इंटरनेट बैन-धारा 144 पर SC ने कहा - लंबे वक्त तक पाबंदी नहीं लगाई जा सकती, कश्मीर में सभी पाबंदियों की 7 दिन में हो समीक्षा

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में इंटरनेट बैन और अन्य तरह की पाबंदियों के मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि बिना वजह के पूरी तरह इंटरनेट पर रोक नहीं लगाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कश्मीर में हमारी प्राथमिकता लोगों की स्वतंत्रता और सुरक्षा देना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा लंबे वक्त तक इंटरनेट पर पाबंदी नहीं लगाया जा सकता। पाबंदियों की कोई पुख्ता वजह का होना जरूरी है। इंटरनेट लोगों की अभिव्यक्ति का अधिकार है। यह आर्टिकल 19 के तहत आता है। इसके अलावा कोर्ट ने ये भी कहा है कि बहुत जरूरी होने पर तय समय के लिए ही इंटरनेट बंद किए जाने चाहिए। साथ ही दोहाराया कि अनिश्चितकाल के लिए इंटरनेट को बंद नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी जरूरी सेवाओं के लिए इंटरनेट शुरू किया जाए। इंटरनेट पर प्रतिबंध की समय-समय पर समीक्षा होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को एक हफ्ते के अंदर इन पाबंदियों की समीक्षा करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि जहां इंटरनेट का दुरुपयोग कम है वहां सरकारी और स्थानीय निकाय में इंटरनेट की सेवा शुरू की जाए। कोर्ट ने सरकार को ई बैंकिंग सेवाएं और शुरू करने को कहा है।

इसके अलावा कोर्ट ने धारा 144 पर टिप्पणी करते हुए कहा कि देश में कहीं भी लगातार धारा 144 को लागू रखना सरकार द्वारा शक्ति का दुरुपयोग है। साथ ही कोर्ट ने पाबंदी से संबंधित सभी फैसलों को सार्वजनिक करने को कहा है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने भी इस मामले में ये याचिका दायर की थी। गुलाम नबी आजाद के अलावा, कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन और कई अन्य ने घाटी में संचार व्यवस्था ठप होने सहित अनेक प्रतिबंधों को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर की थीं।

बता दें कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया था। साथ ही राज्‍य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख में बांट दिया था। इसके साथ ही केंद्र ने राज्य में इंटरनेट बैन, कर्फ्यू और धारा 144 लागू कर दिया था। कुछ दिन बाद कर्फ्यू हटा लिया गया, लेकिन इंटरनेट बैन और धारा-144 अभी भी जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में लागू है।