शर्माने की जगह इन तरीकों से सुलझाये पीरियड्स की प्रॉब्लम

पीरियड्स अर्थात मासिक चक्र महिलाओं के जीवन से जुडी एक सामान्य प्रक्रिया हैं जिससे हर महिला को गुजरना पड़ता हैं। यस प्रक्रिया है सामान्य से लेकिन इस पर आज भी खुलकर बात नहीं की जाती हैं। हांलाकि अब लोग इस मुद्दे पर सार्वजनिक तौर पर बात करने लगे हैं। लेकिन आज भी जब लड़कियों को 12 से 14 साल की उम्र में पहले पीरियड्स आते हैं तो माँ शर्म के कारण अपनी बच्चियों को इसके बारे में खुलकर नहीं बताती हैं। जबकि आप आसानी से अपनी बच्चियों को इके बारे में बता सकती हैं ताकि बच्चियां पीरियड्स से घबराये नहीं। आज हम आपको कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं जिनको अपनाकर आप पीरियड्स की प्रॉब्लम को सुलझा पाएंगे।

* हार्मोनल बदलाव बताएं

बेटी को पहले महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव की जानकारी दें। उसे बताएं कि इस बदलाव के कारण महिलाओं में चिड़चिड़ी और तनाव होना स्वाभाविक है। बेटी को बताएंगे कि यह प्रक्रिया किसी एक लड़की में नहीं बल्कि इस उम्र की हर लड़की होती है।

* साफ-सफाई जानकारी दें

पीरियड्स की जानकारी देते हुए कहें कि यह नैचुरल प्रोसेस है, जिससे हर लड़की गुजरती है। यह प्रोसेस उनकी अच्छी सेहत के लिए जरूरी भी है। इसके बाद बेटी को नैपकीन का इस्तेमाल करने और उसे डिस्पोज करने, साफ-सफाई रखने की जानकारी दें।

* टीवी या किताबों के जरिए

बहुत सी लड़कियों को तो इसके बारे में जानकारी ही नहीं होती है, जिस वजह से फर्स्ट टाइम पीरियड्स आने पर लड़कियां घबरा जाती है। इसलिए उन्हें समय पर इसकी जानकारी देना बहुत जरूरी है। टीवी में अक्सर आने वाली नैपकिन एड के बारे में अगर बेटी सवाल करें तो वह समय उसको पीरियड्स की जानकारी देने के लिए बैस्ट होगा।

* सैनिटरी नैपकिन के बारे में बताएं

बेटी को सैनिटरी नैपकिन जानकारी दें। नैपकीन को यूज करने का तरीका और कितने समय में उसे बदलना है, शुरूआती समय में बेटी के लिए यह जानकारी काफी मयाने रखती है। इसलिए इसके बारे में कोई शर्मिंदगी महसूस न करें।