
डायबिटीज एक ऐसी मेटाबॉलिक बीमारी है, जो आज के समय में दुनियाभर के लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले चुकी है। भारत भी इससे अछूता नहीं है, जहां हर दिन डायबिटिक मरीज़ों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2024 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में लगभग 7.7 करोड़ लोग डायबिटीज के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इन मरीजों के लिए सबसे भयावह स्थिति मानी जाती है डायबिटिक शॉक, जिसे मेडिकल भाषा में सीवियर हाइपोग्लाइसीमिया (Severe Hypoglycemia) कहा जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं इसके लक्षण, कारण और बचाव के उपाय।
डायबिटिक शॉक क्या होता है?डायबिटिक शॉक एक आपातकालीन चिकित्सा स्थिति (Medical Emergency) होती है। जब किसी व्यक्ति का ब्लड शुगर लेवल अचानक 70 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) से नीचे चला जाता है, तो उस स्थिति को डायबिटिक शॉक कहा जाता है। यह परेशानी मुख्य रूप से टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज से जूझ रहे उन मरीजों में पाई जाती है जो इंसुलिन या अन्य ब्लड शुगर कम करने वाली दवाएं लेते हैं।
डायबिटिक शॉक कब और क्यों होता है?नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज (NIDDK) के अनुसार, डायबिटिक शॉक तब होता है जब इंसुलिन की मात्रा जरूरत से अधिक ले ली जाती है, नियमित भोजन न लेने या अत्यधिक शारीरिक गतिविधियों के कारण शरीर का शुगर स्तर बेहद तेजी से गिर जाता है। इस स्थिति में अगर समय पर चिकित्सा सहायता न मिले तो मरीज को बेहोशी, दौरे, या डायबिटिक कोमा का भी सामना करना पड़ सकता है।
डायबिटिक शॉक के पांच प्रमुख लक्षण- अचानक पसीना आना और कंपकंपी: शुगर स्तर गिरने पर शरीर में ऊर्जा की कमी के कारण व्यक्ति को तेज़ पसीना आने और हाथ-पैर कांपने लगते हैं। भूख लगना और बेचैनी भी शुरुआती संकेत हो सकते हैं।
- चक्कर आना और मानसिक भ्रम: ग्लूकोज दिमाग की ऊर्जा का मुख्य स्रोत है, और जब इसकी कमी होती है तो व्यक्ति को चक्कर, सिरदर्द और मानसिक भ्रम जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं। कुछ मामलों में मरीज का व्यवहार शराब पीने जैसा हो सकता है।
- बोलने में रुकावट और धुंधली दृष्टि: जब शुगर बहुत कम हो जाता है, तो मरीज को बोलने में कठिनाई, धुंधला या दोहरा दिखने की शिकायत हो सकती है। यह संकेत गंभीर स्थिति की ओर इशारा करते हैं।
- बेहोशी और दौरे: यह डायबिटिक शॉक का सबसे गंभीर लक्षण होता है। जब शरीर को पर्याप्त ग्लूकोज नहीं मिलता, तो मस्तिष्क और अंगों की कार्यप्रणाली रुकने लगती है, जिससे व्यक्ति बेहोश हो सकता है या झटके आ सकते हैं।
- कंप्लीट एनर्जी ड्रॉप और शरीर का सुन्न पड़ना: कभी-कभी शरीर एकदम थका हुआ महसूस करता है, अंग सुन्न हो सकते हैं और व्यक्ति प्रतिक्रिया देना बंद कर देता है—जो इस स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
डायबिटिक शॉक से बचाव के उपायअमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के मुताबिक, अगर मरीज होश में है, तो तुरंत उसे 15–20 ग्राम तेजी से अवशोषित होने वाली शुगर दी जानी चाहिए—जैसे 3-4 ग्लूकोज टैबलेट, आधा कप संतरे का रस, एक टेबलस्पून शहद या 5-6 हार्ड कैंडी। फिर 15 मिनट इंतजार करें और ब्लड शुगर चेक करें। यदि यह अभी भी 70 mg/dL से नीचे है, तो प्रक्रिया दोहराएं। इसे “15-15 नियम” कहा जाता है।
अगर मरीज बेहोश हो जाए तो क्या करें?यदि मरीज मुंह से शुगर नहीं ले पा रहा या बेहोश है, तो ऐसी स्थिति में ग्लूकागन इंजेक्शन या नेजल स्प्रे का इस्तेमाल किया जा सकता है। ग्लूकागन एक हार्मोन है जो तुरंत ब्लड शुगर बढ़ाने में सहायक होता है। अगर इसके बाद भी मरीज की हालत नहीं सुधरती, तो तुरंत एम्बुलेंस बुलाएं या नजदीकी अस्पताल ले जाएं।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी सुझाव को अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।