एक बार फिर से पाबंदियों का दौर शुरू, कोरोना का नया स्ट्रेन 'ओमिक्रॉन' 10 दिन में 38 देशों तक पहुंचा... जानें कुछ खास बातें

कोरोना वायरस का नया ओमीक्रॉन वेरिएंट दुनिया के 38 देशों तक पहुंच गया है। हालांकि इससे अभी तक एक भी मौत नहीं हुई है। इस बात की जानकारी WHO ने दी है। दुनियाभर में अब तक इसके करीब 400 केस सामने आ चुके हैं। नए वैरिएंट की रफ्तार को लेकर एक्सपर्ट्स भी चेतावनी दे चुके हैं कि ओमिक्रॉन डेल्टा स्ट्रेन से भी 10 गुना ज्यादा रफ्तार से फैल सकता है। नए वैरिएंट को लेकर दुनियाभर में खौफ का माहौल है और एक बार फिर से पाबंदियों का दौर भी शुरू हो चुका है। आपको बता दे, कोरोना का डेल्टा वैरिएंट भारत में दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था। ऐसे में आइए हम आपके लिए कोरोना के इस नए वैरिएंट (Omicron) के बारे में कुछ जानकारी लेकर आए है...

ओमिक्रॉन (Omicron) क्या है और इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC) की श्रेणी में क्यों रखा?

साउथ अफ्रीका में कोरोना (SARS-CoV-2) के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) (B.1.1.529) का पहला केस 24 नवंबर 2021 को मिला था। ओमिक्रॉन के मामले अब तक साउथ अफ्रीका के 9 प्रांतों में से 5 प्रांत में मिले हैं। अब तक गुरुवार को सबसे ज्यादा केस ,11,500 मिले हैं। ओमिक्रॉन में कुल 50 म्यूटेशन हो चुके हैं, जिनमें से 30 म्यूटेशन तो उसके स्पाइक प्रोटीन में हुए हैं। स्पाइक प्रोटीन के जरिए ही कोरोना वायरस इंसानी शरीर में प्रवेश के रास्ते खोलता है। इसकी तुलना में डेल्टा के S प्रोटीन में 18 म्यूटेशन हुए थे। ओमिक्रॉन के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन में भी 10 म्यूटेशन हो चुके हैं, जबकि डेल्टा वैरिएंट में केवल 2 ही म्यूटेशन हुए थे। रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन वायरस का वह हिस्सा है जो इंसान के शरीर के सेल से सबसे पहले संपर्क में आता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने इसकी जांच के बाद इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC) की श्रेणी में रखा है। यानी यह वैरिएंट काफी तेजी से फैलता है। यह बताना जरूरी है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट का म्यूटेशन, ट्रांसमिशन की गति और इम्यून सिस्टम को प्रभावित करने की क्षमता को देखकर इसे VOC कैटेगरी में रखा गया है। शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओमिक्रॉन दुनिया में कहर बरपा चुके डेल्टा वैरिएंट से कहीं ज्यादा तेजी से म्यूटेशन करने वाला वैरिएंट है। इसलिए सतर्क रहना बेहद जरुरी है।

क्या मौजूदा टेस्ट तकनीक से ही ओमिक्रॉन की पहचान मुमकिन है?

WHO का मानना है कि SARS-CoV2 के नए वैरिएंट के पहचान के लिए मौजूदा टेस्ट मैथड RT-PCR सही है। RT-PCR विधि शरीर में वायरस में विशिष्ट जीन का पता लगाती है, जैसे स्पाइक (S), ईनवेलॉप्ड (E) और न्यूक्लियोकैप्सिड (N)। ओमिक्रॉन में स्पाइक जीन बहुत अधिक म्यूटेट होता है। ऐसे में इससे पहचान आसान हो जाती है। हालांकि, इसकी पूरी तरह से पुष्टि के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग भी जरूरी है।

हमें क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

तेजी से दोनों वैक्सीन बढ़ाने और टेस्ट की प्रक्रिया को और तेज करके इस वैरिएंट को बढ़ने से रोका जा सकता है। अच्छी तरह मास्क पहनने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग, भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहना और घर-ऑफिस में अच्छी तरह वेंटिलेशन बनाए रखना इससे बचने का सबसे बेहतर तरीका है।

क्या मौजूदा वैक्सीन ओमिक्रॉन के खिलाफ कारगर हैं?


एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना महामारी को रोकने के लिए मौजूदा वैक्सीन कारगर हैं। ओमिक्रॉन स्पाइक प्रोटीन पर कहीं ज्यादा म्यूटेट हो रहा है। ऐसे में कुछ वैज्ञानिकों का यह भी दावा है कि मौजूदा वैक्सीन शायद नए वैरिएंट पर कारगर न हो। वैक्सीन की एफिकेसी को लेकर भी अभी रिसर्च चल रहे हैं।

हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि जहां कुछ नहीं वहां कम से कम वैक्सीन लोगों को बुरी स्थिति में जाने से रोकने में सक्षम है। यानी वैक्सीनेशन के बाद मौत का खतरा तो टल ही जाता है। इसलिए हर किसी को वैक्सीन लेना चाहिए।

वैक्सीन बनाने वाली कंपनी मोर्डना और कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट पर मौजूदा वैक्सीन कारगर नहीं है। इस पर कई तरह के दावे किए जा रहे हैं लेकिन मौजूदा व्यवस्था के तहत ही इसे रोकने को लेकर काम किया जा रहा है। हालांकि कई कंपनियां इसके बूस्टर डोज को लेकर भी काम कर रही हैं।

भारत में इससे निपटने के लिए क्या तैयारी है?

केंद्र सरकार नए वैरिएंट से निपटने के लिए इसकी कड़ी निगरानी कर रही है। 'एट रिस्क' वाले देशों पर कुछ पाबंदियां लगाई गई हैं। सरकार ने इसके लिए 1 दिसंबर से नई गाइडलाइन भी जारी की है। जिसमें एट रिस्क देशों से आने वाले लोगों के लिए टेस्टिंग और आइसोलेशन जरूरी कर दिया गया है। केंद्र सरकार की विभिन्न हेल्थ बॉडी भी अपने-अपने स्तर पर निगरानी कर रहे हैं। साइंटिस्ट और मेडिकल एक्सपर्ट्स भी नए वैरिएंट को लेकर जानकारी जुटा रहे हैं।