नौकरियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को फटकारा, लोगों का भरोसा उठ जाएगा

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ममता बनर्जी सरकार को राहत देते हुए शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच पर रोक लगा दी।

कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा राज्य संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों में 24,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द करने और भर्ती प्रक्रिया को अवैध बताने के बाद सरकार ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, हम उस निर्देश पर रोक लगाएंगे जिसमें कहा गया है कि सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ आगे की जांच करेगी।

ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार ने कहा है कि उच्च न्यायालय ने नियुक्तियों को मनमाने ढंग से रद्द कर दिया है।

अगर जनता का विश्वास चला गया तो कुछ नहीं बचेगा। यह व्यवस्थागत धोखाधड़ी है। सार्वजनिक नौकरियाँ आज बेहद दुर्लभ हैं और उन्हें सामाजिक गतिशीलता के तौर पर देखा जाता है। अगर उनकी नियुक्तियों को भी बदनाम कर दिया जाए तो सिस्टम में क्या बचेगा? लोगों का भरोसा खत्म हो जाएगा। सीजेआई ने बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों से पूछा, आप कैसे हैं? इसका सामना करो?

पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की खिंचाई की है। अदालत ने 25 हजार शिक्षकों की नियुक्ति रद्द किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने बंगाल सरकार से तीखे सवाल पूछते हुए कहा कि आखिर जब नियुक्ति प्रक्रिया पर ही सवाल उठ रहे थे तो फिर अतिरिक्त पद क्यों निकाले गए। यही नहीं वेटिंग लिस्ट में रहने वाले कैंडिडेट्स तक को क्यों नियुक्ति मिल गई। वहीं बंगाल सरकार के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि यह तो सीबीआई ने भी नहीं कहा है कि 25 हजार शिक्षकों की नियुक्ति अवैध है। हर चीज शिक्षक और छात्र अनुपात के मुताबिक थी।

वहीं बंगाल सरकार के एक अन्य वकील जयदीप गुप्ता ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला ही गलत है, जिसमें उसने शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द कर दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा फैसला देना तो हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में ही नहीं है और सुप्रीम कोर्ट के ही फैसले के विपरीत है। इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि भर्ती परीक्षा से जुड़ी कॉपियां क्यों खत्म कर दी गई हैं। ओएमआर शीट और आंसर शीट्स का क्या हुआ। इस पर वकील ने कहा कि हां अब कॉपियां नहीं मिल पाएंगी। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है।

उन्होंने कहा कि यह तो भर्ती आयोग की जिम्मेदारी है कि वह इन शीट्स की डिजिटल कॉपी अपने पास रखे। अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति है तो फिर लोग तो अपना भरोसा ही खो देंगे। बता दें कि बीते सप्ताह ही सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें 25 हजार शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने का आदेश दिया गया था। यही नहीं उच्च न्यायालय का कहना है कि नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों को अब तक मिली सैलरी भी लौटानी होगी। इसके चलते हजारों लोगों का भविष्य अधर में है और उन्हें इस बात की भी चिंता सता रही है कि यदि सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली तो वह रकम वापस करने के लिए पैसे कहां से लाएंगे।