आज के जमाने में बिना फोन के जिंदगी की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। कॉल करने के अलावा खाना ऑर्डर करने टिकट बुक करने पेमेंट करने जैसी कई चीजों को फोन ने आसान बना दिया है लेकिन साथ ही साथ अपनी लत भी लगा दी है। इस लत के चलते लोगों में फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। इस सिंड्रोम से ग्रस्त लोगों को बार बार लगता है कि उनके फोन की घंटी बज रही है। जबकि असल में वो नहीं बज रही होती है। जो लोग इस बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं, उनको फोन पर अपडेट या मैसेज ना आने पर पसीना और बेचैनी होने लगती है। बच्चों की ऑनलाइन क्लास, एग्जाम और गेम्स खेलने की आदत भी उन्हें इस बीमारी की तरफ ले जा रही है। ये परेशानी लगातार बढ़ रही है, क्योंकि मोबाइल के इस्तेमाल का ग्राफ हर दिन ऊपर जा रहा है। वैसे तो इस स्थिति को ‘‘सिंड्रोम’’ कहते हैं, लेकिन यह कोई मेडिकल बीमारी नहीं है, यह केवल कई लोगों को होने वाला बस एक कनफ्यूजिंग एहसास है।
फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम के कारण हमारे दिमाग को फोन से मिलने वाले नोटिफिकेशंस और वायब्रेशंस की आदत पड़ जाती है। दिमाग उनकी अपेक्षा करना सीख लेता है और कभी-कभी यह दूसरी संवेदनाओं को भी वाइब्रेशन समझकर रिएक्ट करने लगता है। इसी के साथ हमेशा ऑनलाइन रहना एक लत की तरह होता है। यह लत एक चिंता बन जाती है और वायब्रेशंस के प्रति हमारे सेंसेज को सेट करने लगती है, यह खासकर तब ज्यादा होता है, जब हमें किसी जरूरी कॉल या मैसेज का इंतजार रहता है।
हो सकते हैं गंभीर परिणामअगर समय रहते इस आदत पर गौर ना किया जाए तो इसके गंभीर परिणाम मिल सकते हैं। दरअसल ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले लोगों को अक्सर कपड़ों में सरसराहट या मासपेशियों में ऐंठन होने से बार बार ऐसा लगता है जैसे उनका या उनके आसपास का कोई मोबाइल वाइब्रेट हो रहा हो। लेकिन चेक करने के बाद पता चलता है कि ये उनकी गलतफहमी थी।
कैसे निपटें इस परेशानी से?बिंज वाचिंग से बचें। लगातार मोबाइल पर समय बिताने से हटकर दूसरे विकल्प चुनें। मोबाइल को वाइब्रेशन से बदलकर रिंगिंग मोड में रखें। जब आप वर्कआउट करते हैं और गेम खेलते हैं, तो आपका दिमाग मोबाइल से हटता है। एंटरटेनमेंट के लिए फोन के बजाय फैमिली-फ्रेंड्स और आउटडोर एक्टिविटी से जुड़ें। अगर आपको लग रहा है कि परेशानी लगातार बढ़ रही है, तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें।
मदद की जरूरत कब पड़ती है?फोन की लत और इस सिंड्रोम की वजह से अगर आपकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो रही है, तो डॉक्टर से कंसल्ट करें। डॉक्टर इन लक्षणों के आधार पर इलाज, थेरेपी या जो भी पॉसिबल चीजें हैं, सुझा सकते हैं और इस परेशानी को जल्द से जल्द ठीक करने में मदद कर सकते हैं। फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम क्यों होता है और फोन का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए, इस बारे में जागरुकता बढ़ाकर फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम के लक्षणों को आसानी से कम किया जा सकता है। ध्यान रखें कि एक स्वस्थ मस्तिष्क और सेहतमंद शरीर के लिए कनेक्टिविटी और फोन से दूरी बनाने में बैलेंस बहुत जरूरी है।
क्या है सायकोलॉजिकल व्यू?सायकोलॉजी के अनुसार मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग के कारण फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम एक उभरता हुआ विकार है। लोगों को लगता है कि उनका सेल फोन वाइब्रेट या रिंग कर रहा है, लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं है। ये असल में मनोवैज्ञानिक या तंत्रिका संबंधी परिवर्तनों से संबंधित स्थिति है। पीवीएस की समस्या चिंता, अवसाद और भावात्मक विकारों को भी जन्म दे सकती है। अगर फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम का ठीक से इलाज न किया जाए तो लोगों में बर्नआउट सिंड्रोम हो सकता है।
मस्तिष्क से संबंधित समस्यायह समस्या उन लोगों में अधिक देखी जाती रही है जो फोन पर बहुत अधिक समय बिताते हैं। कुछ स्थितियों में मस्तिष्क में सेरेब्रल कॉर्टेक्स की समस्या और ह्यूमन सिग्नल को पहचानने संबंधी दिक्कतों के कारण भी ये समस्या हो सकती है। सेरेब्रल कॉर्टेक्स मानव मस्तिष्क की उच्च-स्तरीय प्रक्रियाओं के लिए जिम्मेदार है, जिसमें भाषा, स्मृति, तर्क, विचार, सीखना, निर्णय लेना, भावना, बुद्धि और व्यक्तित्व शामिल है। इसके अलावा 'अटैचमेंट एंग्जाइटी' जो कि एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है, जिसमें पारस्परिक संबंधों में भय, चिंता या असुरक्षा की भावना बढ़ जाती है, इसके शिकार लोगों में भी फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम की दिक्कत हो सकती है।