच्चों में गंभीर संक्रमण होने का खतरा बना रहता है। हालांकि, कई बार ये मरीज के स्वास्थ्य और उसकी जटिलताओं पर भी निर्भर करता है।
- जंगल के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों में मंकीपॉक्स का खतरा ज्यादा बना रहता है। ऐसे लोगों में एसिम्टोमैटिक संक्रमण भी हो सकता है।
- चेचक के खत्म होने के बाद इस बीमारी का वैक्सीनेशन भी बंद हो गया है। इसलिए 40 से 50 साल कम उम्र के लोगों को मंकीपॉक्स का खतरा ज्यादा बना रहता है।
कब तक आइसोलेशन में रहना जरूरी?
- WHO का कहना है कि किसी भी संदिग्ध मामले की तुरंत जांच की जानी चाहिए और अगर उसमें संक्रमण की पुष्टि हो जाती है, तो उसे तब तक आइसोलेट रहना चाहिए, जब तक उसके घावों पर पपड़ी नहीं बन जाती और पपड़ी गिरकर नई त्वचा नहीं आ जाती।
क्या है इसका इलाज?
- WHO की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, अभी मंकीपॉक्स का कोई ठोस इलाज मौजूद नहीं है। हालांकि, चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स के संक्रमण के खिलाफ 85% तक असरदार साबित हुई है।
- लेकिन अभी चेचक की वैक्सीन भी आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है। 2019 में चेचक और मंकीपॉक्स को रोकने के लिए एक वैक्सीन को मंजूरी दी गई थी, लेकिन वो भी अभी पूरी तरह से उपलब्ध नहीं है।
क्या बढ़ता है मानसिक तनाव?
- मंकीपॉक्स नया प्रकोप है और संक्रमण व इसके पैटर्न के बारे में बहुत कुछ नहीं पता है। यही वजाह है कि संक्रमित होने से व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ सकता है।
- हारून ने भी बीमारी की वजह से तनाव महसूस किया। उसने बताया कि मंकीपॉक्स की वजह से मिले निशानों को देखकर मैं डर जाता हूं।
भारत में कितना अलर्ट है?
- देश में अब तक मंकीपॉक्स के दो मरीज मिल चुके है। केरल से सटे राज्यों में अलर्ट बढ़ा दिया गया है। 14 जुलाई को मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया था। इस वायरस से संक्रमित 35 साल का व्यक्ति संयुक्त अरब अमीरात से लौटा था। ये व्यक्ति केरल के कोल्लम जिले का रहने वाला है। फिलहाल तिरुवनंतपुरम के सरकारी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है।
- दूसरा मामला 18 जुलाई को केरल के कन्नूर जिले में मिला। 31 साल का ये मरीज पिछले हफ्ते ही दुबई से लौटा था। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि व्यक्ति 13 जुलाई को दुबई से कन्नूर आया था और यहां पेरियाम मेडिकल कॉलेज में उसका इलाज हो रहा है।
- तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री टी हरीश राव ने न्यूज एजेंसी को बताया कि सरकारी गांधी अस्पताल को मंकीपॉक्स संदिग्ध मरीजों के इलाज के लिए अलर्ट पर रखा गया है, ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके।
- कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में भी अलर्ट है। कन्नूर का रहने वाला संक्रमित दक्षिण कन्नड़ के एयरपोर्ट पर भी आया था। लिहाजा, यहां सरकारी अस्पताल में 10 बेड संदिग्ध मरीजों के इलाज के लिए रिजर्व रखे गए हैं।
- केंद्र सरकार भी अलर्ट पर है। केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हर अंतरराष्ट्रीय यात्री की स्क्रीनिंग करने को कहा है, ताकि मंकीपॉक्स के फैलने के खतरे को कम किया जा सके। इसके अलावा, पिछले हफ्ते केंद्र ने एक हाई लेवल टीम भी केरल भेजी थी।