आजकल हल्की-फुल्की बीमारी में भी लोग एंटीबायोटिक दवाएं खाना शुरू कर देते हैं। सर्दी-जुकाम, गले में खराश, हल्का बुखार या संक्रमण होने पर लोग तुरंत मेडिकल स्टोर जाकर एंटीबायोटिक्स की मांग करते हैं। हालांकि, क्या आपको पता है कि जरूरत से ज्यादा एंटीबायोटिक्स का सेवन आपकी गट हेल्थ यानी आंतों की सेहत पर बुरा असर डाल सकता है? एम्स (AIIMS) के डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर सतर्क किया है।
कैसे एंटीबायोटिक्स बिगाड़ रही हैं गट हेल्थ?
एम्स में मेडिसिन विभाग में डॉ विक्रम कहते हैं कि अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक दवाएं लेने से हमारी आंतों का बैक्टीरियल बैलेंस बिगड़ सकता है। हमारे पेट में कई तरह के अच्छे बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, जो पाचन को सही बनाए रखते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं। एंटीबायोटिक्स का जरूरत से ज्यादा सेवन इन अच्छे बैक्टीरिया को भी खत्म कर देता है, जिससे पाचन खराब होने लगता है, गैस, सूजन, कब्ज और डायरिया जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
एंटीबायोटिक्स का अधिक सेवन किन समस्याओं को बढ़ा सकता है?
डायरिया और कब्ज – एंटीबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया को खत्म कर देती हैं, जिससे आंतों का संतुलन बिगड़ जाता है। इसके कारण कई लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं, जैसे बार-बार दस्त (डायरिया) या कब्ज की परेशानी हो सकती है। लंबे समय तक इस समस्या के बने रहने से शरीर में पानी और जरूरी मिनरल्स की कमी हो सकती है, जिससे कमजोरी और थकान महसूस होती है।
पेट में भारीपन और गैस – जब एंटीबायोटिक्स आंतों में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को खत्म कर देती हैं, तो पाचन सही तरीके से नहीं हो पाता। इससे भोजन को पचाने में समय लगता है, जिसके कारण पेट फूलना (ब्लोटिंग), भारीपन और गैस जैसी परेशानियां बढ़ जाती हैं। कुछ मामलों में यह समस्या इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) जैसी गंभीर स्थिति में बदल सकती है।
एसिडिटी और जलन – अधिक समय तक एंटीबायोटिक्स का सेवन करने से पाचन तंत्र में एसिड का असंतुलन हो सकता है, जिससे सीने में जलन (हार्टबर्न) और एसिडिटी बढ़ सकती है। कई बार यह समस्या इतनी गंभीर हो जाती है कि अल्सर या गैस्ट्रिक इरिटेशन की नौबत आ जाती है। इसलिए, बिना जरूरत बार-बार एंटीबायोटिक्स लेना शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है।
इम्यूनिटी पर असर – हमारी आंतें हमारे रोग प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। जब एंटीबायोटिक्स जरूरत से ज्यादा ली जाती हैं, तो यह शरीर के नेचुरल डिफेंस सिस्टम को कमजोर कर देती हैं, जिससे इम्यूनिटी पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसका नतीजा यह होता है कि शरीर बार-बार बीमार पड़ने लगता है, और छोटी-मोटी बीमारियां भी जल्दी पकड़ लेती हैं।
विटामिन और पोषक तत्वों की कमी – हमारी आंतें भोजन से आवश्यक विटामिन, मिनरल्स और अन्य पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करती हैं। लेकिन जब एंटीबायोटिक्स आंतों के बैक्टीरिया संतुलन को बिगाड़ देती हैं, तो शरीर इन पोषक तत्वों को ठीक से अवशोषित नहीं कर पाता। इससे विटामिन B12, विटामिन K, आयरन और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जिससे कमजोरी, एनीमिया और हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
एंटीबायोटिक्स से होने वाले नुकसान को कैसे कम करें?
डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक्स न लें – हल्की-फुल्की बीमारियों में खुद से एंटीबायोटिक्स लेने से बचें। जब तक डॉक्टर द्वारा सलाह न दी जाए, तब तक इनका उपयोग न करें। अधिकतर वायरल संक्रमण में एंटीबायोटिक्स की जरूरत नहीं होती, इसलिए बेवजह एंटीबायोटिक्स लेने से बचें, ताकि शरीर का प्राकृतिक इम्यून सिस्टम सही बना रहे।
एंटीबायोटिक दवाओं के साथ प्रोबायोटिक्स युक्त खाद्य पदार्थ लें – प्रोबायोटिक्स (अच्छे बैक्टीरिया) गट हेल्थ को बनाए रखने में मदद करते हैं। एंटीबायोटिक्स के साथ या उसके बाद दही, छाछ, किमची, सौकरकूट, केफिर और कोम्बुचा जैसे प्रोबायोटिक फूड्स को डाइट में शामिल करें। ये आंतों में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाकर पाचन तंत्र को मजबूत बनाए रखते हैं।
फाइबर युक्त आहार अपनाएं – फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज, बीज और नट्स जैसे फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ पाचन को सही बनाए रखते हैं। ये आंतों के अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं और डायरिया, कब्ज, गैस जैसी समस्याओं से राहत दिलाते हैं। फाइबर युक्त भोजन आंतों में लाभकारी बैक्टीरिया के लिए भोजन का काम करता है और पाचन क्रिया को मजबूत करता है।
हाइड्रेटेड रहें और हर्बल चाय का सेवन करें – अधिक मात्रा में पानी पीने से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं और पाचन क्रिया सुचारू बनी रहती है। इसके अलावा, अदरक चाय, पुदीना चाय और ग्रीन टी जैसी हर्बल चाय पेट की सूजन, गैस और एसिडिटी को कम करने में मदद कर सकती हैं।
बार-बार एंटीबायोटिक्स लेने से बचें और प्राकृतिक हीलिंग पर ध्यान दें – शरीर में हल्की बीमारियों को खुद ठीक करने की क्षमता होती है। बार-बार एंटीबायोटिक्स लेने से इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है, इसलिए जब संभव हो, प्राकृतिक उपचार अपनाएं और घरेलू उपायों से बीमारियों को ठीक करने की कोशिश करें।