तमिलनाडु ने बनाया इतिहास, राज्यपाल की मंजूरी के बिना 10 विधेयकों को अधिनियम के रूप में अधिसूचित किया

चेन्नई। तमिलनाडु सरकार ने शनिवार को सभी 10 विधेयकों को अधिनियम के रूप में अधिसूचित कर दिया। इससे राज्य सरकार को कुलपति को नियुक्त करने और हटाने का अधिकार मिल गया। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तमिलनाडु की रिट याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए राज्यपाल आरएन रवि द्वारा रोके गए इन विधेयकों को अधिनियम घोषित किया था।

शीर्ष अदालत के इस ऐतिहासिक निर्णय के तीन दिन बाद राज्य ने विधेयकों को कानून के रूप में अधिसूचित किया। राज्य ने 11 अप्रैल, 2025 को अपने असाधारण तमिलनाडु सरकार राजपत्र में विधेयकों को प्रकाशित किया।

8 अप्रैल को, शीर्ष अदालत ने अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए विधेयकों को दोबारा स्वीकृति के लिए राज्यपाल को भेजे जाने के दिन से प्रभावी रूप से अधिनियम घोषित किया था।

अधिनियमों के अधिसूचित होने के बाद राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियों में राज्यपाल का दखल खत्म हो जाएगा। इससे उम्मीदवारों को सूचीबद्ध करने और उनकी शैक्षणिक योग्यता और अनुभव तय करने की शक्ति सरकार को मिल गई है। साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री अब विश्वविद्यालयों के चांसलर होंगे।

कुलपतियों के कार्यकाल के बारे में अधिनियम में कहा गया है कि वे अपने पदभार ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्ष की अवधि तक या सत्तर वर्ष की आयु पूरी होने तक, जो भी पहले हो, सेवा में बने रहेंगे।

एक सूत्र ने बताया कि यह निर्णय इस बात को ध्यान में रखते हुए लिया गया कि अधिनियम विधेयकों को राज्य विधानसभा द्वारा दोबारा पारित कर राज्यपाल को भेजे जाने की तिथि से लागू होंगे।

कई विधेयकों में कहा गया है, कुलपति को इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने से जानबूझकर चूकने या इनकार करने या उसमें निहित शक्तियों का दुरुपयोग करने के आधार पर पारित सरकार के आदेश के अलावा उसके पद से नहीं हटाया जाएगा। ऐसे मामले में जहां कुलपति को हटाने का प्रस्ताव है, सरकार ऐसे व्यक्ति द्वारा जांच का आदेश देगी जो - (i) उच्च न्यायालय का न्यायाधीश है या रहा है; या (ii) सरकार का एक अधिकारी, जो सरकार के मुख्य सचिव के पद से नीचे नहीं है, जिसमें कुलपति को प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया जाएगा। जांच रिपोर्ट पर विचार करने के बाद, कुलपति को जांच रिपोर्ट की एक प्रति प्रदान की जाएगी और हटाने का आदेश देने से पहले, अगर कोई हो, तो अपना पक्ष रखने के लिए कहा जाएगा।

इन अधिनियमों में से एक तमिलनाडु मत्स्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2020 है, जिसके तहत विश्वविद्यालय का नाम बदलकर डॉ। जे। जयललिता मत्स्य विश्वविद्यालय कर दिया है।

नया कानून सरकार को उस व्यक्ति के लिए शैक्षणिक योग्यता और अनुभव निर्धारित करने की भी शक्ति देते हैं, जिसे खोज समिति द्वारा कुलपति के रूप में नियुक्ति के लिए अनुशंसित किया जा सकता है। प्रस्ताव के मुताबिक व्यक्ति उच्चतम स्तर की योग्यता, अखंडता, नैतिकता और संस्थागत प्रतिबद्धता वाला एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद होगा।

डीएमके सांसद पी विल्सन ने एक एक्स पोस्ट में इसे ऐतिहासिक बताया। उन्होंने पोस्ट में लिखा, इतिहास इसलिए बना है क्योंकि ये भारत में किसी भी विधानमंडल के पहले अधिनियम हैं जो राज्यपाल या राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बिना सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बल पर प्रभावी हुए हैं। हमारे विश्वविद्यालयों को अब सरकार के चांसलरशिप में नए स्तर पर ले जाया जाएगा।

अधिसूचित अन्य अधिनियम

—तमिलनाडु विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) अधिनियम, 2022

—तमिलनाडु डॉ। अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2022

—तमिलनाडु डॉ। एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी, चेन्नई (संशोधन) अधिनियम, 2022

—तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2022

—तमिल विश्वविद्यालय (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2022

—तमिलनाडु मत्स्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2023

—तमिलनाडु पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2023

—तमिलनाडु विश्वविद्यालय कानून (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2022