ग़ज़ल गायकी को नए आयाम पे पहुंचाया पंकज उधास ने,आइये जानते है इनके जीवन से जुडी कुछ रोचक बातें
By: Kratika Wed, 17 May 2017 12:42:25
संगीत जगत में पंकज उधास एक ऐसे गजल गायक हैं जो अपनी गायकी से पिछले चार
दशक से श्रोताओ को मंत्रमुग्ध कर दिया है। उनके जन्मदिवस के अवसर पर एक नजर
डालते है उनके जीवन पर। पंकज का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के राजकोट के
निकट जेटपुर में जमींदार गुजराती परिवार में हुआ। उनके बड़े भाई मनहर उधास
जाने माने पाश्र्वगायक हैं। घर में संगीत के माहौल से पंकाज की भी रूचि
संगीत की ओर हो गई।
महज सात वर्ष की उम्र से ही पंकज गाना गाने लगे।एक बार पकंज को एक संगीत
कार्यक्रम में हिस्सा लेने का मौका मिला जहां उन्होंने 'ए मेरे वतन के लोगो
जरा आंख में भर लो पानी' गीत गाया। इस गीत को सुनकर श्रोता भाव विभोर हो
उठे। उनमें से एक ने पंकज को खुश होकर 51 रूपये दिए। इस बीच पंकज राजकोट की
संगीत नाट्य अकादमी से जुड़ गए और तबला बजाना सीखने लगे।
पंकज के सिने करियर की शुरूआत 1972 में प्रदर्शित फिल्म 'कामना' से हुई
लेकिन कमजोर पटकथा और निर्देशन के कारण फिल्म टिकट खिडक़ी पर बुरी तरह असफल
साबित हुई। इसके बाद गजल गायक बनने के उद्देश्य से पंकज ने उर्दू की तालीम
हासिल करनी शुरू कर दी।
वर्ष 1976 में पंकज को कनाडा जाने का अवसर मिला और
वह अपने एक मित्र के यहां टोरंटो में रहने लगे। उन्हीं दिनो अपने दोस्त के
जन्मदिन के समारोह में पंकज को गाने का अवसर मिला। उसी समारोह में टोरंटो
रेडियो में हिंदी के कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले एक सज्जन भी मौजूद थे।
उन्होंने पंकज उधास की प्रतिभा को पहचान लिया और उन्हें टोरंटो रेडियो और
दूरदर्शन में गाने का मौका दे दिया।
लगभग दस महीने तक टोरंटो रेडियो और दूरदर्शन में गाने के बाद पंकज का मन इस
काम से उचाट हो गया। इस बीच कैसेट कंपनी के मालिक मीरचंदानी से उनकी
मुलाकात हुई और उन्हें अपनी नई एलबम आहट में पार्श्वगायन का अवसर दिया। यह
अलबम श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ।
वर्ष 1986 में प्रदर्शित फिल्म 'नाम पंकज के' सिने कैरियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में एक है। यूं तो इस फिल्म के लगभग सभी गीत सुपरहिट साबित हुए लेकिन पंकज उधास की मखमली आवाज में चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है गीत आज भी श्रोताओ की आंखो को नम कर देता है।इस फिल्म की सफलता के बाद पंकज को कई फिल्मों में पाश्र्वगायन का अवसर मिला। इन फिल्मों में गंगा जमुना सरस्वती, बहार आने तक, थानेदार, साजन, दिल आश्ना है, फिर तेरी कहानी याद आई, ये दिल्लगी, मोहरा, मै खिलाड़ी तू अनाड़ी, मंझधार, घात और ये है जलवा प्रमुख हैं।
पंकज को अपने कैरियर में मान सम्मान भी खूब मिला। इनमें सर्वश्रेष्ठ गजल गायक, के.एल.सहगल अवार्ड, रेडियो लोटस अवार्ड, इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी अवार्ड, दादाभाई नौरोजी मिलेनियम अवार्ड और कलाकार अवार्ड जैसे कई पुरस्कार शामिल हैं। साथ ही गायकी के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये उन्हें 2006 में पदमश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
पंकज अब तक 40 एलबम के लिये पार्श्वगायन कर चुके हैं। इनमें नशा, हसरत,
महक, घूंघट, नशा 2,अफसाना, आफरीन, नशीला, हमसफर, खूशबू और टुगेदर प्रमुख
हैं। पंकज आज भी अपने पार्श्वगायन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं