विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हमें और सशस्त्र बलों की जरूरत : राजनाथ सिंह

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए आधुनिक उपकरणों से लैस और अधिक मजबूत सशस्त्र बलों की जरूरत है तथा उन्होंने सेना के तीनों अंगों द्वारा वित्तीय संसाधनों के प्रभावी उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। सिंह ने दिल्ली छावनी में रक्षा लेखा विभाग (डीएडी) के 276वें वार्षिक दिवस समारोह में उसकी कई डिजिटल पहल की शुरुआत करने के बाद ये टिप्पणियां कीं। डीएडी को ‘‘रक्षा वित्त का संरक्षक'' बताते हुए उन्होंने आंतरिक सतर्कता तंत्र मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि का तुरंत पता लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि इससे न केवल समस्या से तुरंत निपटने में मदद मिलेगी बल्कि रक्षा लेखा विभाग पर लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा।

लॉन्च की गई डिजिटल पहल में रक्षा मंत्रालय के खातों, बजट और खर्चों के लिए एक इंटीग्रेटेड डिफेंस फाइनेंस डैशबोर्ड (SARANSH) और बिल सूचना और कार्य विश्लेषण प्रणाली और ई-रक्षा आवास (BISWAS) शामिल हैं।

अपने संबोधन के दौरान रक्षा मंत्री ने किसी भी संदिग्ध गतिविधि का तुरंत पता लगाने और उसकी समीक्षा के लिए इंटरनल विजिलेंस मैकेनिज्म को मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, इससे न केवल समस्या से तुरंत निपटने में मदद मिलेगी, बल्कि विभाग में लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा। अगर हम एक विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं तो हमें आधुनिक हथियारों और उपकरणों के साथ मजबूत सशस्त्र बलों की आवश्यकता पड़ेगी।

वित्तीय संसाधनों का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल जरूरी

राजनाथ सिंह ने कहा, इसलिए हमारे पास उपलब्ध वित्तीय संसाधनों का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है। साथ ही सर्विस डिमांड और उपलब्ध संसाधनों के आवंटन के बीच भी संतुलन होना चाहिए। रक्षा मंत्री ने डीएडी को एक आंतरिक स्थायी समिति बनाने का भी सुझाव दिया जो बाजार के बारे में अध्ययन कर सके और जमीनी स्तर पर काम कर रहे अधिकरियों को बाजार के बारे में उच्च गुणवत्ता वाली सूचना उपलब्ध करा सके।

राजनाथ सिंह ने पारदर्शी और कुशल फाइनेंशियल सिस्टम की मदद से देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के प्रयासों के लिए संगठन की सराहना की। हमारी इच्छाएं असीमित हैं, लेकिन हमारे पास जो संसाधन उपलब्ध हैं वह काफी सीमित हैं। उन्होंने जरूरतों के मुताबिक ट्रेनिंग मॉड्यूल विकसित करने और अपनाने के लिए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIMs) और इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) जैसे संस्थानों के साथ सहयोग करने का आग्रह भी किया।