कालेधन को लेकर बड़ी खबर, स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा में बड़ी गिरावट, 20 साल में दूसरी बार सबसे कम

भारतीय लोगों का स्विट्जरलैंड के बैंकों में जमा धन 2018 में करीब छह प्रतिशत घटकर 95.5 करोड़ स्विस फ्रैंक यानी 6,757 करोड़ रुपये रह गया है। स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। बता दे, स्विट्जरलैंड ने 1987 से आंकड़ों को सार्वजनिक करना शुरू किया है। 2016 में यह आंकड़ा सबसे निचले स्तर 67.5 करोड़ स्विस फ्रैंक था। वही 1995 में यह आंकड़ा 72.3 करोड़ स्विस फ्रैंक रहा था। यह 20 साल में दूसरी बार सबसे कम हुआ है। इनमें स्विट्जरलैंड के बैंकों की भारतीय शाखाओं के जरिये जमा धन भी शामिल है। हालांकि सिर्फ भारतीय जमा ही स्विस बैंकों में नहीं घटा है बल्कि सभी विदेशी ग्राहकों का कुल डिपॉजिट 4 फीसदी घटकर 1.40 लाख करोड़ स्विस फ्रैंक (99 लाख करोड़ रुपये) रह गया है. ज्यूरिख स्थित स्विटजरलैंड का केंद्रीय बैंकिंग प्राधिकरण हर साल इससे जुड़े आंकड़े जारी करती है. बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट (बीआईएस) के गंतव्य के हिसाब से बैंकिंग सांख्यिकी के अनुसार स्विस बैंकों में भारतीय लोगों का जमा धन 2018 में अधिक यानी 11 प्रतिशत घटा है।

भारत और स्विट्जरलैंड की सरकार ने पिछले साल कहा था कि यह भारतीयों के यहां के बैंकों में जमा धन के आकलन का अधिक विश्वसनीय उपाय है। एसएनबी के अनुसार स्विट्जरलैंड के बैंकों की भारतीय ग्राहकों के प्रति कुल देनदारियों के आंकड़ों में भारतीय ग्राहकों के स्विस बैंकों में जमा कुल कोष को लिया गया है। इसमें लोगों, बैंकों और उपक्रमों का जमा शामिल है। इसमें भारत में स्विट्जरलैंड के बैंकों का डेटा और साथ में गैर जमा देनदारियां भी शामिल हैं।

एसएनबी ने जिस कोष को स्विस बैंकों की देनदारियों के रूप में दिखाया है वे बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए आधिकारिक आंकड़े हैं। इनसे भारतीयों के स्विट्जरलैंड में जमा कथित काले धन का संकेत नहीं मिलता है जिसको लेकर काफी बहस छिड़ी हुई है। इन आधिकारिक एसएनबी आंकड़ों में वह धन भी शामिल नहीं है जो भारतीयों, प्रवासी भारतीयों ने स्विट्जरलैंड के बैंकों में अन्य देशों की इकाइयों के रूप में जमा कराया है। एसएनबी के आंकड़ों के अनुसार 2017 में भारतीय ग्राहकों के प्रति स्विट्जरलैंड के बैंकों की देनदारी 50 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 1.01 अरब स्विस फ्रैंक या 7,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। इससे पिछले तीन साल इसमें गिरावट आई थी।