निर्भया बरसी: मानवता को शर्मसार करने वाली 16 दिसंबर 2012 की वो काली रात...

16 दिसंबर 2012 को देश को दहला देने वाले निर्भया रेप कांड की आज छठी बरसी हैं। चलती बस में 6 लोगों द्वारा एक लड़की का बर्बरता से रेप किया गया। सामूहिक दुष्कर्म के बाद छात्रा के साथ दरिंदगी करने के बाद उसे सड़क पर फेंक दिया गया। उसके साथ उसके दोस्त को भी अधमरी हालत में सड़क पर पटककर दोषी फरार हो गए। गैंगरेप के बाद निर्भया 13 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझती रही और आखिरकार 29 दिसंबर को उसने दम तोड़ दिया था।

देश की राजधानी में हुए इस सामूहिक दुष्कर्म और हैवानियत ने देश की आवाम के साथ-साथ सियासत को हिलाकर रख दिया। इस गैंगरेप की दुनियाभर में निंदा हुई थी। देश में कहीं शांतिपूर्ण, तो कहीं उग्र प्रदर्शन भी हुए थे। दिल्ली में प्रदर्शन के उग्र होने पर मेट्रो सेवा बंद करनी पड़ी थी। रायसीना हिल्सरोड पर तो दिल्ली पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया था। जनआक्रोश की आंधी देश के हर एक हिस्से में दिखाई दी। कहीं सड़कों लोग मोमबत्ती लेकर प्रदर्शन करते दिखाई देते तो कहीं महिला सुरक्षा को लेकर सख्त कानून की आवाजें बुलंद होने लगी। देश की राजधानी में जंतर मंतर, इंडिया गेट, राजपथ तो पूरी तरह से लोगों से पटा दिखाई देता था।

घटना के दो दिन बाद संसद के दोनों सदनों में जोरदार हंगामा हुआ था। आक्रोशित संसद सदस्यों ने रेपिस्ट्स के लिए फ़ांसी की सजा तय करने मांग की थी। इसके बाद तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने संसद को आश्वासन दिया कि आरोपियों को जल्द से जल्द सज़ा दिलवाने की सरकार की ओर से हर संभव कोशिश की जा रही है और राजधानी दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के लिए हर संभव क़दम उठाए जा रहे हैं।

घटना कैसी थी, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केंद्र ने महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते यौन अपराध को रोकने के लिए कठोर कानून बनाने की घोषणा की। लिहाजा, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिस जेएस वर्मा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने दिन-रात काम किया। उसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी समेत देश-विदेश से क़रीब 80 हजार सुझाव मिले। कमेटी ने रिकॉर्ड 29 दिन में 630 पेज की रिपोर्ट 23 जनवरी 2013 को सरकार को सौंप दी। कमेटी को महिलाओं पर यौन अत्याचार करने वालों को कठोरतम दंड देने की सिफारिश करनी थी। निर्भया की छठी बरसी पर एक बार फिर लोग गाहे-बगाहे सवाल उठा रहे हैं कि आख़िर ग़ुनहगारों को अब तक सज़ा क्यों नहीं दी गई?

आइए जानते हैं कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में निर्भया के साथ चलती बस में हुए गैंगरेप और हत्या मामले में अब तक क्या हुआ है।

- 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में 'निर्भया' के साथ हुआ था गैंगरेप।

- 18 दिसंबर, 2012 को पुलिस ने इस मामले के चार दोषियों राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को धर दबोचा।

- 21 दिसंबर को पुलिस को फिर से बड़ी कामयाबी मिली। पुलिस ने एक नाबालिग को दिल्ली से और छठे दोषी अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ्तार कर लिया।

- इधर, 29 दिसंबर को पीड़िता की हालत में सुधार न होने के कारण उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल सिंगापुर भेजा गया। वहां अस्पताल में इलाज के दौरान 'निर्भया' की मौत हो गई।

- 3 जनवरी, 2013 को पुलिस ने दोषियों के खिलाफ हत्या, गैंगरेप, हत्या की कोशिश, अपहरण, डकैती का केस दर्ज करने के बाद चार्जशीट दाखिल की।

- 17 जनवरी, 2013 को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पांचों दोषियों पर आरोप तय किए। आरोपी तिहाड़ जेल में बंद थे।

- 10 सितंबर, 2013 को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चार आरोपियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को दोषी ठहराया।

- 13 सितंबर को कोर्ट ने चारों दोषियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को मौत की सजा सुनाई।

- 7 अक्टूबर, 2013 में निचली अदालत से सजा पाए चार दोषियों में से विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर ने सजा के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की।

- 31 अक्टूबर, 2013 को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग को गैंगरेप और हत्या का दोषी करार दिया। उसको सुधार गृह में भेज दिया गया। कहा जाता है कि वही निर्भया के साथ सबसे ज्यादा दरिंदगी से पेश आया था।

- 11 मार्च, 2013 को आरोपी बस चालक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी।

- 13 मार्च, 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने को चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा।

- 15 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को फांसी दिए जाने पर रोक लगाई।

- 2 जून, 2014 को दो आरोपियों ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

- 14 जुलाई, 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने चारों आरोपियों की फांसी पर सुनवाई पूरी होने तक रोक लगा दी।

- इसके बाद 15 मार्च 2014 को मुकेश और पवन के वकील एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। अन्य दोषियों की तरफ से वकील एपी सिंह भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।

- 20 दिसंबर, 2015 की तारीख इसलिए लोगों का गुस्सा फूटा, क्योंकि नाबालिग अपराधी को बाल सुधार गृह से रिहा कर दिया गया।

- दोषी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। 4 अप्रैल 2016 उनकी फांसी की सजा पर रोक लग गई।

- 18 जुलाई 2016 से सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह की।

- 27 मार्च, 2017 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई, फैसला सुरक्षित रखा गया।

- 5 मई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की सज़ा बरकरार रखी।

- 9 जुलाई, 2018 को दोषियों की ओर से दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए मौत की सजा को बरकरार रखा।

महिलाओं पर हाल में हुई बर्बर यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर अगर नजर डाली जाए तो देश की अंतर्रात्मा को झकझोर देने वाले निर्भया सामूहिक बलात्कार कांड के करीब 6 साल बाद भी सड़कों पर महिलाएं असुरक्षित हैं। सोलह दिसंबर मामले के बाद बड़े पैमाने पर जनाक्रोश पैदा हुआ था और इस साल पांच मई 2017 को इस घटना के चार आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई थी लेकिन छोटी सड़कों से लेकर राजमार्गों तक महिलाओं के खिलाफ इसी तरह की घटनाएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही।