शशि थरूर ने PAK को बेनकाब करने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने की मंजूरी दी, क्या कांग्रेस करेगी कोई कार्रवाई?

22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की थी। आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब करने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का गठन किया गया है। इस मिशन के तहत अमेरिका जा रहे प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता शशि थरूर की भागीदारी को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। दिलचस्प बात यह है कि जब केंद्र सरकार ने कांग्रेस से प्रतिनिधिमंडल के लिए नाम मांगे, तो थरूर का नाम पार्टी द्वारा भेजी गई सूची में नहीं था। इसके बावजूद, सरकार ने उन्हें प्रतिनिधिमंडल में शामिल कर विदेश में भारत का पक्ष रखने की जिम्मेदारी सौंपी है।

कांग्रेस का रुख क्या है?

कांग्रेस का मानना है कि शशि थरूर पार्टी लाइन के विपरीत काम कर रहे हैं। मीडिया में यह चर्चा भी जोरों पर है कि पार्टी उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकती है। हालांकि, ABP न्यूज़ को सूत्रों से जानकारी मिली है कि केरल विधानसभा चुनाव तक उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कदम उठाने की संभावना नहीं है। पार्टी नेतृत्व इस मुद्दे पर फिलहाल शांत है।

थरूर ने क्या कहा?

सरकार की ओर से प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने के निमंत्रण को लेकर शशि थरूर ने कहा कि उन्हें गर्व है कि भारत की बात रखने के लिए उन्हें चुना गया। उन्होंने कहा, “मैंने तुरंत हामी भर दी। इसमें कोई राजनीति नहीं देखी जानी चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस की ओर से जो नाम भेजे गए, उनमें से केवल एक नाम को ही चुना गया, जो कि पार्टी और सरकार के बीच का मामला है।

जयराम रमेश के निशाने पर थरूर?

इस मुद्दे पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शशि थरूर का नाम लिए बिना कटाक्ष करते हुए कहा था, “कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना—इन दोनों में ज़मीन-आसमान का फर्क होता है।” उन्होंने यह भी कहा कि सांसदों को अपनी अंतरात्मा की आवाज़ जरूर सुननी चाहिए। रमेश ने यह भी स्पष्ट किया कि जब सांसदों को किसी आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया जाता है, तो उन्हें पार्टी की सहमति लेनी चाहिए।

कांग्रेस ने किन नामों की सिफारिश की थी?

जयराम रमेश के अनुसार, सरकार की ओर से प्रतिनिधिमंडल के लिए जब चार नाम मांगे गए, तो कांग्रेस ने आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन, और राजा बरार के नाम भेजे। इन चार नामों में से केवल आनंद शर्मा को ही प्रतिनिधिमंडल में स्थान मिला। बावजूद इसके, सरकार द्वारा थरूर को प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया जाना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।