6,000 कर्मचारियों की छंटनी के बावजूद Microsoft अधिकारी का बयान - AI से कोडिंग का अंत नहीं हुआ

माइक्रोसॉफ्ट में 6,000 कर्मचारियों की हालिया छंटनी और कंपनी के एक तिहाई कोड अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जनरेट होने के बावजूद, माइक्रोसॉफ्ट की चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर (एक्सपीरियंसेज़ और डिवाइसेज़) अपर्णा चेनप्रगडा का मानना है कि कोडिंग खत्म नहीं हुई है — बल्कि पहले से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गई है।

कोडिंग खत्म नहीं हुई है, बस उसका तरीका बदल रहा है

हाल ही में 'लेनीज़ पॉडकास्ट' में बातचीत करते हुए चेनप्रगडा ने कहा, बहुत से लोग कहते हैं कि अब कंप्यूटर साइंस पढ़ने की ज़रूरत नहीं, कोडिंग खत्म हो चुकी है — मैं इस सोच से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। कोडिंग हमेशा से परत-दर-परत सरल होती जा रही है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पहले लोग असेंबली लैंग्वेज में कोड लिखते थे, फिर सी में और अब उससे भी उच्च स्तर की एब्स्ट्रैक्शन में। उनके अनुसार, AI उसी विकास क्रम का हिस्सा है — यह डेवलपर्स की जगह नहीं ले रहा बल्कि उनकी क्षमताओं को और बढ़ा रहा है।

भविष्य में डेवलपर्स की भूमिका बदल सकती है

अपर्णा मानती हैं कि आने वाले वर्षों में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की भूमिका पारंपरिक डेवलपर से बदलकर सॉफ्टवेयर ऑपरेटर जैसी हो सकती है। लेकिन इससे कंप्यूटर साइंस की बुनियादी समझ की अहमियत खत्म नहीं होती।

हो सकता है हम SWEs की जगह SOs देखें, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सोचने का तरीका बदल गया है। कोडिंग एक सोचने का ढांचा है — एक मानसिक मॉडल।

प्रोजेक्ट मैनेजर्स भी सुरक्षित नहीं, लेकिन भूमिका बदलेगी


उन्होंने यह भी कहा कि प्रोजेक्ट मैनेजर की भूमिका भी बनी रहेगी, लेकिन उन्हें बदलती तकनीकी दुनिया के साथ तालमेल बिठाना होगा। AI की वजह से तेजी से बढ़ रहे आइडिया और प्रोटोटाइप्स के बीच सही विकल्प चुनने की क्षमता — यानी 'टेस्ट और एडिटिंग' — प्रबंधकों के लिए और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

जब विचारों की बाढ़ हो, तो उसमें से सबसे मूल्यवान को पहचानना ही सबसे अहम कौशल बन जाता है।

छंटनी से उठे सवाल: क्या इंजीनियर खुद को हटाने वाले टूल बना रहे थे?


हालांकि, अपर्णा की आश्वस्तिपूर्ण बातों के विपरीत, हकीकत कुछ और कहानी कहती है। हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट ने लगभग 6,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, जिनमें से करीब 40% सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे। यह आंकड़ा वॉशिंगटन राज्य की आंतरिक रिपोर्ट से सामने आया है।

एक उदाहरण माइक्रोसॉफ्ट के वाइस प्रेसिडेंट जेफ़ हुल्स का है, जिन्होंने अपनी 400 सदस्यीय इंजीनियरिंग टीम को OpenAI आधारित टूल्स का उपयोग बढ़ाने के लिए कहा था — जिनसे टीम को 50% तक कोड जनरेट करने की उम्मीद थी। लेकिन कुछ ही हफ्तों बाद, उन्हीं इंजीनियरों को नौकरी से निकाल दिया गया। यह सवाल खड़ा करता है — क्या वे इंजीनियर खुद अपनी जगह लेने वाली तकनीक तैयार कर रहे थे?

AI की कामयाबी या मानव श्रम का व्यापार?

सीईओ सत्य नडेला ने कई बार इस बात पर गर्व जताया है कि कंपनी के कई प्रोजेक्ट्स में अब 30% कोड AI से तैयार होता है। लेकिन जिन इंजीनियरों की नौकरी गई, उनके लिए यह कोई तकनीकी क्रांति नहीं बल्कि एक दर्दनाक समझौता साबित हुआ।

चेनप्रगडा ने जहाँ प्रोजेक्ट मैनेजमेंट की भूमिका को AI से अप्रभावित बताया, वहीं सच यह है कि इस छंटनी की लहर में प्रोडक्ट मैनेजर, टेक्निकल प्रोग्राम मैनेजर और यहां तक कि AI पर काम कर रहे कुछ कर्मचारी भी शामिल थे।

जहाँ एक ओर माइक्रोसॉफ्ट भविष्य की कोडिंग को अधिक लोकतांत्रिक और आसान बता रहा है, वहीं दूसरी ओर इंजीनियरों की छंटनी और AI की बढ़ती भूमिका यह संकेत भी देती है कि तकनीकी बदलाव के इस दौर में स्थिरता की कोई गारंटी नहीं है — न कोडर्स के लिए और न ही मैनेजर्स के लिए।