2 News : जानें-सारा किस बात के लिए कभी नहीं मांगेंगी माफी, जावेद ने बताया सलीम से जोड़ी टूटने का कारण
By: RajeshM Wed, 20 Mar 2024 6:31:43
एक्ट्रेस सारा अली खान हमेशा लाइमलाइट में रहती हैं। सारा हर धर्म का दिल से सम्मान करती हैं। वह अक्सर विभिन्न धर्मों के धार्मिक स्थलों पर जाती रहती हैं। सारा अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से इनकी झलक दिखाती हैं। सारा के पिता सैफ अली खान मुस्लिम और मां एक्ट्रेस अमृता सिंह हिंदू हैं। सरनेम में अली खान लगाने और मंदिरों में जाने पर कई बार इंटरनेट यूजर्स सारा को ट्रोल कर चुके हैं।
अब सारा ने एक इंटरव्यू में सवाल उठाने वालों को करारा जवाब दिया है। सारा ने Galatta India के साथ बातचीत में कहा कि मैं एक धर्मनिरपेक्ष, संप्रभु और लोकतांत्रिक गणराज्य परिवार में जन्मी हूं। मुझे कभी अन्याय के बारे में बेबाक बोलने की जरूरत महसूस नहीं हुई, क्योंकि मैं बेवजह बोलने में यकीन नहीं करती हूं लेकिन गलत के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत मुझमें है। इसलिए अगर वो चीज मेरे साथ ही नहीं बल्कि मेरे आस-पास मौजूद लोगों के साथ भी होगी, तो मैं स्टैंड लूंगी।
मुझे फर्क पड़ता है अगर लोगों को मेरा काम पंसद नहीं आता लेकिन पर्सनल चीजें मेरी हैं उन पर मेरा हक है। मेरी धार्मिक मान्यताएं, मेरी फूड चॉइस, कैसे में एयरपोर्ट पर जाऊंगी, ये सब मेरे फैसले हैं। इसके लिए मैं कभी भी माफी नहीं मांगूंगी। सारा का वर्कफ्रंट देखें तो हाल ही उनकी फिल्म ‘मर्डर मुबारक’ रिलीज हुई थी। जल्द ही वह ‘ऐ वतन मेरे वतन’ फिल्म में नजर आएंगी। खास बात ये है कि दोनों फिल्मों का सिनेमाघरों के बजाय OTT प्लेटफॉर्म पर मजा उठाया जा सकेगा।
सलीम खान और जावेद अख्तर की जोड़ी ने कई सुपरहिट फिल्में लिखीं
मशहूर लेखक सलीम खान और जावेद अख्तर की जोड़ी ने 'शोले', 'दीवार', 'जंजीर', 'डॉन', 'हाथी मेरे साथी' और 'यादों की बारात' जैसी कई सुपरहिट फिल्में लिखीं। करीब 12 साल तक साथ काम करने के बाद साल 1982 में सलीम-जावेद की जोड़ी अलग हो गई। अब अख्तर ने मोजो स्टोरी के लिए बरखा दत्त के साथ एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि आखिर क्यों दोनों के रास्ते अलग हो गए।
अख्तर ने कहा कि लेखन साझेदारी को बनाए रखना अक्सर मुश्किल होता है क्योंकि यह एक मजबूत मानसिक तालमेल पर निर्भर करता है, जैसा कि मेरे और सलीम खान के बीच एक समय था। लेखन में साझेदारी एक गेंद का खेल है। आपके पास कोई तराजू या तौलने की मशीन नहीं है, जिस पर आप एक सीन रख सकें और उसका वजन तय कर सकें, यह केवल महसूस करने की बात है।
किसी सीन को लेने और उसे पारस्परिक रूप से विकसित करने और इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कि यह अंतिम चीज है और यह अच्छा है, आपके पास जबरदस्त मानसिक तालमेल होना चाहिए। जब हम सफल हो गए तो स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे से दूर हो गए और हमारे जीवन में और ज्यादा लोग आने लगे। हमारे बीच कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ, यहां तक कि क्रेडिट या पैसे को लेकर भी कोई झगड़ा नहीं हुआ।
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