'मुसलमानों के लिए RSS प्रमुख के शब्द असल में खोखले और पाखंडी...', मोहन भागवत पर असदुद्दीन ओवैसी का बड़ा बयान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के मुसलमानों को लेकर दिए गए हालिया बयानों पर AIMIM प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने 17 मई 2025 को दिए गए एक साक्षात्कार में भागवत के बयानों को पाखंड से भरा और निरर्थक करार दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसी बयानबाजी का कोई व्यावहारिक महत्व नहीं है और इससे मुसलमानों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आता।

PTI को दिए गए इंटरव्यू में ओवैसी ने कहा, “मुसलमानों के प्रति कभी-कभार आने वाले आरएसएस प्रमुख के शांतिपूर्ण शब्द असल में खोखले और पाखंडी होते हैं। ये महज दिखावा है, जिनका कोई ठोस असर ज़मीन पर नहीं दिखता।” उन्होंने भागवत के उस पुराने बयान का भी हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि “मंदिर-मस्जिद के झगड़े खड़े कर नेता नहीं बना जा सकता; हमें दुनिया को दिखाना है कि हम साथ रह सकते हैं।”

इसके साथ ही ओवैसी ने बीजेपी की लगातार चुनावी जीत को विपक्ष की विफलता और हिंदू मतदाताओं की एकजुटता का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि बार-बार उन्हें मोदी विरोधी वोटों में सेंध लगाने वाला बताना गलत है और यह केवल एक राजनीतिक बहाना है।

ओवैसी ने कहा, “मुझ पर आरोप कैसे लगाया जा सकता है? अगर मैं 2024 के लोकसभा चुनावों में हैदराबाद, औरंगाबाद, किशनगंज और कुछ अन्य सीटों से लड़ता हूं और बीजेपी को 240 सीटें मिलती हैं, तो क्या मैं जिम्मेदार हूं? बीजेपी इसलिए सत्ता में आ रही है क्योंकि विपक्ष नाकाम है। वह इसलिए जीत रही है क्योंकि उसने 50 प्रतिशत से अधिक हिंदू वोट अपने पक्ष में कर लिए हैं।”

‘विपक्ष मुस्लिम वोट को सिर्फ चुनावी लाभ के रूप में देखता है’

ओवैसी ने कहा कि विपक्षी दल सिर्फ चुनाव के वक्त मुसलमानों को याद करते हैं, उन्हें वोट बैंक समझते हैं और उनके असली मुद्दों की अनदेखी करते हैं। उन्होंने विपक्ष द्वारा एआईएमआईएम को बीजेपी की 'बी-टीम' बताए जाने पर पलटवार किया और इसे ‘पार्टी के प्रति नफरत’ का नतीजा बताया, क्योंकि AIMIM मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करती है।

'ऊंची जाति के लोग नेता होंगे, मुसलमान भिखारी होंगे?'

ओवैसी ने जातीय राजनीति पर सवाल उठाते हुए कहा, “जब हर वर्ग को राजनीतिक नेतृत्व मिलता है तो मुसलमान क्यों नहीं? क्या मुसलमान सिर्फ वोट देंगे, नेता नहीं बन सकते?” जब उनसे पूछा गया कि क्या उनका इशारा कांग्रेस की ओर है, तो उन्होंने साफ किया कि उनका यह सवाल बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा) समेत सभी विपक्षी दलों की ओर है।

उन्होंने कटाक्ष किया, “यादव नेता होंगे, मुसलमान भिखारी होंगे? ऊंची जातियों के लोग नेता बनेंगे और मुसलमान भीख मांगेंगे? यह कैसी बराबरी है?” उन्होंने कहा कि भारत के संस्थापकों ने देश को “सहभागी लोकतंत्र” के रूप में देखा था, तो फिर मुसलमानों की भागीदारी कहां है?

ओवैसी ने जोर देकर कहा कि अगर भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना चाहता है तो इतने बड़े समुदाय को हाशिये पर रखकर यह संभव नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि राजनीतिक दलों को मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक मानना बंद कर देना चाहिए और उन्हें शिक्षा, रोजगार, सम्मान और नेतृत्व देने की दिशा में ठोस कार्य करना चाहिए।