अख्तर ने इस चक्कर में छोड़ दी थी ‘कुछ कुछ होता है’, दिग्गज लेखक को बेटा-बेटी समझते हैं आउटडेटेड और ट्रेडिशनल
By: Rajesh Mathur Tue, 08 Oct 2024 11:49:15
दिग्गज लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने बॉलीवुड में सालों तक अपने काम से ऐसी धाक जमाई है कि लोग आज भी उनके कायल हैं। अख्तर ने एक से बढ़कर एक फिल्मों की कहानी और गाने लिखे हैं। वे 79 साल के हो चुके हैं, लेकिन उनकी कलम का जादू किसी तरह से कम नहीं हुआ है। अब एक इंटरव्यू में अख्तर ने साल 1998 में आई करण जौहर की सुपरहिट मूवी ‘कुछ कुछ होता है’ को लेकर खुलासा किया। फिल्म में शाहरुख खान, काजोल, रानी मुखर्जी ने अहम भूमिकाएं निभाई थीं, जबकि सलमान खान का कैमियो था।
अख्तर ने सपन वर्मा के यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि 80 के दशक को हिंदी सिनेमा के लिए मैं सबसे खराब वक्त मानता हूं। उस वक्त लोग या तो डबल मीनिंग गाने लिख रहे थे या फिर ऐसा लिख रहे थे जिसका कोई मतलब ही नहीं था। उस दौरान मैं वैसी फिल्में करने से मना कर देता था, जिसमें इमैजिनेशन में भी थोड़ी बहुत भी वल्गैरिटी होती थी। इस चक्कर में मैंने एक बहुत अच्छी फिल्म छोड़ दी थी। उस फिल्म का नाम था ‘कुछ कुछ होता है’।
मैंने इसका पहला गाना लिखा था। वो रिकॉर्डेड था, वो फिल्म में है, ‘कोई मिल गया, मेरा दिल गया’। फिर उन्होंने फिल्म का नाम रखा ‘कुछ कुछ होता है’। मैंने उस फिल्म में काम करने से मना कर दिया जिसका टाइटल ‘कुछ कुछ होता है’ था। मैंने फिल्म छोड़ दी। ‘कुछ कुछ होता है’…क्या होता है?” बता दें कि ‘कुछ कुछ होता है’ करण की डायरेक्टर के रूप में पहली फिल्म थी। फिल्म का बजट 14 करोड़ रुपए था और इसने वर्ल्डवाइड 90 करोड़ रुपए का बिजनेस किया था।
जावेद अख्तर ने बेटे फरहान और बेटी जोया को लेकर बताई यह बात
इंटरव्यू में जावेद अख्तर ने बताया कि उनकी बेटी जोया और बेटे फरहान को उनकी लिखी हुई लाइंस आउटडेटेड और ओल्ड फैशन लगती है। अख्तर कहते हैं कि उनके लिए मेरा बॉस बनना काफी आसान है। बाकी लोग संकोच करते हैं कि मैं वरिष्ठ और दिग्गज हूं, लेकिन मेरे बच्चे इसका बिलकुल भी लिहाज नहीं करते हैं। फरहान मेरे साथ लड़ता नहीं है वो बस मेरी लाइन को रिजेक्ट कर देता है। वहीं जोया मेरे साथ लड़ाई करती है।
उन दोनों की पहली भाषा इंग्लिश है। मेरी भाषा उर्दू और हिंदी है। जिस भाषा में वो फिल्में बनाते हैं, मैं उसे उनसे बेहतर समझता हूं लेकिन फिर भी वो दोनों मुझे आउटडेटेड और ट्रेडिशनल कहते हैं। पिछले 25 साल में मैंने फरहान के लिए सिर्फ एक स्क्रिप्ट (लक्ष्य मूवी) लिखी है वहीं जोया की डेब्यू फिल्म ‘लक बाय चांस’ के लिए मैंने चंद डायलॉग्स लिखे थे। जोया ने फिल्म ‘दिल धड़कने दो’ में मुझे कुत्ते के संवाद लिखने के लिए कहा था।
उसने कहा था कि फिल्म में कुत्ते के जज्बात मुझसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता। गौरतलब है कि अख्तर ने सलमान खान के पिता सलीम खान संग मिलकर ‘दीवार’ ‘शोले’, ‘काला पत्थर’, ‘सीता और गीता’, ‘दोस्ताना’, ‘हाथी मेरे साथी’, ‘जंजीर’ जैसी कई ब्लॉकबस्टर फिल्में लिखी हैं।
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