एक मिसाल है नवाजुद्दीन सिद्दीकी नवयुवको के लिए

मुंबई में उन्होंने संघर्ष का ऐसा समय भी देखा की वह एक समय खाना खाते तो दूसरे समय के लाले पड़ जाते। उन्होंने कई बार सोचा की सब कुछ छोड़कर वापस गांवचले जाये, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और वो डटे रहे। और इसका नतीजा आज हम सब जानते है।
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