RBI Repo Rate Hike: रिजर्व बैंक ने फिर बढ़ाया रेपो रेट, महंगा हुआ लोन, बढ़ेगा EMI का बोझ

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बुधवार को एक बार फिर से रेपो रेट बढ़ाने का ऐलान कर दिया। अब रेपो रेट 0.50% बढ़कर 4.90% हो गया है। यह करीब एक महीने के अंतराल में रेपो रेट में लगातार दूसरी बढ़ोतरी है। रेपो रेट के बढ़ने से तमाम तरह के लोन अब महंगी दरों पर मिलेंगे और आम आदमी पर EMI का बोझ पहले के मुकाबले ज्यादा पड़ेगा। आरबीआई ने पॉलिसी रेपो रेट को जहां 50 आधार अंक बढ़ाकर 4.90% कर दिया है, वहीं स्थायी जमा सुविधा (SDF) दर को 4.15% से बढ़ाकर 4.65% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) रेट और बैंक रेट को 4।65% से बढ़ाकर 5.15% पर एडजस्ट किया है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने मौद्रिक नीति समिति की जून बैठक के बाद आज रेपो रेट बढ़ाए जाने की जानकारी दी। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिनों की यह बैठक सोमवार से चल रही थी और आज संपन्न हुई। यह इस फाइनेंशियल ईयर में आरबीआई एमपीसी की तीसरी बैठक थी। बैठक में समिति के पांचों सदस्यों ने गवर्नर दास की अगुवाई में महंगाई और इकोनॉमिक ग्रोथ की वास्तुस्थिति पर विचार-विमर्श किया। बेकाबू महंगाई को देखते हुए समिति के सदस्य इस बात पर सहमत हुए कि फिलहाल रेपो रेट बढ़ाने के अलावा और कोई चारा नहीं है।

RBI के इस फैसले का असर शेयर बाजार पर भी देखने को मिला। सुबह की ओपनिंग गैप-अप होने के बाद तुरंत बाजार गिर गया। इसके बाद जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में वृद्धि के बारे में घोषणा की तो बाजार में काफी तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिला।

यह होगा बढ़ोतरी का असर

- आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने से होम और कार लोन जैसे अन्य कर्जों की ईएमआई बढ़ जाएगी। इसकी वजह ये है कि बैंक बढ़ी हुई रेपो रेट का बोझ सीधा ग्राहकों पर डालेंगे।
- रेपो रेट बढ़ने का असर सेविंग बैंक अकाउंट और एफडी पर भी पड़ेगा। बैंक आपके सेविंग अकाउंट और सावधि जमा पर ब्याज दर बढ़ा सकते हैं। जैसा कि 4 मई को रेपो रेट में वृद्धि के बाद तमाम बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट्स पर ब्याज दर में वृद्धि की है।
- लगातार बढ़ रही महंगाई पर काबू पाने के लिए भी केंद्रीय बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी करते हैं। रेपो रेट में ताजा बढ़ोतरी से उम्मीद की जा सकती है कि महंगाई पर लगाम लगेगी।
- रेपो रेट बढ़ने का सबसे ज्यादा असर उद्योग जगत पर होगा, क्योंकि उनके लिए भी लोन और ब्याज दरें पहले के मुकाबले बढ़ जाएंगी।

ऐसे हैं देश में महंगाई के हालात

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई की दर 7.8% रही थी, जो मई 2014 के बाद सबसे ज्यादा है। इसी तरह अप्रैल 2022 में थोक महंगाई की दर बढ़कर 15.08% पर पहुंच गई थी, जो दिसंबर 1998 के बाद सबसे ज्यादा है। अप्रैल महीने में रिकॉर्ड महंगाई के लिए फूड एंड फ्यूल इंफ्लेशन जिम्मेदार रहे थे। फूड इंफ्लेशन की बात करें तो यह मार्च के 7.68% की तुलना में उछलकर अप्रैल में 8.38% पर पहुंच गई थी। अभी मई महीने की महंगाई के आंकड़े जारी नहीं हुए हैं। हालांकि बीते दिनों टमाटर के भाव जिस तरह से बढ़े हैं, महंगाई की दर तेज ही रहने के अनुमान हैं। दूसरी ओर सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर टैक्स कम करने, क्रूड सोयाबीन और सनफ्लॉवर ऑयल पर आयात शुल्क हटाने और विमानन ईंधन (ATF) की कीमत नीचे लाने जैसे उपाय किए हैं। इन प्रयासों से महंगाई कुछ कम हो सकती है।