राहुल गांधी के बयान से नाराज हुए 180 कुलपतियों ने लिखा खुला पत्र, की कानूनी कार्रवाई की माँग

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने देश के विश्वविद्यालयों में नियुक्ति को लेकर आरोप लगाया था कि आरएसएस के लोगों को ही भरा जा रहा है। खासतौर पर कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राहुल गांधी ने कहा था कि इसके लिए योग्यता नहीं बल्कि आरएसएस से जुड़ाव के आधार पर फैसला हो रहा है। अब इस मामले पर देश के 181 शिक्षाविदों और कुलपतियों ने खुला खत लिखकर राहुल गांधी को जवाब दिया है। कुलपतियों की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है, 'हमें राहुल गांधी के ट्वीट्स और बयानों से यह पता चला है कि वह अफवाह फैला रहे हैं कि देश के विश्वविद्यालयों में मेरिट के आधार पर नहीं बल्कि आरएसएस से रिश्तों पर भर्ती हो रही है।' देश के लगभर 200 विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर्स ने राहुल गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। वाइस चांसलरों की ओर से जारी किए गए साझा बयान में राहुल गांधी के बयान की निंदा की गई है।

गौरतलब है कि राहुल गांधी ने एक बयान में कहा था कि विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति योग्यता और अहर्ता को ताक पर रख कर कुछ संगठनों से संबंधों के आधार पर की जा रही है। उनके इस बयान के बाद कई कुलपतियों ने इसे लेकर विरोध जताया था। अब कुलपतियों ने राहुल गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

कुलपतियों ने राहुल गाँधी के इस बयान पर आपत्ति जताते हुए लिखा, 'कुलपतियों की एक बेहद सख्त, पारदर्शी प्रक्रिया के तहत नियुक्ति की जाती है। इसके लिए यह देखा जाता है कि संबंधित व्यक्ति की अकादमिक योग्यता क्या है। प्रशासनिक कुशलता कितनी और यूनिवर्सिटी को आगे बढ़ाने के लिए क्या विजन रखता है। हम लोगों का एक पेशेवर अनुभव होता है और अकादमिक योग्यता भी मायने रखती है। चयन प्रक्रिया में इसका ध्यान रखा जाता है।' पत्र में कहा गया कि हम उन सभी लोगों से कहते हैं कि ऐसी काल्पनिक बातें न करें। बिना किसी तथ्य के ही भ्रम न फैलाएं।

शिक्षाविदों ने कहा कि ऐसी अफवाहों को फैलाने से शिक्षा का माहौल खराब होता है। कुलपतियों ने लिखा, 'हम मेरिटोक्रेसी में यकीन रखते हैं। उच्च शिक्षा के लिए यही जरूरी है।' बीते कुछ सालों में भारतीय यूनिवर्सिटीज की रैंकिंग में सुधार का हवाला देते हुए कुलपतियों ने लिखा कि बीते कुछ सालों में अद्भुत बदलाव आया है। अब हमारी यूनिवर्सिटीज की ग्लोबल रैंकिंग अच्छी हुई है। शिक्षाविदों का कहना है कि राहुल गांधी ने इस तरह का बयान देकर उच्च शिक्षण संस्थानों को बदनाम किया है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि उसका राजनीतिक फायदा उठा सकें।

राहुल गांधी के खिलाफ जारी किए गए साझा बयान में 180 से अधिक वाइस चांसलर्स और शिक्षाविदों के हस्ताक्षर भी हैं। दस्तखत करने वालों में संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी, एनसीआईआरटी, नेशनल बुक ट्रस्ट, एआईसीटीई, यूजीसी आदि के प्रमुख भी शामिल हैं। कुलपतियों की ओर से बयान जारी कर रहा गया कि वह अपने कामकाज में संस्थाओं की मर्यादा और नैतिकता का ध्यान रखते हैं। ग्लोबल रैंकिंग के हिसाब से देखें तो भारतीय विश्वविद्यालयों में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है।

चिट्ठी में कुलपतियों ने कहा कि हम लोगों का एक पेशेवर अनुभव होता है और अकादमिक योग्यता भी मायने रखती है। चयन प्रक्रिया में इसका ध्यान रखा जाता है। पत्र में कहा गया कि हम उन सभी लोगों से कहते हैं कि ऐसी काल्पनिक बातें न करें। बिना किसी तथ्य के ही भ्रम न फैलाएं। कुलपतियों ने लिखा कि हम मेरिटोक्रेसी में यकीन रखते हैं। उच्च शिक्षा के लिए यही जरूरी है। शिक्षाविदों का कहना है कि राहुल गाँधी ने इस तरह का बयान देकर उच्च शिक्षण संस्थानों को बदनाम किया है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि उसका राजनीतिक फायदा उठा सकें।